अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के जवाबी शुल्क की घोषणा के बाद भारत के वस्तु निर्यात पर जोखिम बढ़ गया है। इसकी वजह भारत की वस्तु निर्यात के लिए अमेरिका पर बढ़ती जा रही निर्भरता है।
भारत के वस्तु निर्यात में अमेरिका की हिस्सेदारी 2010-11 के 10.1 फीसदी से बढ़कर वित्त वर्ष 25 की अप्रैल-फरवरी अवधि में 19.3 फीसदी हो गई है। इसके विपरीत भारत कुल निर्यात में अमेरिकी की हिस्सेदारी में निरंतर गिरावट आई। वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार 1998-99 में भारत से होने वाले कुल निर्यात में अमेरिका की हिस्सेदारी 21.7 फीसदी थी और यह 2010-11 में गिरकर 10.1 फीसदी हो गई।
भारत के वस्तु निर्यात का सबसे बड़ा गंतव्य अमेरिका ही है। भारत से अमेरिका को निर्यात वित्त वर्ष 25 के अप्रैल से फरवरी के दौरान 9.1 फीसदी बढ़कर 76.4 अरब डॉलर हो गया।
वाणिज्य पर संसद की स्थायी समिति ने बीते साल अपनी रिपोर्ट में कहा था कि भारत का लक्ष्य अनिवार्य रूप से निर्यात का विस्तार ‘पारंपरिक बाजार’ से बाहर बढ़ाने का होना चाहिए। भारत ऐसे क्षेत्रों में निर्यात की संभावनाएं तलाशे जहां उसको प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त हासिल है।
संसदीय समिति ने बीते साल अपनी रिपोर्ट में कहा था, ‘पारंपरिक साझेदारों से परे व्यापार का विविधीकरण हो। इस क्रम में गैर पारंपरिक बाजार जैसे लातिन अमेरिका, अफ्रीका और ओशियानिया में निर्यात की संभावनाएं खोजना महत्त्वपूर्ण है। समिति ने निर्यात संभावना वाले उत्पादों को चिह्नित करने और इन उत्पादों की अधिकतम मांग वाले देशों में निर्यात की रणनीति को बेहतर बनाने की जरूरत पर जोर दिया।’
समिति ने भारत के वस्त्र निर्यात को काफी हद तक चुनिंदा बाजारों तक सिमट जाने पर भी चिंता जताई थी। समिति ने कहा था, ‘समिति अमेरिका और यूरोपीय संघ के इतर मुक्त व्यापार समझौतों के जरिये निर्यात का विविधीकरण करने की सिफारिश करती है।’वाणिज्य मंत्रालय ने समिति को सूचित किया कि भारत की निर्यात क्षमताओं को समुचित रूप से हासिल करने की प्रभावी रणनीतियों में प्रमुख बाजारों में निर्यात के प्रदर्शन पर करीबी निगरानी रखना, विविधीकरण के लिए नए बाजारों को खोजना और तुलनात्मक लाभ, बढ़ते व्यापार और वैश्विक मांग के रुझानों के अनुसार चुनिंदा संभावित उत्पादों या क्षेत्रों को चिह्नित करना शामिल हैं।
विभाग ने समिति को निर्यात के विस्तार और विविधीकरण किए जाने वाले उत्पादों के चयन के बारे में भी सूचित किया था। विभाग ने वैश्विक मांग के अनुरूप समय-समय पर इन निर्यात उत्पादों के लिए तार्किक ढंग से विश्लेषण किया है। कैलेंडर वर्ष 2021 में विश्व आयात बास्केट में 1,328 उत्पादों की 20.54 फीसदी हिस्सेदारी थी जिसमें भारत वैश्विक मांग का महज 2.57 फीसदी आपूर्ति करता है। इसके अलावा वर्ष 2021 में 4,271 उत्पादों की वैश्विक आयात बास्केट में हिस्सेदारी 70.79 फीसदी थी और इसमें भारत के निर्यात की हिस्सेदारी मात्र 0.29 फीसदी थी।
विश्व के आयात बाजार में 5,599 उत्पादों की हिस्सेदारी 91.34 फीसदी थी और इसमें भारत के निर्यात की हिस्सेदारी 0.81 फीसदी थी। भारत लंबे समय से निर्यात के विविधीकरण के लिए प्रयास कर रहा है। इस क्रम में विदेश व्यापार नीति 2017 में मध्य अवधि की समीक्षा 2015-2020 में विजन वक्तव्य जारी किया था।