भारत वैश्विक श्रम बाजार में अगले दो वर्षों में सालाना एक लाख केयर वर्कर्स उपलब्ध कराने के लिए तैयार है। राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (एनएसडीसी) के मुख्य कार्याधिकारी वैद्य मणि तिवारी ने गुरुवार को बताया कि भारत विकसित देशों को कुशल श्रम बल मुहैया कराने के लिए तैयार है। विकसित देश में बड़ी आबादी के बूढ़े होने के कारण कार्यशील आबादी में गिरावट नजर आ रही है।
उन्होंने संवाददाताओं से बातचीत के दौरान बताया, ‘भारत ने अकेले बीते वर्ष ही इजरायल को करीब 20,000 कामगारों की आपूर्ति की थी। इनमें 5,000 केयर वर्कर थे। भारत जरूरतमंद देशों को कुशल श्रमबल कहीं तेजी से उपलब्ध कराने की दिशा में तेजी से काम कर रहा है। इस क्रम में उम्मीद है कि भारत सालाना विश्व को 1,00,000 केयर वर्कर्स उपलब्ध करा सकता है।’
इसके अलावा भारत विभिन्न देशों में कौशल की जरूरत को भी जानने का प्रयास कर रहा है। इससे भारत को वैश्विक श्रम बाजार की बेहतर जानकारी मिल जाएगी। उन्होंने बताया, ‘हम अभी तक 43 देशों की जरूरतों का आकलन कर चुके हैं। हरेक अर्थव्यवस्था के लिए व्यापक विश्लेषण तैयार किया गया है। इस क्रम में यह विश्लेषण किया गया है कि किस देश में कैसी नौकरियां हैं और उनके लिए किन दस्तावेज की आवश्यकता है। यह देखने में आया है कि कई क्षेत्रों जैसे स्वास्थ्य देखभाल, समाज सेवा, नवीकरणीय ऊर्जा, विनिर्माण, सूचना तकनीक सहित कई अन्य में भारत के कामगारों की बहुत ज्यादा मांग है।’
भारत ने हाल ही में जर्मनी के साथ जी 20 ‘कौशल आधारित प्रवास मार्ग प्रारूप’ के तहत समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। इससे जर्मनी के लिए वीजा की संख्या 20 हजार से बढ़कर 90 हजार प्रति साल हो गई है। एनएसडीसी मझोले और छोटे शहरों के शिक्षण संस्थानों से गठजोड़ के लिए ‘विशेष’ ध्यान केंद्रित कर रही है। इसका कारण यह है कि देश में बड़ी संख्या में लोग इन शहरों में रहते हैं।