बंबई उच्च न्यायालय के पिछले दिनों के एक फैसले का निजी क्षेत्र की उन कंपनियों पर दूरगामी प्रभाव पड़ेगा, जो ऐसे कारोबार कर रहे हैं, जो किसी समय सरकार के हाथों में थे। अदालत की एक खंडपीठ ने फैसला दिया कि मुंबई हवाई अड्डे के निजीकरण की परियोजना को अमली जामा पहना रही कंपनी ‘सरकार […]
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सर्वोच्च न्यायालय ने फैसला दिया है कि खाते में पर्याप्त राशि नहीं होने के बावजूद चेक जारी करने पर आपराधिक कार्यवाही उसी सूरत में शुरू की जा सकती है, जब चेक किसी प्रकार का कर्ज या देनदारी चुकाने के लिए दिया गया हो। यदि इसे किसी प्रकार के समझौते या सेटलमेंट की शर्तें पूरी करने […]
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यदि किसी तेल ब्रांड को किसी लंबे बालों वाली महिला के लेबल के साथ बेचा जाए तो आम तौर पर यही धारणा बनती है कि यह उत्पाद जरूर केश तेल होगा। इस तरह की तस्वीरें ग्राहक को उत्पाद के बारे में बताने के लिए होती हैं, उत्पाद पर कर निर्धारण के लिए नहीं। मद्रास हाईकोर्ट […]
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भारतीय पाठकों को मनी लॉन्डरिंग यानी काले धन को सफेद बनाने की कवायद के बारे में विस्तार से बताने की जरूरत तो बिल्कुल नहीं है। काले पैसे और उसे सफेद बनाने की बातों से हम अच्छी तरह वाकिफ हैं, लेकिन इस मामले में हमारे विधि निर्माताओं और आम नागरिकों का नजरिया केवल कर बचाने तक […]
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क्रियाविधियों के हैंडबुक के वॉल्यूम 1 में विदेश व्यापार के महानिदेशक (डीजीएफटी) ने एक नया पैरा 5.11.4 जोडा है। इसे पब्लिक नोटिस संख्या 262008 के तहत जोड़ा गया है। इसमें कहा गया है कि किसी सामान के निर्यात पर आरोपित प्रतिबंधबाध्यताएं, उस पर इस पाबंदी की समयावधि, ऐसे सामान जिसपर पहले से प्रतिबंध आरोपित किया […]
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अच्छे कानून की सबसे बड़ी विशेषता होती है कि उसमें अनुमान लगाने की क्षमता हो। कानून इस बात को अच्छे तरीके से देखता है कि कारण और प्रभाव के बीच का संबंध कैसा है, कानून को लेकर लोगों की क्या प्रतिक्रियाएं है और उसकी कानूनी उपयोगिता कितनी है। कानून के रखवाले अपने विचारों को पारदर्शी […]
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जैसा कि हम जानते हैं कि सेवा कर, जो कि पिछले एक दशक से भारत में लागू है, अब अपने गंतव्य आधारित खपत कर की तरफ अग्रसर है। इसके परिणामस्वरुप सेवा कर वहां पर आरोपित किए जाएंगे जहां खपत होगी। इसका उल्टा यह हुआ कि जहां इसका निर्यात किया जाएगा वहां इसे आरोपित नहीं किया […]
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एक खस्ता हाल कंपनी, जो बड़े ऑर्डर तो दे देती है और विक्रेता को चेक भी जारी करती है लेकिन भुगतान का उसका कोई वास्तविक इरादा नहीं होता है, पर फौजदारी मुकदमा चलाया जाना चाहिए। उच्चतम न्यायालय ने एक मामले में यह आदेश दिया है। सर्वोच्च अदालत ने कहा है कि ऐसी कंपनी पर निगोशिएबल […]
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हर कंपनी ऐसे उत्पाद और सेवाएं देना चाहती है, जो उपभोक्ताओं द्वारा पसंद की जाएं। इस उत्पाद की गुणवत्ता और मूल्यों से जुड़ी सारी बातें ग्राहकों की संतुष्टि पर निर्भर करती हैं और इसी के आधार पर उत्पादों का मूल्य निर्धारित किया जाता है। किसी एक ही उत्पाद के लिए ग्राहकों को संतुष्ट करने के […]
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बड़ी संख्या में प्रवासी भारतीय जो विदेशों में कमाई करते हैं वे अपना धन भारत में नॉन रेसिडेंट ऑर्डिनरी अकाउंट (एनआरओ) में रखते हैं। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के नियमों के अनुसार बिना उसकी अनुमति के एनआरओ अकाउंट से धन भारत से बाहर नहीं भेजा जा सकता है। यही वजह है कि अमूमन ऐसा माना […]
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