वैश्विक बॉन्ड सूचकांक में भारत के शामिल होने से पहले अनुकूल मांग-आपूर्ति परिवेश, वृहद आर्थिक हालात में सुधार और मुद्रास्फीति में नरमी के कारण डेट फंड प्रबंधक सरकारी बॉन्डों को पसंद कर रहे हैं।
एसबीआई म्युचुअल फंड के मुख्य निवेश अधिकारी (फिक्स्ड इनकम) राजीव राधाकृष्णन ने कहा, ‘नई मांग बढ़ने और बॉन्डों की अनुमान से कम आपूर्ति को देखते हुए मांग-आपूर्ति की स्थिति अच्छी तरह से प्रबंधित है। नकदी के मोर्चे पर आरबीआई की नीति भी बदली हुई दिख रही है, क्योंकि तरलता में कुछ नरमी आई है। मुख्य मुद्रास्फीति पहले (6-7 महीने पहले) की तुलना में कम बनी हुई है।’
फरवरी के अंत तक, कई डायनेमिक बॉन्ड फंडों का सरकारी प्रतिभूतियों में बड़ा निवेश था। पिछले कुछ महीनों में इन बॉन्डों में निवेश बढ़ गया था। इस श्रेणी में सबसे बड़े फंड ‘आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल ऑल सीजन बॉन्ड फंड’ का दीर्घावधि जी-सेक में 58 प्रतिशत निवेश था, जो जनवरी के 39 प्रतिशत से ज्यादा है।
आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल म्युचुअल फंड के सीआईओ (फिक्स्ड इनकम) मनीष बंठिया ने कहा, ‘राजकोषीय घाटा और चालू खाता घाटा, दोनों में कमी दिख रही है, जिससे हम ज्यादा उत्साहित बने हुए हैं और अपने पोर्टफोलियो में जी-सेक को शामिल कर रहे हैं।’
एसबीआई डायनेमिक बॉन्ड फंड का जी-सेक में करीब 80 प्रतिशत निवेश है। 6 महीने पहले यह निवेश आवंटन करीब 62 प्रतिशत था। खासकर लंबी अवधि के सरकारी बॉन्डों की बढ़ती लोकप्रियता ने डायनेमिक बॉन्ड फंडों की औसत परिपक्वता में इजाफा किया है। 22 योजनाओं में से 14 की औसत पोर्टफोलियो परिपक्वता अब 10 साल या इससे अधिक हो गई है।
20-30 साल के सरकारी पत्रों पर ज्यादा ध्यान दिए जाने की वजह से बंधन एमएफ और डीएसपी एमएफ द्वारा पेश योजनाओं ने औसत परिपक्वता अवधि सर्वाधिक है।
बंधन डायनेमिक बॉन्ड फंड की औसत परिपक्वता 27 साल है और इसने 2053 की परिपक्वता वाले जी-सेक बॉन्डों का करीब 85 प्रतिशत निवेश कर रखा है।बंधन एमएफ में फिक्स्ड इनकम खंड के प्रमुख सुयश चौधरी ने एक ताजा रिपोर्ट में कहा, ‘अपनी सक्रिय अवधि वाले फंडों में हम 30 साल के सरकारी बॉन्डों पर उत्साहित बने हुए हैं। यह संक्षिप्त अवधि के बजाय ऊंची अवधि को ध्यान में रखते हुए उचित है।’ जहां कुछ फंड प्रबंधक अपने दांव लंबी अवधि के बॉन्डों पर लगा रहे हैं, वहीं अन्य 10 वर्षीय बॉन्डों से जुड़े हुए हैं।
कोटक महिंद्रा ऐसेट मैनेजमेंट कंपनी के प्रमुख (फिक्स्ड इनकम) अभिषेक बिसेन ने कहा, ‘हम परिपवक्ता अवधि में इजाफा कर रहे हैं। 15 वर्षीय बॉन्ड पसंदीदा विकल्प हैं, क्योंकि वे बेहतर रिस्क-रिवार्ड की पेशकश करते हैं। हरेक तेजी पर हम लंबी अवधि के दांव लगाना पसंद कर रहे हैं। यदि अवधि ज्यादा लंबी हो तो 10 आधार अंक का उतार-चढ़ाव अल्पावधि में बड़ा बदलाव ला सकता है। हालांकि दीर्घावधि निवेश के लिए आप लंबी परिपक्वताएं ले सकते हैं।’
जहां फंड प्रबंधकों को प्रतिफल में कुछ गिरावट का अनुमान है, वहीं उन्हें इस साल दर कटौती के आसार नजर नहीं आ रहे हैं। राधाकृष्णन ने कहा, ‘10 वर्षीय सरकारी बॉन्डों को लेकर मेरा अलग नजरिया है, क्योंकि इस साल दर कटौती की संभावना नहीं दिख रही है।