Retail Inflation: खाने-पीने की वस्तुओं की कीमतों में बढ़ोतरी के बीच खुदरा महंगाई नवंबर में बढ़कर 0.71 फीसदी पर पहुंच गई, जबकि अक्टूबर में यह 0.25 फीसदी के रिकॉर्ड निचले स्तर पर थी। शुक्रवार को जारी सरकारी आंकड़ों से यह जानकारी मिली। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) पर आधारित खुदरा महंगाई नवंबर में लगातार दसवें महीने आरबीआई के चार फीसदी के लक्ष्य के नीचे रही। यह लगातार दूसरा महीना है जब खुदरा महंगाई एक फीसदी से भी कम रही।
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) के आंकड़ों के मुताबिक, नवंबर में फूड इंफ्लेशन में 3.91 फीसदी की गिरावट रही, जबकि अक्टूबर में यह गिरावट 5.02 फीसदी थी। नवंबर में कुल (हेडलाइन) और खाद्य महंगाई में बढ़ोतरी मुख्य रूप से सब्जियों, अंडे, मांस एवं मछली, मसाले, ईंधन और बिजली की कीमतों में वृद्धि के कारण हुई। ईंधन और बिजली की महंगाई नवंबर में 2.32 फीसदी रही, जो अक्टूबर में 1.98 फीसदी थी।
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रेटिंग एजेंसी इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि कुछ सब्जियों की कीमतों में बढ़ोतरी और तुलनात्मक आधार सामान्य होते रहने से अगली खुदरा महंगाई 1.5 फीसदी को पार कर सकती है। उन्होंने कहा, “वृद्धि एवं महंगाई के बदलते परिदृश्य के साथ आगामी केंद्रीय बजट में घोषित होने वाले वित्तीय उपाय भी मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की अगली बैठक के फैसलों की राह दिखाएंगे। हमारा मत है कि फरवरी 2026 में एमपीसी नीतिगत ब्याज दर को स्थिर रखेगी।”
कोटक महिंद्रा बैंक की मुख्य अर्थशास्त्री उपासना भारद्वाज ने कहा, “महंगाई के आगे चलकर बढ़ने का अनुमान है लेकिन अगले वित्त वर्ष की पहली छमाही तक यह अपेक्षाकृत नियंत्रित ही रहेगी। आरबीआई ने अगले कदम आंकड़ों के आधार पर ही उठाने का संकेत दिया है, लिहाजा रीपो रेट में 0.25 फीसदी कटौती की संभावना बनी हुई है।”
हालांकि भारद्वाज ने कहा कि ब्याज दर में कटौती का दौर अब समाप्ति की ओर है, और इसके बाद लंबी अवधि के लिए दर में स्थिरता बनी रहेगी।
(PTI इनपुट के साथ)