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ट्रंप के टैरिफ और H-1B दबाव के बीच भारतीय बाजारों पर अनिश्चितता, 2026 से फिर तेजी की उम्मीद

जियो ब्लैकरॉक एएमसी के CIO ऋषि कोहली का कहना है कि ट्रंप के टैरिफ और H-1B वीज़ा जैसे कदमों से अनिश्चितता बनी रहेगी

Last Updated- September 27, 2025 | 9:12 AM IST
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डॉनल्ड ट्रंप द्वारा फार्मा पर लगाए गए टैरिफ से भारतीय बाजार की धारणा पर दबाव पड़ा है। जियो ब्लैकरॉक एएमसी के चीफ इन्वेस्टमेंट ऑफिसर ऋषि कोहली ने बताया कि अगले साल कंपनियों की आय (Earnings) में करीब 8-10 फीसदी बढ़ोतरी की उम्मीद है। हालांकि उन्होंने साफ किया कि असली बढ़त उन्हीं निवेशकों को मिलेगी, जो सही सेक्टर और शेयर का चुनाव कर पाएंगे।

फार्मा टैरिफ को लेकर ताजा घटनाक्रम पर आपकी क्या राय है? क्या आपको लगता है कि भारत और दुनिया भर के बाजारों पर टैरिफ में अचानक हुए बदलावों से ज्यादा फर्क नहीं पड़ रहा है?

हां, बिल्कुल। राष्ट्रपति ट्रंप के अप्रत्याशित कदमों को देखते हुए अनिश्चितता बहुत ज्यादा है। यह अस्थिरता टैरिफ के अलावा भी उनकी आम नीतिगत मनोदशा में भी बदलाव तक जाती है। फिलहाल भारत निशाने पर दिखता है और यह खतरा हमेशा बना हुआ है कि जेनेरिक दवाओं को भी निशाना बनाया जा सकता है, जिसका बहुत ज्यादा असर होगा। बाजार इस अनिश्चितता का आदी हो रहा है। लेकिन निकट भविष्य में यह अनिश्चितता बरकरार रहेगी। दीर्घावधि में अर्थव्यवस्था स्थिर होने में मदद कर सकती है। पिछले एक साल में भारतीय बाजारों ने वैश्विक प्रतिस्पर्धियों की तुलना में कमजोर प्रदर्शन किया है।

फार्मा टैरिफ और एच-1बी वीज़ा जैसे मसलों के साथ क्या यह कमजोर प्रदर्शन जारी रहेगा?

भारतीय बाजार अगली दो तिमाहियों में वैश्विक प्रतिस्पर्धियों से कमतर प्रदर्शन कर सकते हैं। लेकिन उसके बाद भारत को अपनी दीर्घकालिक वृद्धि की राह पर लौटना चाहिए। दो-तीन साल के अच्छे प्रदर्शन के बाद मूल्यांकन बढ़ा हुआ था और इनमें गिरावट आनी तय थी। शुरुआती गिरावट करीब 15 फीसदी थी, लेकिन यह सीमित रही क्योंकि मजबूत एसआईपी निवेश ने गिरावट को रोकने का काम किया। तब से बाजार स्थिर रहे हैं और समेकित हो रहे हैं। हाल की तिमाहियों में आय वृद्धि धीमी रही। लेकिन हाल में अपग्रेड की संख्या डाउनग्रेड से ज्यादा रही है। मुझे उम्मीद है कि एक या दो तिमाहियों में आय और फंडामेंटल्स में सुधार होगा, और मार्च-अप्रैल 2026 से भारत अपनी दीर्घकालिक तेजी की राह फिर पकड़ लेगा।

क्या आपको लगता है कि अगली कुछ तिमाहियों में म्युचुअल फंडों को नया निवेश आकर्षित करने में मशक्कत करनी पड़ेगी क्योंकि बाजार में मंदी है और निवेशक सतर्क हैं?

वास्तव में नहीं। हालांकि एयूएम कुछ हद तक बाजारों की धारणा से जुड़ी हुई है। फिर भी एसआईपी में निवेश उल्लेखनीय रूप से स्थिर रहा है, यहा तक कि गिरावट के दौरान भी। भारत में एसआईपी की पहुंच अभी भी बहुत कम है, इसलिए वृद्धि में समय लगेगा। हर महीने, नए फोलियो और एसआईपी निवेश जुड़ रहे हैं, जो एक स्वस्थ रुझान है। अगले 6-7 वर्षों में म्युचुअल फंडों की पहुंच (जीडीपी के हिस्से के रूप में या जमा राशि की तुलना में) 2-3 गुना बढ़ने की संभावनाएं हैं। इसलिए, अल्पकालिक सावधानी के बावजूद उद्योग की दीर्घकालिक दिशा स्पष्ट रूप से ऊपर की ओर है।

आप एक नया फंड लॉन्च कर रहे हैं। क्या आप इसकी संरचना और दृष्टिकोण के बारे में बता सकते हैं?

हम सिस्टमैटिक ऐक्टिव इक्विटी श्रेणी में एक फ्लेक्सी-कैप फंड लॉन्च कर रहे हैं। ब्लैकरॉक इस क्षेत्र में 300 अरब डॉलर का वैश्विक कारोबार चलाता है और हम उस डेटा-संचालित, तकनीक से जुड़े दृष्टिकोण को भारत ला रहे हैं। हमारा लक्ष्य अस्थिर अल्पकालिक प्रदर्शन के बजाय स्थिर व निरंतर अल्फा प्राप्त करना है। यह फंड बेंचमार्क एनएसई 500 से जुड़ा है जिसमें पोर्टफोलियो का लगभग दो-तिहाई हिस्सा लार्ज कैप हैं और बाकी हिस्सा मिड-कैप और स्मॉल-कैप का है।

अभी आपको कौन सा सेक्टर दिलचस्प नजर आ रहा है?

जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) के अनुकूल माहौल और अनुकूल चक्रों से वाहन क्षेत्र मजबूत दिख रहा है। वैश्विक रुझानों के समर्थन से धातु क्षेत्र भी आशाजनक दिख रहा है। बैंकों में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक (पीएसयू) ज्यादा आकर्षक हैं। फार्मा और आईटी क्षेत्र लंबे समय से चली आ रही अनिश्चितताओं के कारण ज्यादातर शेयर विशेष में निवेश का मामला बनता है। इसलिए इन सेक्टरों में शेयर का चयन अहम है।

जीएसटी में कटौती के बाद उपभोग को लेकर आपकी क्या राय है?

एफएमसीजी सेक्टर पर इसका असर बढ़ा-चढ़ाकर बताया गया है। लोग साबुन या टूथपेस्ट इसलिए ज्यादा नहीं खरीदेंगे क्योंकि ये 3 रुपये सस्ते हैं। इसीलिए एफएमसीजी मेरे आकर्षक सेक्टरों की सूची में नहीं था। दूसरी ओर, ऑटो सेक्टर में जीएसटी के कारण लागत और मांग पर काफी असर पड़ा है।

First Published - September 27, 2025 | 9:12 AM IST

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