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Sugar production: चीनी उत्पादन में तेजी, लेकिन मिलों के सामने वित्तीय संकट बरकरार

चीनी सत्र 2025–26 की शुरुआत में देश में चीनी उत्पादन और गन्ना पेराई में तेज बढ़ोतरी दर्ज की गई है, लेकिन गिरती कीमतों के कारण चीनी मिलों की वित्तीय चुनौतियां बनी हुई हैं।

Last Updated- December 15, 2025 | 2:44 PM IST
Sugar prduction
Representative Image

Sugar production: चीनी सत्र 2025–26 की शुरुआत बेहतर रही है। देश की किसान-स्वामित्व वाली सहकारी चीनी मिलों की शीर्ष संस्था नेशनल फेडरेशन ऑफ कोऑपरेटिव शुगर फैक्ट्रीज लिमिटेड (NFCSF) के मुताबिक 15 दिसंबर 2025 तक देशभर की 479 चीनी मिलों ने 77.90 लाख टन चीनी का उत्पादन किया है, जबकि पिछले वर्ष इसी अवधि में 473 मिलों ने 60.70 लाख टन उत्पादन किया था। यह 17.20 लाख टन यानी 28.34 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है। इसी अवधि में गन्ना पेराई 25.61 प्रतिशत बढ़कर 183.75 लाख अधिक रही है। साथ ही चीनी रिकवरी में भी सुधार देखा गया है।

चीनी उत्पादन का राज्यवार प्रदर्शन

उत्तर प्रदेश में 120 मिलों ने 264 लाख टन गन्ने की पेराई कर 25.05 लाख टन चीनी का उत्पादन किया है, जहां औसत रिकवरी 9.50 प्रतिशत रही। पिछले वर्ष यह आंकड़ा 22.95 लाख टन और रिकवरी 8.90 प्रतिशत थी। महाराष्ट्र में 190 मिलों ने 379 लाख टन गन्ने की पेराई कर 31.30 लाख टन चीनी का उत्पादन किया, जबकि पिछले साल इसी अवधि में उत्पादन केवल 16.80 लाख टन था। कर्नाटक में 76 मिलों ने 186 लाख टन गन्ने की पेराई कर 15.50 लाख टन चीनी का उत्पादन किया, जो पिछले वर्ष 13.50 लाख टन था। अन्य चीनी उत्पादक राज्यों ने 93 मिलों के माध्यम से 6.05 लाख टन चीनी का उत्पादन किया, जबकि पिछले वर्ष यह 7.45 लाख टन था।

 चीनी कीमतों में गिरावट से बढ़ी परेशानी

उत्पादन में वृद्धि के बावजूद चीनी मिलों की वित्तीय स्थिति गंभीर बनी हुई है। ऑल इंडिया औसत एक्स-मिल चीनी कीमतें सत्र की शुरुआत से अब तक लगभग 2,300 रुपये गिरकर 37,700 रुपये प्रति टन के आसपास पहुंच गई हैं। इससे मिलों की नकदी स्थिति प्रभावित हो रही है और गन्ना भुगतान में कठिनाई आ रही है।

एमएसपी 41 रुपये किलो करने की मांग

NFCSF ने सरकार से चीनी का न्यूनतम बिक्री मूल्य ( MSP) बढ़ाकर 41 रुपये प्रति किलो करने, एथेनॉल खरीद मूल्य में वृद्धि करने तथा अतिरिक्त 5 लाख टन चीनी को एथेनॉल उत्पादन की ओर मोड़ने की मांग की है। फेडरेशन के अनुसार, इस अतिरिक्त एथेनॉल उत्पादन से लगभग 2,000 करोड़ रुपये का राजस्व सृजित हो सकता है, जिससे मिलों की नकदी स्थिति मजबूत होगी और किसानों को समय पर भुगतान सुनिश्चित किया जा सकेगा। NFCSF ने यह भी कहा कि यदि 5 लाख टन चीनी को एथेनॉल में परिवर्तित करने का प्रस्ताव स्वीकार किया जाता है, तो विशेष रूप से महाराष्ट्र और कर्नाटक में शुद्ध चीनी उत्पादन का दबाव कम होगा और बाजार में अधिशेष स्थिति नियंत्रित की जा सकेगी।

किसानों के 1.30 लाख करोड़ रुपये बकाया

फेडरेशन के अनुसार चालू सत्र में किसानों को लगभग 1.30 लाख करोड़ रुपये का गन्ना भुगतान किया जाना है, जबकि अधिशेष चीनी भंडार के कारण करीब 28,000 करोड़ रुपये की कार्यशील पूंजी फंसी रहने की आशंका है। बढ़ती FRP और SAP दरों के साथ कटाई और परिवहन लागत में तेज वृद्धि ने चीनी उत्पादन की लागत को और बढ़ा दिया है।

चीनी उद्योग की प्रधानमंत्री और केंद्रीय मंत्री से गुहार

NFCSF ने प्रधानमंत्री और केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री को विस्तृत ज्ञापन सौंपकर तत्काल सुधारात्मक नीतिगत कदम उठाने का आग्रह किया है।

NFCSF के अध्यक्ष हर्षवर्धन पाटिल ने कहा कि सहकारी चीनी मिलें करोड़ों किसानों की संपत्ति हैं और मौजूदा चीनी सत्र की सकारात्मक गति बनाए रखने के लिए इस समय सरकार का निर्णायक समर्थन बेहद जरूरी है। उन्होंने कहा कि समय पर निर्णय से गन्ना भुगतान सुनिश्चित होगा, किसानों की आय सुरक्षित रहेगी और सहकारी चीनी व्यवस्था में विश्वास बना रहेगा।NFCSF ने चीनी सत्र 2025–26 के लिए 15 लाख टन चीनी निर्यात की अनुमति देने के केंद्र सरकार के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि यह कदम गन्ना किसानों को सशक्त बनाने और चीनी क्षेत्र को समर्थन देने की सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। हालांकि, फेडरेशन ने आगाह किया कि केवल निर्यात की अनुमति से सहकारी चीनी मिलों के सामने खड़े गहरे नकदी संकट का समाधान संभव नहीं है।

First Published - December 15, 2025 | 1:13 PM IST

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