facebookmetapixel
महंगाई के नरम पड़ने से FY26 में नॉमिनल जीडीपी ग्रोथ में कमी संभव: CEA अनंत नागेश्वरनOYO की पैरेंट कंपनी का नया नाम ‘प्रिज्म’, ग्लोबल विस्तार की तैयारीMarket Outlook: महंगाई डेटा और ग्लोबल ट्रेंड्स तय करेंगे इस हफ्ते शेयर बाजार की चालFPI ने सितंबर के पहले हफ्ते में निकाले ₹12,257 करोड़, डॉलर और टैरिफ का असरMCap: रिलायंस और बाजाज फाइनेंस के शेयर चमके, 7 बड़ी कंपनियों की मार्केट वैल्यू में ₹1 लाख करोड़ का इजाफालाल सागर केबल कटने से दुनिया भर में इंटरनेट स्पीड हुई स्लो, माइक्रोसॉफ्ट समेत कई कंपनियों पर असरIPO Alert: PhysicsWallah जल्द लाएगा ₹3,820 करोड़ का आईपीओ, SEBI के पास दाखिल हुआ DRHPShare Market: जीएसटी राहत और चीन से गर्मजोशी ने बढ़ाई निवेशकों की उम्मीदेंWeather Update: बिहार-यूपी में बाढ़ का कहर जारी, दिल्ली को मिली थोड़ी राहत; जानें कैसा रहेगा आज मौसमपांच साल में 479% का रिटर्न देने वाली नवरत्न कंपनी ने 10.50% डिविडेंड देने का किया ऐलान, रिकॉर्ड डेट फिक्स

ज्यादा को नुकसान, कम को फायदा

भारत के प्रमुख सूचकांक गुरुवार को काफी हद तक अप्रभावित रहे और इनमें 0.4 प्रतिशत की मामूली गिरावट आई।

Last Updated- April 03, 2025 | 11:34 PM IST

अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप द्वारा लगाए गए जवाबी शुल्क से वैश्विक बाजार प्रभावित हुए, लेकिन भारत के प्रमुख सूचकांक गुरुवार को काफी हद तक अप्रभावित रहे और इनमें 0.4 प्रतिशत की मामूली गिरावट आई। हालांकि, टैरिफ की वजह से चढ़ने और गिरने वालों के मिश्रण के साथ शेयर व क्षेत्रीय प्रदर्शन का गहन परीक्षण करने पर बेहद कम प्रभाव पड़ने का पता चलता है।

फार्मास्युटिकल
फार्मास्युटिकल क्षेत्र को अप्रत्याशित रूप से पारस्परिक टैरिफ से मुक्त कर दिए जाने के बाद निफ्टी फार्मा इंडेक्स में 2.25 प्रतिशत की वृद्धि हुई। अमेरिका में ज्यादा कारोबार से जुड़ी कंपनियां, जैसे इप्का लैबोरेटरीज, ल्यूपिन, नैटको फार्मा, सन फार्मास्युटिकल और सिप्ला के शेयर 3 से 6 फीसदी के बीच चढ़े। इस क्षेत्र को टैरिफ से मुक्त रखे जाने से भारत को राहत मिली है क्योंकि फार्मास्युटिकल अमेरिका के लिए एक महत्वपूर्ण निर्यात है। अनिश्चितता बनी हुई है क्योंकि ट्रंप प्रशासन ने इस क्षेत्र पर भविष्य में टैरिफ लगाने का संकेत दिया है।

टेक्स्टाइल
भारत का टेक्स्टाइल क्षेत्र वियतनाम (46 फीसदी) और बांग्लादेश (37 फीसदी) जैसे प्रमुख परिधान निर्यातक देशों पर लगाए गए ऊंचे टैरिफ का लाभार्थी हो सकता है। इसकी वजह यह है कि भारत पर टैरिफ 26 फीसदी लगाया गया है। इस बढ़त की वजह से कारोबारियों ने वर्धमान टेक्सटाइल्स, ट्राइडेंट और गोकलदास एक्सपोर्ट्स जैसी कंपनियों के शेयरों की खरीदे जिससे इन शेयरों में 18 प्रतिशत तक की तेजी आई है।

सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी)
आईटी शेयरों पर सबसे ज्यादा दबाव पड़ा। निफ्टी आईटी इंडेक्स करीब 4 फीसदी गिर गया। ऐसा तब है जब सॉफ्टवेयर निर्यातक टैरिफ के नए दौर से सीधे प्रभावित नहीं हैं। हालांकि, नकारात्मक बाजार प्रतिक्रिया इस चिंता से पैदा हुई है कि टैरिफ युद्ध वैश्विक वृद्धि को नुकसान पहुंचा सकता है और कंपनियां अपने आईटी खर्च कम करने के लिए बाध्य हो सकती हैं। जेफरीज की एक रिपोर्ट में कहा गया है, ‘भविष्य में संभावित कम दरों के बावजूद ऊंचे टैरिफ की वजह से धीमी जीडीपी वृद्धि का अप्रत्यक्ष प्रभाव देखा जा सकता है। ऊंचे टैरिफ के कारण निर्माण/लॉजिस्टिक्स और खुदरा क्षेत्रों की मांग प्रभावित होगी, जबकि स्वास्थ्य सेवा, हाई-टेक, यूटिलिटीज और संचार जैसे क्षेत्रों की मांग पर कम प्रभाव पड़ेगा।’

ऑटो एवं ऑटो एंसिलियरी
अन्य प्रमुख निर्यातक क्षेत्र ऑटोमोबाइल और ऑटो कम्पोनेंट के शेयरों में मामूली कमजोरी आई। इस क्षेत्र में अमेरिका ने पहले ही 26 मार्च को 25 फीसदी टैरिफ लगा दिया। हालांकि इस क्षेत्र में कई शेयर हाल के सप्ताहों में पहले ही गिर चुके हैं। अमेरिकी राजस्व पर ज्यादा निर्भर रहने वाली कंपनियों, जैसे सोना बीएलडब्ल्यू प्रेसीजन फोर्जिंग्स और टाटा मोटर्स को फिर से बिकवाली दबाव का सामना करना पड़ा।

केमिकल एवं एक्वाकल्चर
रसायन, कृषि और एक्वाकल्चर क्षेत्र की कंपनियों के शेयरों में बिकवाली देखी गई। विश्लेषकों का कहना है कि इस क्षेत्र की कंपनियों को दोहरी मार झेलनी पड़ेगी क्योंकि उन पर अमेरिका के ऊंचे टैरिफ का असर पड़ेगा और भारत पर आयात शुल्क कम करने तथा घरेलू बाजार में पहुंच बढ़ाने के दबाव के कारण उन्हें बढ़ती प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ सकता है।

First Published - April 3, 2025 | 11:13 PM IST

संबंधित पोस्ट