महाराष्ट्र में सभी राजनीतिक दलों में मराठा समुदाय को आरक्षण देने पर सहमति व्यक्त की है। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की अध्यक्षता में हुई बैठक में राज्य के 32 दलों ने शिरकत की। सभी दलों ने मराठा प्रदर्शकारियों से शांति बनाए रखने की अपील की। इसके साथ मराठा आरक्षण के पक्ष में अपनी सहमति दी।
सर्वदलीय बैठक में नेताओं ने एक प्रस्ताव पारित कर मनोज जरांगे से अनिश्चितकालीन अनशन खत्म करने का आग्रह किया। बैठक के बाद मुख्यमंत्री शिंदे ने कहा कि सर्वदलीय बैठक में फैसला किया गया कि राज्य में अन्य समुदायों को दिये जा रहे वर्तमान आरक्षण में छेड़छाड़ किए बिना मराठा समुदाय को आरक्षण दिया जाना चाहिए।
जब देवेन्द्र फडणवीस मुख्यमंत्री थे तब सरकार द्वारा दिए गए आरक्षण को बंबई उच्च न्यायालय ने बरकरार रखा था लेकिन कुछ त्रुटियों के आधार पर उच्चतम न्यायालय ने इसे रद्द कर दिया था। हम इस स्थिति की पुनरावृत्ति से बचना चाहते हैं।
जरांगे से अनशन खत्म करने की अपील करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी ईमानदारी पर भरोसा रखें। आंदोलन को अलग दिशा मिल रही है। आम लोग असुरक्षित महसूस करते हैं, इसलिए सहयोग करें। कानून एवं व्यवस्था बनाए रखें। हम आरक्षण देने के लिए प्रतिबद्ध हैं। कोई हिंसा न करें। हमें थोड़ा वक्त दो। हम आपको स्थायी आरक्षण देंगे।
महाराष्ट्र सरकार ने मंगलवार को एक आदेश प्रकाशित कर संबंधित अधिकारियों से पात्र मराठा समुदाय के सदस्यों को नए कुनबी जाति प्रमाणपत्र जारी करने को कहा, ताकि उनके लिए अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) श्रेणी के तहत आरक्षण लाभ प्राप्त करने का मार्ग प्रशस्त हो सके।
सरकारी प्रस्ताव (जीआर) में अधिकारियों से कुनबियों के संदर्भ वाले और उर्दू तथा मोड़ी लिपि में लिखे पुराने दस्तावेजों का अनुवाद करने के लिए कहा। इन दस्तावेजों का डिजिटलीकरण किया जाएगा, प्रमाणित किया जाएगा और फिर सार्वजनिक रूप से उपलब्ध कराया जाएगा।
यह फैसला ऐसे वक्त आया है जब मुख्यमंत्री शिंदे ने कहा कि सरकार द्वारा नियुक्त समिति ने 1.72 करोड़ पुराने दस्तावेजों (निजाम-काल सहित) की जांच की और उनमें से 11,530 ऐसे रिकॉर्ड पाए गए जहां कुनबी जाति का उल्लेख किया गया है। कृषि से जुड़ा कुनबी समुदाय महाराष्ट्र में ओबीसी श्रेणी के अंतर्गत आता है और समुदाय को शिक्षा एवं सरकारी नौकरियों में आरक्षण लाभ मिलता है।
पिछले कुछ दिनों में राज्य के कई हिस्सों में हिंसा की घटनाएं देखी गई हैं। मराठवाड़ा के पांच जिलों में सरकारी बस सेवाएं पूरी तरह से निलंबित कर दी गई हैं, जबकि बीड के कुछ हिस्सों में कर्फ्यू लगा दिया गया है और इंटरनेट बंद कर दिया गया है, जहां प्रदर्शनकारियों ने राजनीतिक दलों के नेताओं के आवासों को निशाना बनाया था।
मुख्यमंत्री ने लोगों से हिंसा नहीं करने की अपील की है और राजनीतिक दलों से भी ऐसी किसी भी गतिविधि में शामिल होने से बचने को कहा है जिससे स्थिति खराब हो।
