रियल एस्टेट निवेश ट्रस्टों (रीट्स) के संगठन भारतीय रीट्स एसोसिएशन (आईआरए) ने हिंडनबर्ग के उन आरोपों का खंडन किया कि आरईआईटी ढांचा सिर्फकुछ लोगों के हितों की पूर्ति करता है और एक बयान के माध्यम से उन्हें ‘निराधार और भ्रामक’ करार दिया।
संगठन ने कहा है कि 2014 में रीट नियमों के लागू होने के बाद से भारत ने एक मजबूत और पारदर्शी नियामकीय ढांचा तैयार किया है जो घरेलू और अंतरराष्ट्रीय संस्थागत निवेशकों के साथ साथ रिटेल निवेशकों के लिए सुरक्षा मुहैया कराकर वैश्विक प्रणालियों के अनुरूप काम करता है।
उद्योग संगठन प्रख्यात वैश्विक संस्थागत निवेशकों के हित और भागीदारी को पहचान देता है और यह सुनिश्चित करता है कि किस तरह से उनकी भागीदारी निवेशकों को देश के तेजी से बढ़ रहे रियल एस्टेट बाजार में जुड़ने के लिए एक भरोसेमंद और पारदर्शी विकल्प मुहैया करा सकती है।
यह बयान तब आया है जब अमेरिका स्थित निवेश शोध फर्म हिंडनबर्ग ने दावा किया कि सेबी द्वारा रीट रेग्युलेशंस में किए गए बदलाव वैश्विक परिसंपत्ति प्रबंधक ब्लैकस्टोन को फायदा पहुंचाने के लिए किए गए थे। ब्लैकस्टोन में सेबी प्रमुख माधवी पुरी बुच के पति धवल बुच वरिष्ठ सलाहकार हैं।
बुच दंपती ने स्पष्ट किया है कि धवल का ब्लैकस्टोन में रियल एस्टेट व्यवसाय से कोई लेना-देना नहीं है। इसके अलावा, ब्लैकस्टोन सेबी में पुरी बुच की ‘रीक्यूजल लिस्ट’ में हैं।
रीट्स ऐसी कंपनियां होती हैं जो निवेशकों से प्राप्त धन का इस्तेमाल करके आय अर्जित करने वाली रियल एस्टेट संपत्तियों का संचालन, स्वामित्व या वित्तपोषण करती हैं।
मौजूदा समय में, भारतीय स्टॉक एक्सचेंजों पर चार सूचीबद्ध रीट्स हैं, जिनमें ब्रुकफील्ड इंडिया रियल एस्टेट ट्रस्ट, एम्बेसी ऑफिस पार्क्स रीट, माइंडस्पेस बिजनेस पार्क्स रीट और नेक्सस सलेक्ट ट्रस्ट शामिल हैं।
आईआरए के बयान के अनुसार, इन रीट्स की एयूएम का कुल मूल्य 1.4 लाख करोड़ रुपये है। इन रीट्स ने यूनिटधारकों को 18,000 करोड़ रुपये से ज्यादा वितरित किए हैं और सभी सूचीबद्ध रीट्स का बाजार पूंजीकरण 80,000 करोड़ रुपये पर पहुंच गया है।