प्रमुख बाजारों में ताजा कीमत गिरावट से सीमेंट कंपनियां ज्यादा प्रभावित हुई हैं। चालू महीने में अब तक विशाखा इंडस्ट्रीज, आंध्रा सीमेंट्स एनसीएल इंडस्ट्रीज, सह्याद्रि इंडस्ट्रीज और केसीपी जैसी स्मॉलकैप कंपनियों में 19.7 प्रतिशत, 14.3 प्रतिशत, 13.8 प्रतिशत, 13.5 प्रतिशत और 11.5 प्रतिशत की गिरावट आई है।
इसके विपरीत, लार्जकैप कंपनियों ने महीने के लिए घाटा दर्ज करते हुए कम दबाव देखा है। उदाहरण के लिए, जेके सीमेंट, डालमिया भारत, अंबुजा सीमेंट्स और एसीसी के शेयरों में इस अवधि के दौरान 5 से 8 प्रतिशत के बीच गिरावट आई। तुलनात्मक तौर पर, मार्च में अब तक निफ्टी-50 में 0.1 प्रतिशत की कमजोरी आई है।
आईडीबीआई कैपिटल मार्केट्स ऐंड सिक्योरिटीज में इस क्षेत्र पर नजर रख रहे विश्लेषक विशाल पेरीवाल का मानना है कि मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों में मौजूदा गिरवट से सीमेंट शेयरों पर दबाव पड़ेगा।
पेरीवाल ने कहा, ‘मौजूदा समय में बाजार में बड़ा बदलाव देखा जा रहा है। मुनाफावसूली की वजह से निवेशक मिडकैप और स्मॉलकैप से लार्जकैप की ओर रुख कर रहे हैं। इस रुझान का असर सीमेंट क्षेत्र पर भी पड़ने का अनुमान है।’
विश्लेषकों का मानना है कि आगामी लोक सभा चुनावों (अप्रैल या मई 2024 में प्रस्तावित) के साथ साथ कमजोर पूंजीगत खर्च की वजह से मांग में नरमी से सीमेंट कीमतों पर दबाव बना रहेगा। इससे शेयर कीमतों में तेजी की रफ्तार प्रभावित होगी।
आनंद राठी सिक्योरिटीज में सीमेंट एवं निर्माण मामलों के विश्लेषक मनीष वलेचा ने कहा, ‘अक्सर, चुनावी वर्ष में इन्फ्रास्ट्रक्चर परियोजना का क्रियान्वयन सुस्त पड़ जाता है, क्योंकि नए ऑर्डरों की घोषणा नहीं की जाती है, जबकि पुराने ऑर्डर की निर्माण अवधि लंबी होती है। इसके अलावा, सीमेंट कीमतों पर सामान्य तौर पर मार्च तिमाही में कमजोर मांग और ज्यादा आपूर्ति की वजह से दबाव देखने को मिलता है।’
खुदरा कीमतों में गिरावट
शोध विश्लेषक मोतीलाल ओवाल की रिपोर्ट में कहा गया है कि पूर्वी, दक्षिण और उत्तर भारतीय क्षेत्रों में कीमत कटौती की वजह से पूरे भारत में औसत सीमेंट कीमतें जनवरी के मुकाबले फरवरी में 1.4 प्रतिशत तक घट गईं। समग्र स्तर पर, पूरे भारत के संदर्भ में औसत रिटेल कीमत मासिक आधार पर प्रति 50 किलो बैग 7 रुपये घटकर फरवरी में 375 रुपये रह गई जबकि पिछले तीन साल में मासिक आधार पर इसमें प्रति बैग 5 रुपये की औसत वृद्धि दर्ज की गई थी।
दक्षिण भारत ने 13 रुपये प्रति बैग की सर्वाधिक कीमत कटौती दर्ज की, जिसके बाद पूर्वी भारत में यह गिरावट 8 रुपये, उत्तर भारत में 6 रुपये, पश्चिम भारत में 5 रुपये और मध्य भारत में 3 रुपये प्रति बैग रही। मांग के संदर्भ में, भले ही कई क्षेत्रों में मासिक आधार पर सुधार दर्ज किया गया, लेकिन यह अपेक्षित स्तर से नीचे रहा।
आईडीबीआई कैपिटल का मानना है कि वित्त वर्ष 2024 की चौथी तिमाही में तिमाही आधार पर औसत सीमेंट कीमत में 4.5 प्रतिशत तक की कटौती की जा सकती है। तिमाही के दौरान यह क्षेत्र सालाना आधार पर 8-10 प्रतिशत वृद्धि दर्ज कर सकता है, लेकिन कीमतों में कमजोरी की वजह से एबिटा वृद्धि प्रभावित होने की आशंका है।
निवेश रणनीति
रणनीति के तौर पर विश्लेषकों ने सुझाव दिया है कि निवेशक लार्जकैप से जुड़े रहें और किसी गिरावट पर खरीदारी करें, क्योंकि वे लंबी अवधि के नजरिये से इस क्षेत्र में सकारात्मक बने हुए हैं। पेरीवाल का कहना है, ‘सीमेंट शेयर अल्पावधि में ज्यादा आकर्षक रिटर्न नहीं दे सकते हैं, लेकिन वे निवेशकों का पैसा वित्त वर्ष 2025 में 15-20 प्रतिशत तक बढ़ा सकते हैं।’