पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय ने शुक्रवार को कहा कि केंद्र सरकार अंडमान निकोबार द्वीप समूह के ग्रेट निकोबार द्वीप के गलाथिया बे पर अंतरराष्ट्रीय कंटेनर ट्रांसशिपमेंट पोर्ट के लिए रुचि पत्र (ईओआई) आमंत्रित करेगी।
इस परियोजना में हवाईअड्डे, टाउनशिप का भी निर्माण होगा, जिसकी अनुमानित लागत 72,000 करोड़ रुपये है। केंद्र सरकार ने परियोजना की लागत 41,000 करोड़ रुपये आने का अनुमान लगाया है। इस पर सार्वजनिक निजी हिस्सेदारी के माध्यम से काम होगा।
इस परियोजना के लिए करीब 8.5 लाख पेड़ काटे जाने की आशंका है। परियोजना पेश किए जाते समय पर्यावरण संबंधी तमाम मसले खड़े होने के बावजूद केंद्र सरकार ने आखिरकार दक्षिण पूर्वी एशियाई समद्री व्यापार में आर्थिक अवसरों को देखते हुए परियोजना पर आगे बढ़ने का फैसला किया है।
मंत्रालय ने कहा है, ‘इस समय भारत का करीब 75 प्रतिशत ट्रांसशिप्ड कार्गो की हैंडलिंग भारत के बाहर बंदरगाहों पर होती है। कोलंबो, सिंगापुर और कलांग भारत के 85 प्रतिशत से ज्यादा शिप की हैंडलिंग करते हैं, जिसमें से 45 प्रतिशत कार्गो हैंडलिंग कोलंबो बंदरगाह पर होता है।
ट्रांसशिपमेंट कार्गो से भारत के बंदरगाह सालाना 20 से 30 करोड़ डॉलर बचा सकते हैं। साथ ही गलाथिया बे ट्रांसशिपमेंट पोर्ट विकसित करने से विदेशी मुद्रा भंडार बचाने में उल्लेखनीय मदद मिलेगी और अन्य भारतीय बंदरगाहों की गतिविधियां भी बढ़ेंगी।
इससे लॉजिस्टिक्स इन्फ्रास्ट्रक्चर में सुधार होगा और कुशलता, रोजगार सृजन और राजस्व में हिस्सेदारी बढ़ेगी।’ईओआई दस्तावेज कोलकाता के श्यामा प्रसाद मुखर्जी बंदरगाह पर उपलब्ध होंगे।
रुचि पत्र 28 जनवरी को जारी किया जाएगा। इसका पहला चरण 18,000 करोड़ रुपये के निवेश के साथ 2028 तक शुरू हो जाएगा और इसमें 40 लाख पोतों को संभालने की क्षमता होगी।
पत्तन, पोत परिवहन एवं जलमार्ग मंत्री सर्वानंद सोनोवाल ने कहा, ‘यह परियोजना भारत को आत्मविश्वास से भरा एक आत्मनिर्भर देश बनाने में अहम भूमिका निभाएगी और देश के आर्थिक विकास में भी मददगार होगी।’
ट्रांसशिपमेंट (एक पोत से माल उतारना और दूसरे में लदान करना) बंदरगाह के नजदीक जिन अन्य परियोजनाओं की योजना है उनमें हवाई अड्डा, टाउनशिप और बिजली संयंत्र शामिल हैं।