अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा ब्रिक्स देशों के खिलाफ 10% अतिरिक्त टैरिफ लगाने की घोषणा पर चीन ने तीखी प्रतिक्रिया दी। चीन ने स्पष्ट किया कि ब्रिक्स का उद्देश्य किसी भी देश का विरोध करना नहीं है, बल्कि यह उभरती अर्थव्यवस्थाओं और विकासशील देशों के बीच सहयोग का एक महत्वपूर्ण मंच है।
चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने कहा, “ब्रिक्स एक खुला और आपसी लाभ वाला मंच है। यह किसी देश के खिलाफ नहीं है और न ही टकराव के लिए बना है।” ट्रंप के टैरिफ लगाने की धमकी पर जवाब देते हुए माओ ने कहा, “ट्रेड और टैरिफ की लड़ाई में कोई विजेता नहीं होता। संरक्षणवाद (protectionism) से किसी को लाभ नहीं होता।”
डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि जो देश ब्रिक्स की तथाकथित “एंटी-अमेरिकन पॉलिसी” का समर्थन करेंगे, उन पर अमेरिका 10% अतिरिक्त टैरिफ लगाएगा। यह घोषणा ऐसे समय में आई है जब अमेरिका द्वारा नए ट्रेड ड्यूटीज़ पर 90 दिनों की रोक की मियाद खत्म हो रही है। ट्रंप ने बताया कि सोमवार, 7 जुलाई को दोपहर 12 बजे (पूर्वी समयानुसार) सभी संबद्ध देशों को इस नई नीति के बारे में पत्र भेजे जाएंगे।
17वां ब्रिक्स शिखर सम्मेलन बीते सप्ताहांत रियो डी जेनेरियो, ब्राज़ील में आयोजित हुआ, जहां सदस्य देशों ने वैश्विक शासन सुधार, गाज़ा में मानवीय संकट, ईरान पर इज़रायल का हमला और बढ़ते व्यापार संरक्षणवाद जैसे मुद्दों पर गहन चर्चा की। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वैश्विक शासन सुधार पर सत्र के दौरान कहा कि वैश्विक दक्षिण (Global South) लंबे समय से सुरक्षा और विकास जैसे मुद्दों पर दोहरे मापदंडों का शिकार रहा है। उन्होंने कहा, “आज की वैश्विक संस्थाएं उस मोबाइल फोन जैसी हो गई हैं जिसमें सिम कार्ड तो है लेकिन नेटवर्क नहीं।” मोदी ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद, डब्ल्यूटीओ और अंतरराष्ट्रीय विकास बैंकों में तत्काल सुधार की ज़रूरत पर ज़ोर दिया। चीन के प्रधानमंत्री ली कियांग ने भी इस बात का समर्थन करते हुए कहा कि ब्रिक्स को वैश्विक शासन को और अधिक न्यायपूर्ण और प्रभावी बनाने की दिशा में अग्रणी भूमिका निभानी चाहिए।
ब्रिक्स के ड्राफ्ट घोषणा-पत्र में अंतरराष्ट्रीय व्यापार नियमों के खिलाफ होने वाली आर्थिक साजिश और टैरिफ कार्रवाइयों की निंदा की गई है, हालांकि अमेरिका या ट्रंप का नाम सीधे नहीं लिया गया। ब्लूमबर्ग के अनुसार, घोषणापत्र में कहा गया है कि ऐसे कदम विश्व व्यापार संगठन (WTO) के नियमों का उल्लंघन करते हैं।
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ब्रिक्स की शुरुआत ब्राज़ील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका से हुई थी, लेकिन 2024 में ईरान, मिस्र, इथियोपिया और यूएई के जुड़ने के बाद इसका विस्तार हुआ। 2025 में इंडोनेशिया भी इस समूह में शामिल हो गया, जिससे ब्रिक्स की ताकत और पहुंच बढ़ गई है। यह समूह लगातार एक बहुध्रुवीय (multipolar) और न्यायसंगत वैश्विक व्यवस्था की वकालत करता रहा है और अब दुनिया की आर्थिक और राजनीतिक दिशा तय करने में बड़ी भूमिका निभा रहा है।
ट्रंप की टैरिफ चेतावनी के बाद ब्रिक्स और अमेरिका के बीच तनावपूर्ण माहौल और गहराता दिखाई दे रहा है। वहीं, चीन और भारत जैसे सदस्य देश ब्रिक्स को सहयोग और समानता का मंच बताते हुए संरक्षणवाद की आलोचना कर रहे हैं। आने वाले दिनों में वैश्विक राजनीति में इस टकराव के और तीव्र होने की संभावना है।