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नवंबर में थोक महंगाई बढ़कर -0.32%, मैन्युफैक्चर्ड प्रोडक्ट्स की महंगाई घटकर 1.33% पर आई

थोक महंगाई दर अक्टूबर में -1.21% थी। नवंबर में महंगाई की दर नकारात्मक रहने की मुख्य वजह खाने-पीने की वस्तुओं, खनिज तेल, कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस की कीमतों में आई नरमी रही।

Last Updated- December 15, 2025 | 12:54 PM IST
India WPI Inflation November 2025
Representational Image

थोक महंगाई दर (WPI) नवंबर में बढ़कर -0.32% हो गई, जो अक्टूबर में -1.21% थी। इसमें मासिक आधार पर दालों और सब्जियों जैसी खाद्य वस्तुओं की कीमतों में बढ़ोतरी का असर देखा गया। वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय की ओर से सोमवार को आंकड़े जारी किये। उद्योग मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि नवंबर 2025 में महंगाई की नकारात्मक दर का मुख्य वजह खाने-पीने की वस्तुओं, खनिज तेल, कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस, बेस मेटल्स के निर्माण और बिजली की कीमतों में कमी है।

WPI के आंकड़ों के मुताबिक, खाद्य वस्तुओं में महंगाई नवंबर में (-) 4.16 प्रतिशत रही, जबकि अक्टूबर में यह (-) 8.31 प्रतिशत थी। सब्जियों में नवंबर में (-) 20.23 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई, जबकि अक्टूबर में यह गिरावट (-) 34.97 प्रतिशत थी। दालों में नवंबर के दौरान महंगाई (-) 15.21 प्रतिशत रही। वहीं आलू और प्याज में यह क्रमशः (-) 36.14 प्रतिशत और (-) 64.70 प्रतिशत रही।

मैन्युफैक्चर्ड प्रोडक्ट्स के मामले में नवंबर में महंगाई घटकर 1.33 प्रतिशत रह गई, जो अक्टूबर में 1.54 प्रतिशत थी। फ्यूल एंड पावर क्षेत्र में नवंबर में (-) 2.27 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई, जबकि अक्टूबर में यह (-) 2.55 प्रतिशत थी।

नवंबर में खुदरा महंगाई दर बढ़कर 0.71%

इस बीच, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) आधारित खुदरा महंगाई नवंबर में बढ़कर 0.71% हो गई, जो अक्टूबर में 0.25% थी। नवंबर में खुदरा महंगाई बढ़ने की मुख्य वजह सब्जियों, अंडे, मांस और मछली, मसाले, और ईंधन व बिजली की कीमतों में बढ़ोतरी रही।

मुख्य महंगाई दर पिछले दो महीनों से गिरावट के दौर में बनी हुई थी। हालांकि अगस्त में इसमें हल्की बढ़ोतरी देखी गई थी, जो पिछले 10 महीनों में पहली बार मासिक आधार पर आई बढ़त थी।

खुदरा महंगाई दर पर RBI की नजर

चालू वित्त वर्ष में कम महंगाई ने भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) को नीतिगत ब्याज दरों में 1.25 प्रतिशत अंक तक कटौती की गुंजाइश दी है। इस महीने की शुरुआत में RBI ने चालू वित्त वर्ष के लिए महंगाई का अनुमान 2.6 प्रतिशत से घटाकर 2 प्रतिशत कर दिया था, क्योंकि अर्थव्यवस्था में तेजी से डिसइन्फ्लेशन देखा जा रहा है। RBI मुख्य रूप से खुदरा महंगाई को आधार बनाकर नीतिगत ब्याज दरों का फैसला करता है।

RBI ने घटाया था रीपो रेट

इससे पहले इस महीने RBI ने प्रमुख नीतिगत ब्याज दरों में 25 बेसिस पॉइंट की कटौती कर इसे 5.25 प्रतिशत कर दिया था। केंद्रीय बैंक ने कहा था कि भारतीय अर्थव्यवस्था इस समय एक “रेयर गोल्डीलॉक्स पीरियड” में है, जहां ऊंची विकास दर और कम महंगाई दोनों साथ मौजूद हैं। RBI ने पिछले सप्ताह FY26 के लिए GDP ग्रोथ अनुमान बढ़ाकर 7.3 प्रतिशत कर दिया, जो पहले 6.8 प्रतिशत था। भारत ने सितंबर तिमाही में 8.2 प्रतिशत और जून तिमाही में 7.8 प्रतिशत की आर्थिक वृद्धि दर्ज की।

First Published - December 15, 2025 | 12:41 PM IST

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