ब्राजील के रियो डी जेनेरियो में 17वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने क्यूबा के राष्ट्रपति मिगुएल डियाज़-कैनल बर्मुदेज़ से द्विपक्षीय बैठक (Bilateral meeting) की। इससे पहले दोनों नेताओं की मुलाकात 2023 में जोहांसबर्ग में हुई थी, जहां क्यूबा को विशेष आमंत्रित देश के रूप में आमंत्रित किया गया था। दोनो राष्ट्राध्यक्षों के बीच आयुर्वेद, डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना और विकास सहयोग पर चर्चा हुई।
Also Read: BRICS Summit में ऐसा क्या बोले पीएम मोदी कि दुनिया ने बड़े ध्यान से सुना
विदेश मंत्रालय ने बताया कि बैठक के दौरान दोनों नेताओं ने भारत-क्यूबा द्विपक्षीय संबंधों की समीक्षा की और आर्थिक सहयोग, विकास साझेदारी, फिनटेक, क्षमता निर्माण, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, आपदा प्रबंधन और स्वास्थ्य सेवा जैसे क्षेत्रों में सहयोग को और मजबूत करने पर चर्चा की। क्यूबा के राष्ट्रपति ने भारत के डिजिटल क्षेत्र में विशेषज्ञता की सराहना की और भारत की डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (DPI) तथा यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) में गहरी रुचि दिखाई।
It was wonderful to meet President Miguel Díaz-Canel Bermúdez of Cuba. In our talks, we covered a wide range of subjects. Economic relations between our nations have a lot of potential to grow in the coming times. Equally promising are sectors like technology, healthcare and… pic.twitter.com/2VbLeenFtR
— Narendra Modi (@narendramodi) July 7, 2025
प्रधानमंत्री मोदी ने क्यूबा द्वारा आयुर्वेद को मान्यता देने की सराहना की और क्यूबा की सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली में आयुर्वेद को एकीकृत करने के प्रयासों में भारत का पूर्ण सहयोग देने की घोषणा की। उन्होंने भारतीय फार्माकोपिया को क्यूबा द्वारा मान्यता देने का प्रस्ताव रखा, जिससे क्यूबा को भारतीय जेनेरिक दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित हो सकेगी।
दोनों नेताओं ने वैश्विक दक्षिण से संबंधित मुद्दों—स्वास्थ्य, महामारी और जलवायु परिवर्तन—पर सहयोग को और गहरा करने पर सहमति व्यक्त की। उन्होंने बहुपक्षीय मंचों पर भारत और क्यूबा के बीच निरंतर सहयोग की भी सराहना की।
भारत उन पहले देशों में शामिल था, जिन्होंने जनवरी 1959 में क्यूबा क्रांति के बाद वहां की नई सरकार को मान्यता दी थी। इसके बाद, 30 जून से 4 जुलाई 1959 के बीच क्यूबा के क्रांतिकारी नेता मेजर अर्नेस्टो चे ग्वेरा (Che Guevara) का भारत दौरा हुआ, जिसने दोनों देशों के बीच कूटनीतिक संबंधों की नींव को मजबूत किया। इस यात्रा के बाद भारत और क्यूबा ने अपनी-अपनी राजधानियों में दूतावास स्थापित किए और 12 जनवरी 1960 को भारत के पहले राजनयिक प्रतिनिधि ने हवाना में अपने credentials प्रस्तुत किए थे।
अमेरिका- क्यूबा के द्विपक्षीय संबंध ऐतिहासिक रूप से जटिल और तनावपूर्ण रहे हैं। हालांकि 2015 में ओबामा प्रशासन के कार्यकाल में संबंधों को सामान्य करने के लिए ठोस पहल हुई, लेकिन इसके बाद की सरकारों में इन प्रयासों को कई झटके लगे हैं।
अमेरिका ने 1961 में हवाना स्थित अपना दूतावास बंद कर दिया और क्यूबा पर शस्त्र प्रतिबंध लगा दिया। इससे दोनों देशों के बीच सभी आधिकारिक संपर्क समाप्त हो गए। 1962 में कैनेडी प्रशासन ने क्यूबा पर व्यापक व्यापार प्रतिबंध (Trade Embargo) लागू कर दिया, जो आज भी प्रभावी है। इस प्रतिबंध के तहत दोनों देशों के बीच वाणिज्यिक, आर्थिक और वित्तीय गतिविधियों पर गंभीर प्रतिबंध लगे हुए हैं।
