इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने उप्र चीनी मिल एसोसिएशन की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें गन्ने के राज्य द्वारा प्रस्तावित मूल्य (सैप)2007-08 को चुनौती दी गई थी।
न्यायालय ने गन्ने के राज्य संभावित मूल्य को 125-130 रुपये प्रति क्विंटल पर बरकरार रखा। पिछले साल नवंबर में पीठ ने इसकी अंतरिम राशि 110 रुपये प्रति क्विंटल निर्धारित की थी, लेकिन अब इसमें 15 रुपये प्रति क्विंटल का इजाफा कर दो महीने के अंदर इसे लागू करने का निर्देश दिया गया है।
यह न्यायालय का अंतिम निर्णय है। उद्योग के जानकारों ने बताया कि जब यह प्रस्तावित दर 110 रुपये थी, तब चीनी मिलों को 8,211 करोड़ रुपये देने पड़ते थे, लेकिन अब जब प्रस्तावित मूल्य 125 रुपये प्रति क्विंटल हो गया है, चीनी मिलों को 125 करोड रुपये अतिरिक्त देने होंगे। लेकिन एक बात तय है कि फिलहाल चीनी मिलें इस बोझ को सहने की स्थिति में नही हैं।
राज्य संचालित बहुत सारी चीनी मिलों के शेयर बंबई स्टॉक एक्सचेंज में मंदी की हालत में रहे। बजाज हिन्दुस्तान को 6.60 प्रतिशत का घाटा हुआ और यह 163.35 रुपये पर बंद हुआ, जबकि बलरामपुर को 5.29 प्रतिशत का झटका लगा और यह 76.15 रुपये पर बंद हुआ। त्रिवेणी इंजीनियरिंग पिछले बंद से 2.83 प्रतिशत लुढ़का और 84.10 रुपये पर बंद हुआ। 2007-08 के मौसम में मिलों ने सैप पर गन्ने की पेराई को नामंजूर कर दिया था और जब न्यायालय ने अंतरिम मूल्य निर्धारित किया, तब जाकर वे राजी हुए थे।
110 रुपये प्रति क्विंटल के प्रस्तावित मूल्य पर इन मिलों को अक्टूबर-दिसंबर और जनवरी-मार्च की तिमाही में लाभ भी हुआ। त्रिवेणी इंजीनियरिंग को जनवरी-मार्च की तिमाही में 34.28 करोड़ का मुनाफा हुआ था, जबकि बजाज हिन्दुस्तान को समान अवधि में 43.03 करोड़ का मुनाफा हुआ था। न्यायालय के हालिया निर्णय से इन चीनी मिलों की आमदनी पर असर पड़ेगा। ऐसा कहा जा रहा है कि 125 रुपये के प्रस्तावित मूल्य पर चीनी मिलों को आगामी तिमाही में घाटा सहना पड़ सकता है।