प्राइमरी मार्केट की चमक न केवल घरेलू बल्कि वैश्विक स्तर पर भी निवेशकों को लुभी रही है। लंदन स्थित डेटा एनालिटिक्स फर्म ग्लोबलडेटा (GlobalData) की एक हालिया रिपोर्ट बताती है कि 822 आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (IPO) ने कैलेंडर वर्ष 2024 (CY24) के पहले आठ महीनों में अगस्त तक 65 अरब डॉलर जुटाए। यह 2023 की तुलना में 17.4 प्रतिशत की बढ़ोतरी है, जब इसी अवधि के दौरान 1,564 लिस्टिंग ने आईपीओ के माध्यम से 55.4 अरब डॉलर जुटाने की योजना बनाई थी।
रिपोर्ट से पता चलता है कि निवेशक 2024 में अब तक लिस्टिंग की कम संख्या के बावजूद वैश्विक स्तर पर बड़े और अधिक मूल्यवान आईपीओ की ओर रुख कर रहे हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है, “पिछले दो वर्षों में निवेशकों के फोकस में उल्लेखनीय बदलाव आया है, जिसमें नई लिस्टेड कंपनियों की वित्तीय स्थिरता और लाभप्रदता पर अधिक जोर दिया गया है। सख्त मौद्रिक परिस्थितियों और बाजार की अनिश्चितताओं के बीच यह बदलाव निवेशकों के अधिक समझदार होने का संकेत देता है।”
ग्लोबलडेटा ने कहा कि एशिया पैसिफिक (APAC) रीजन में सबसे अधिक 575 लेनदेन हुए, जिनकी कुल वैल्यू 23.7 अरब डॉलर रही, जबकि नॉर्थ अमेरिका में 149 सौदों का कुल मूल्य 25.4 अरब डॉलर रहा। रिपोर्ट में कहा गया है कि 2024 के पहले आठ महीनों में कुल 12.2 अरब डॉलर के 227 लेनदेन के साथ भारत APAC रीजन में टॉप पर है, जिसका मुख्य कारण छोटे और मध्यम उद्यमों (SME) के आईपीओ की अधिक संख्या है। 133 सौदों और 23.1 अरब डॉलर के साथ अमेरिका दूसरे स्थान पर रहा, जबकि 5.3 अरब डॉलर के 69 लेनदेन के साथ चीन तीसरे स्थान पर रहा।
ग्लोबलडेटा के कंपनी प्रोफाइल विश्लेषक मूर्ति गांधी ने कहा, “2024 में मैक्रोइकॉनॉमिक स्थितियों के स्थिर होने, प्राइवेट इक्विटी और वेंचर कैपिटल-समर्थित लिस्टिंग में फिर से तेजी आने के कारण IPO बाजार में गतिविधियों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई। इक्विटी, विशेष रूप से IPO, की ओर निवेशकों की भावना में सुधार जारी रहा, जिसे 2023 में मजबूत आफ्टरमार्केट प्रदर्शन से बल मिला।”
ग्लोबलडेटा रिपोर्ट के मुताबिक, 2024 में वैश्विक स्तर पर आईपीओ गतिविधि में टेक्नोलॉजी और कम्युनिकेशन सबसे आगे रहा। इस सेक्टर में 6.4 अरब डॉलर के कुल वैल्यू के साथ 135 लेनदेन दर्ज किए गए। इसके बाद 113 सौदों (11.6 अरब डॉलर) के साथ फाइनैंशियल सर्विसेज, 79 सौदों (3.9 अरब डॉलर) के साथ मैन्युफैक्चरिंग, 75 सौदों (7 अरब डॉलर) के साथ फार्मास्यूटिकल्स और हेल्थकेयर शामिल थे।
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गांधी ने कहा कि वैश्विक स्तर पर, आईपीओ की योजना बनाने वाली कंपनियां, अब तेजी से रेवेन्यू ग्रोथ, लाभप्रदता मेट्रिक्स और टिकाऊ व्यापार रणनीतियों को प्राथमिकता दे रही हैं, जो दीर्घकालिक वित्तीय लचीलापन और विकास की दिशा में व्यापक रुझान को दर्शाती है। उनका मानना है कि आगे चलकर, आईपीओ बाजार मौद्रिक नीति में बदलाव, भू-राजनीतिक घटनाक्रम और निवेशकों की बदलती प्राथमिकताओं जैसे जटिल कारकों से प्रभावित होता रहेगा।
उन्होंने आगे कहा, “इन परिस्थितियों में, वे कंपनियां जो मजबूत वित्तीय बुनियाद और स्पष्ट विकास प्रदर्शित करती हैं, एक अधिक चयनात्मक निवेशक वर्ग को आकर्षित कर सकती हैं। लंबे समय तक स्थिरता और लचीलेपन को प्रदर्शित करने की क्षमता उन व्यवसायों के लिए महत्वपूर्ण होगी जो इस बदलते बाजार वातावरण में पूंजी जुटाने की योजना बना रहे हैं।”
भारत की बात करें तो, ह्युंडै मोटर इंडिया, स्विगी, हेक्सावेयर टेक्नोलॉजीज, NTPC ग्रीन एनर्जी, अफकॉन्स इंफ्रास्ट्रक्चर, टाटा प्ले और विशाल मेगा मार्ट सहित कई कंपनियां आने वाले महीनों में आईपीओ के जरिए लगभग 60,000 करोड़ रुपये जुटाने की योजना बना रही हैं।