अगर आप नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) में पैसा लगाते हैं तो अब आपका रिटायरमेंट पोर्टफोलियो बहुत अलग और कहीं ज्यादा मजबूत दिखने वाला है। नए नियमों के तहत अब NPS के इक्विटी फंड्स में गोल्ड-सिल्वर ETF, REITs, इक्विटी AIFs और यहां तक कि IPOs में भी निवेश किया जा सकता है। सालों बाद निवेश के विकल्पों में आई यह सबसे बड़ी छूट है, जिससे आपकी पेंशन की रकम लंबे समय में बेहतर तरीके से बढ़ सकती है।
ये बदलाव PFRDA ने 10 दिसंबर 2025 को जारी किए मास्टर सर्कुलर में किए गए हैं। यह सर्कुलर यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS), नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS), अटल पेंशन योजना और इनसे जुड़े सभी सरकारी-प्राइवेट सेक्टर स्कीम्स पर लागू होता है।
इस मास्टर सर्कुलर में इक्विटी, डेट, शॉर्ट-टर्म इंस्ट्रूमेंट्स, गोल्ड-सिल्वर ETF और दूसरी स्कीमों में निवेश की सीमा तय की गई है। यह सर्कुलर पुराने सभी सर्कुलर्स को खत्म कर देता है और तुरंत प्रभाव से लागू हो गया है।
अब तक NPS के इक्विटी फंड ज्यादातर सिर्फ लिस्टेड शेयरों में ही पैसा लगा सकते थे।
नए नियम के बाद अब इक्विटी पोर्टफोलियो का 5% तक हिस्सा इन चीजों में लग सकता है:
फिर भी फंड का कम से कम 90% पैसा निफ्टी 250 के टॉप 200 शेयरों में ही लगा रहेगा, यानी लंबे समय का रिटर्न देने वाला कोर इक्विटी हिस्सा पूरी तरह सुरक्षित है।
Also Read: PFRDA का बड़ा फैसला: NPS के लिए लाएगा फंड ऑफ फंड्स प्लेटफॉर्म, पेंशन फंड AIFs में लगा सकेंगे पैसा
वैल्यू रिसर्च ने इन नियमों को आसान भाषा में समझाया है: “इक्विटी वाले पेंशन फंड अब 5% तक पैसा REITs, इक्विटी AIFs और गोल्ड-सिल्वर ETF में मिलाकर लगा सकते हैं। इसका मकसद कंट्रोल्ड डायवर्सिफिकेशन है, बिना कोर इक्विटी से ध्यान हटाए।”
IPO, FPO और ऑफर-फॉर-सेल में हिस्सा ले सकते हैं, लेकिन सिर्फ बड़े साइज की कंपनियों में। नई लिस्ट होने वाली कंपनी का फ्री-फ्लोट मार्केट वैल्यू कम से कम निफ्टी 250 की 250वीं कंपनी जितना होना चाहिए। अगर बाद में कोई स्टॉक इस लेवल से नीचे चला गया तो एक साल के अंदर निकलना पड़ेगा।
कम से कम 90% पैसा निफ्टी 250 के टॉप 200 स्टॉक्स में ही लगेगा, कुछ जगह BSE 250 के स्टॉक्स भी लिए जा सकते हैं। इससे पोर्टफोलियो बड़े और लिक्विड शेयरों से जुड़ा रहेगा।
5% तक इंडेक्स म्यूचुअल फंड और ETF (निफ्टी 50, सेंसेक्स जैसे) में लगा सकते हैं। यह कम खर्चे में सीधे स्टॉक के साथ-साथ इंडेक्स एक्सपोजर देगा। डेरिवेटिव्स में भी 5% तक जा सकते हैं, लेकिन सिर्फ हेजिंग और रिस्क कम करने के लिए।
कॉर्पोरेट डेट फंड्स में अब बैंक डिपॉजिट, मल्टीलेटरल एजेंसी के रुपया बॉन्ड, म्यूनिसिपल बॉन्ड, InvIT-REIT का डेट, मॉर्टगेज-बैक्ड सिक्योरिटीज, कुछ डेट AIF और बैंक के एडिशनल टियर-1 बॉन्ड में भी पैसा लग सकता है। इससे फिक्स्ड इनकम हिस्सा भी ज्यादा विविध हो गया।
कुल मिलाकर ग्रोथ और स्थिरता का बैलेंस अपने आप बन जाता है, जो ज्यादातर लोग अपने दम पर नहीं बना पाते।
जरूरी नहीं।
अगर आप 20, 30 या 40 की उम्र में हैं तो हर महीने जो पैसा जा रहा है, वह अपने आप ज्यादा एसेट क्लास में फैलकर बढ़ेगा। आपको अलग से गोल्ड या REIT लेने की जरूरत नहीं। फंड मैनेजर यह काम कर देगा।
रिटायरमेंट के करीब हैं तो आखिरी 8-10 साल में बड़ा झटका लगने का डर थोड़ा कम हो जाएगा, क्योंकि डायवर्सिफिकेशन बढ़ गया है। बस इतना ही। बाकी सब पहले जैसा चलता रहेगा, बस अब आपका पेंशन वाला पैसा और स्मार्ट तरीके से काम करेगा।