शिवसेना (यूबीटी) के सांसद विनायक राउत ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पत्र लिखकर उनसे मिलने का समय मांगा है और मराठा तथा धनगर समुदायों के लिए आरक्षण के मुद्दे पर चर्चा के लिए संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग की है। यह पत्र 31 अक्टूबर को लिखा गया था।
पत्र में कहा गया है कि शिवसेना (यूबीटी) के राज्यसभा सदस्य संजय राउत के नेतृत्व में 11 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल पांच या छह नवंबर को राष्ट्रपति से मिलना चाहता है। मराठा अन्य पिछड़ा वर्ग श्रेणी के तहत सरकारी नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण की मांग कर रहे हैं, जबकि धनगर (चरवाहा) समुदाय एसटी (अनुसूचित जनजाति) का दर्जा चाहता है।
शिवसेना (यूबीटी) के प्रमुख उद्धव ठाकरे ने संसद के विशेष सत्र की मांग की और कहा कि इस मुद्दे को केंद्र द्वारा हल किया जा सकता है। महाराष्ट्र के सभी केंद्रीय मंत्रियों को मंत्रिमंडल की बैठक में आरक्षण का मुद्दा उठाना चाहिए।
सर्वदलीय बैठक में शिवसेना उद्धव गुट को नहीं बुलाने का आरोप लगते हुए शिवसेना यूबीटी नेता और सांसद संजय राउत ने कहा कि भले ही महाराष्ट्र जल रहा हो, लेकिन उनकी बेशर्म राजनीति जारी है। जिनके पास एक विधायक है। उन्हें भी निमंत्रण है। जिनके पास कोई विधायक नहीं है उन्हें भी निमंत्रण है।
अंबादास दानवे को विपक्ष के नेता के रूप में आमंत्रित किया गया है। ठीक है, हमें सम्मान नहीं चाहिए, लेकिन सवाल हल करें, जारांगे पाटिल की जान बचाएं। हिसाब-किताब का समय नजदीक आ रहा है। गौरतलब है कि शिवसेना यूबीटी के पास 16 विधायक और 6 सांसद हैं।
महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के अध्यक्ष राज ठाकरे ने मराठा समुदाय के लिए आरक्षण की मांग कर रहे मनोज जरांगे से अपनी अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल खत्म करने का आग्रह करते हुए कहा कि जिन लोगों को आरक्षण का लाभ नहीं मिल सका, उन्हें मिलना चाहिए और आरक्षण आर्थिक स्थिति के आधार पर होना चाहिए।
इस मुद्दे पर चर्चा के लिए सरकार को राज्य विधानमंडल का एक विशेष सत्र बुलाना चाहिए। सभी को बताएं कि विभिन्न राय क्या हैं और सरकार किस कानून के तहत आरक्षण देने की योजना बना रही है। इसके बाद केंद्र को एक प्रस्ताव भेजा जा सकता है, जिससे इस मुद्दे से निपटने के लिए कहा जा सकता है।
जरांगे मराठा समुदाय के लिए आरक्षण की मांग को लेकर 25 अक्टूबर से जालना जिले के अपने पैतृक गांव अंतरवाली सराटी में अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर हैं। महाराष्ट्र में मराठा समुदाय की आबादी करीब चार करोड़ है। इसमें से काफी संख्या में लोग भूमिहीन भी है। राज्य में कुनबी समुदाय को ओबीसी का दर्जा है। ऐसे में मराठा समुदाय की मांग है कि उन्हें भी इसमें शामिल किया जाएगा।
सरकार ने बनाई गई समिति के आधार पर 11 हजार से अधिक कुछ लोगों को कुनबी प्रमाण पत्र जारी करने का फैसला किया था, लेकिन जरांगे का कहना है कि मराठा समुदाय अधूरा आरक्षण स्वीकार नहीं करेगा। अभी राज्य में ओबीसी को 19 फीसदी आरक्षण मिला हुआ है। सरकार के सामने चुनौती है कि वे पहले से आरक्षण में शामिल जातियों के साथ अन्याय के बगैर कैसे मराठा समुदाय को आरक्षण देती है।