भारतीय कंपनियां नियमित रूप से क्यूबा के सबसे बड़े व्यापार मेले FIHAV (Havana International Fair) में भाग लेती रही हैं। 2017 में केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री सुरेश प्रभु के नेतृत्व में भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने भाग लिया, जिसमें 28 भारतीय प्रदर्शकों ने ITPO और EEPC के साथ भागीदारी की। FIEO और क्यूबा चैंबर ऑफ कॉमर्स के बीच छह प्राथमिक क्षेत्रों—फार्मास्यूटिकल्स, पर्यटन, नवीकरणीय ऊर्जा, चीनी उद्योग, जैव प्रौद्योगिकी और अवसंरचना विकास—में सहयोग हेतु MoU भी हस्ताक्षरित हुआ।
मार्च 2021 में आयोजित INDIA: LAC IT Connect कार्यक्रम में क्यूबा के IT पेशेवरों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। इसके अतिरिक्त, डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर और DigiLocker पर भारत-लैटिन अमेरिका वर्चुअल बैठकें भी आयोजित की गईं, जिनमें क्यूबा ने सक्रिय भागीदारी की।
भारत ने क्यूबा को समय-समय पर आपदा राहत सहायता प्रदान की है। इसमें वर्ष 2008 के तूफानों (गुस्ताव, आईक और पेलोमा) के बाद 20 लाख डॉलर, 2016 में मैथ्यू तूफान के बाद 10 लाख डॉलर की चिकित्सा सामग्री, और 2017 में इरमा तूफान के बाद 1.5 लाख डॉलर की वित्तीय सहायता शामिल है।
NIIT द्वारा क्रियान्वित “इंडिया-क्यूबा नॉलेज सेंटर” ने 1900 से अधिक क्यूबाई पेशेवरों को प्रशिक्षित किया। 2018 में भारत ने क्यूबा के कृषि क्षेत्र में सहायता हेतु 60 ट्रैक्टर दान किए। कोविड-19 की पहली लहर के दौरान नवंबर 2020 में भारत ने 524 बॉक्स जीवन रक्षक दवाएं भेजीं। 2022-23 में भारत से चावल की आपूर्ति हेतु अल्पकालिक ऋण सुविधा के तहत सहायता दी गई।
ITEC कार्यक्रम के तहत फिल्म निर्माण और AI जैसे विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन भी क्यूबा के लिए किया गया। फरवरी-मार्च 2025 में CDAC, नई दिल्ली में 20 क्यूबाई IT विशेषज्ञों को AI का विशेष प्रशिक्षण प्रदान किया गया।
भारत ने क्यूबा को कृषि, खाद्य प्रसंस्करण और नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं के लिए $243 मिलियन की लाइन ऑफ क्रेडिट प्रदान की है। इसके अतिरिक्त, भारत सरकार ने 80 टन API (Active Pharmaceutical Ingredients) यूरो 10 मिलियन मूल्य के, जून 2024 में भेजे, जो जुलाई में मारियल पोर्ट, हवाना पहुंचे और 8 अगस्त को औपचारिक रूप से क्यूबा को सौंपे गए। ये APIs छह महीने से एक वर्ष तक की एंटीबायोटिक्स की कमी को पूरा करने में सहायक होंगे।
2024 के अंत में आए तूफान ‘ऑस्कर’ और ‘राफेल’ तथा भूकंपों के कारण उत्पन्न आपात स्थिति में भारत ने जनवरी 2025 में 10 लाख डॉलर मूल्य की जीवन रक्षक दवाओं और एंटीबायोटिक्स की आपातकालीन सहायता भेजी।
भारत ने क्यूबा को ऊर्जा क्षेत्र में तीन प्रमुख परियोजनाओं के लिए लाइंस ऑफ क्रेडिट प्रदान किए हैं:
भारत और क्यूबा के बीच स्वास्थ्य, पारंपरिक चिकित्सा और जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सहयोग के लिए कई समझौते हुए हैं। 6 नवंबर 2019 को हवाना के “ला प्राडेरा” अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य केंद्र में पंचकर्म केंद्र स्थापित किया गया। भारत ने वहां एक आयुर्वेद विशेषज्ञ और दो चिकित्सकों को भेजा।
क्यूबा ने WHO द्वारा भारत में आयोजित पहले वैश्विक प्राकृतिक चिकित्सा सम्मेलन (18 अगस्त 2023) में भाग लिया। अंतरराष्ट्रीय योग दिवस और आयुर्वेद दिवस को क्यूबा में सरकारी समर्थन के साथ भव्य रूप से मनाया जाता है। 6वां आयुर्वेद दिवस 10 नवंबर 2023 को और 7वां अंतरराष्ट्रीय योग दिवस 25 जून 2024 को हवाना के सबसे बड़े स्टेडियम Colosio de la Ciudad Deportiva में मनाया गया।
Explainer: 57 साल बाद भारतीय प्रधानमंत्री की Argentina यात्रा, क्या थी पीएम मोदी की रणनीति
BRICS वित्त मंत्रियों की बैठक में निर्मला सीतारमण, Global South के वित्तीय पहलू पर अहम बातचीत
BRICS Summit में ऐसा क्या बोले पीएम मोदी कि दुनिया ने बड़े ध्यान से सुना