कुछ साल पहले की ही बात है तब बांग्लादेश की तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा था कि भारत ने अचानक प्याज निर्यात पर रोक लगा दी है, जिससे उनके देश को भारी परेशानी का सामना करना पड़ेगा। उनके बयान से भारत से बांग्लादेश को होने वाले निर्यात के महत्त्व का पता चलता है। यहां से पड़ोसी देश को आवश्यक खाद्य वस्तुओं के साथ-साथ कृषि, बिजली एवं औद्योगिक उपकरण तथा पेट्रोलियम उत्पाद सबसे अधिक आपूर्ति किए जाते हैं। हसीना सरकार गिरने के बाद अब यह निर्यात बाजार अनिश्चितता के भंवर में घिर सकता है।
पड़ोसी देश में उठे राजनीतिक तूफान का असर केवल निर्यात मोर्चे पर ही नहीं दिखेगा, बल्कि इससे वहां चल रही परियोजनाओं पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा, जिससे निवेशकों के सामने बड़ा खतरा पैदा होगा। बांग्लादेशियों की अवैध घुसपैठ भी बढ़ सकती है, जिसे रोकना चुनौतीपूर्ण होगा। इंडियन काउंसिल फॉर रिसर्च ऑन इंटरनैशनल इकनॉमिक रिलेशंस (इक्रियर) की प्रोफेसर अर्पिता मुखर्जी कहती हैं, ‘बांग्लादेश में राजनीतिक अस्थिरता से निर्यात को लेकर अनिश्चितता का माहौल बनेगा। इससे निवेशकों के समक्ष बड़ा संकट खड़ा हो जाएगा।’
बांग्लादेश भारत का 25वां सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है। दोनों देशों के बीच 12.9 अरब डॉलर का कारोबार होता है। इस व्यापार में बड़ा हिस्सा निर्यात का है। बांग्लादेश वित्त वर्ष 2023-24 में 11 अरब डॉलर के साथ भारत का आठवां सबसे बड़ा निर्यात साझेदार रहा है। हालांकि पिछले दो साल से ढाका को जाने वाले माल में लगातार कमी देखी गई है।
उदाहरण के लिए वित्त वर्ष 2021-22 में बांग्लादेश निर्यात के मामले में भारत का चौथा सबसे बड़ा निर्यात बाजार था। डॉलर संकट, उच्च महंगाई दर और गेहूं व कुछ वैरायटी के चावल जैसी जरूरी वस्तुओं पर निर्यात प्रतिबंधों जैसे अन्य कारकों के कारण ढाका को जाने वाली खेप बुरी तरह प्रभावित हुई।
दिल्ली के थिंक टैंक ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) के अनुसार भारत से प्याज, कृषि उत्पाद एवं बिजली जैसे चीजों का निर्यात बांग्लादेश के लोगों और उसकी अर्थव्यवस्था के लिए बहुत ही महत्त्वपूर्ण है, इसलिए व्यापक स्तर पर राजनीतिक संकट का असर इस निर्यात पर बहुत ज्यादा नहीं होगा।
जीटीआरआई ने कहा, ‘हाल के वर्षों में बांग्लादेश के समक्ष खड़ी आर्थिक चुनौतियों का द्विपक्षीय व्यापार संबंधों पर बहुत नकारात्मक असर पड़ा है। यह पड़ोसी देश डॉलर की कमी से जूझता रहा है, जिससे उसकी भारत समेत अन्य देशों से वस्तुओं के आयात की क्षमता सीमित हो गई। लगातार बढ़ती महंगाई ने घरेलू स्तर पर मांग को प्रभावित किया। इससे स्थानीय और बाहरी उत्पादों की खपत घटती गई।’
बांग्लादेश से भारत को होने वाले आयात का आकार निर्यात के मुकाबले बहुत छोटा है। वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान बांग्लादेश से 1.8 अरब डॉलर का आयात हुआ था। इसमें कुछ अन्य सामान के साथ-साथ लोहा, इस्पात के उत्पाद, कपड़ा व चमड़े से बनी वस्तुएं शामिल थीं।
काउंसिल फॉर सोशल डेवलपमेंट में प्रोफेसर विश्वजित धर ने कहा कि भारत के लिए आयात और निर्यात की दृष्टि से बांग्लादेश बहुत ही महत्त्वपूर्ण और बड़ा बाजार है। धर कहते हैं, ‘बांग्लादेश में राजनीतिक अनिश्चितता हमारे लिए कारोबार के मोर्चे पर निश्चित रूप से बड़ी चोट होगी। यदि राजनीतिक संकट का असर आर्थिक मोर्चे की तरफ बढ़ा तो इससे बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था बुरी तरह प्रभावित होगी। भारत के समक्ष व्यापार के साथ-साथ एक चुनौती अवैध प्रवासन के रूप में खड़ी होगी, क्योंकि पड़ोसी देश के राजनीतिक भंवर में उलझने से अचानक वहां के लोगों का अवैध रूप से सीमा पार करने का सिलसिला बढ़ सकता है।’