Water Taxi Services: मुंबई की भीड़ भाड़ और ट्रैफिक जाम की समस्या से मुंबईकरों को निजात दिलाने के लिए केबल टैक्सी और वाटर टैक्सी चालू करने की कवायद शुरू हो चुकी है। केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने मुंबईकरों को एक बार फिर भरोसा दिलाया है कि जल्द ही ट्रैफिक की समस्या से राहत मिलेगी। इसके लिए वाटर टैक्सी की शुरुआत की जाएगी और इन टैक्सियों के निर्माण में कंपोजिट मटेरियल्स के उपयोग पर जोर दिया जाएगा।
मुंबई में आयोजित रिइंफोर्सड प्लास्टिक (आईसीईआरपी) 2025 पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि मुंबई-वसई- कल्याण-डोंबिवली के अलावा नवी मुंबई अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे से केवल 17 मिनट में जुड़ने वाली प्रस्तावित वाटर टैक्सी सर्विस के लिए कंपोजिट मटेरियल्स के उपयोग पर जोर दिया। इस सर्विस में एफआरपी से बनी लगभग 10,000 टैक्सियों की आवश्यकता होगी।
गडकरी ने बताया कि नवी मुंबई अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के पास जेटी का निर्माण पहले ही किया जा चुका है, जिसका संचालन मार्च 2025 तक शुरू हो जाएगा। उन्होंने कहा कि मुंबई और ठाणे के आस-पास के विशाल समुद्री मार्गों का उपयोग करके और टैक्सियों के लिए मिश्रित सामग्री (कंपोजिट मटेरियल्स) के साथ, हम भारी यातायात और वायु प्रदूषण को काफी हद तक कम कर सकते हैं।
गडकरी ने कहा कि एफआरपी इंस्टीट्यूट को कंपोजिट की गुणवत्ता को बरकरार रखते हुए और लागत चुनौतियों का समाधान करते हुए इस सामग्री के संभावित उपयोगों की खोज करनी चाहिए ताकि देश के विकास में इसका योगदान बढ़ सके। कंपोजिट आशाजनक हैं, यदि उन्नत तकनीक और स्थानीय कच्चे माल का उपयोग करके 25-30 फीसदी की कमी की जाती है तो इस उद्योग को बढ़ावा मिलेगा क्योंकि इसके अप्लीकेशन रक्षा, ऑटोमोटिव, शिपिंग, इंफ्रास्ट्रक्चर, कंस्ट्रक्शन, एयरोस्पेस आदि में हैं। कंपोजिट एक भविष्य का मटेरियल है, और यह बुनियादी ढांचे के विकास, इनोवेशन और प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा दे सकता है, जिससे देश की प्रगति को काफी लाभ होगा।
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आईसीईआरपी 2025 की अध्यक्ष पिया ठक्कर ने कहा कि भारतीय कम्पोजिट इंडस्ट्री अब अपनी वृद्धि के साथ गति पकड़ रही है। जैसे-जैसे भारत विश्व का इकोनॉमिक लीडर बनने की ओर अग्रसर है, भारतीय कम्पोजिट उद्योग के लिए भविष्य बहुत उज्ज्वल दिखाई देता है। 4.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर का भारतीय कम्पोजिट उत्पाद उद्योग जिसे रिइंफोर्सड प्लास्टिक के रूप में भी जाना जाता है, 2030 में 7.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है।
भारत कम्पोजिट उद्योग के लिए एक ग्लोबल मैन्यूफैक्चरिंग हब बन रहा है। यह नए तकनीकी विचारों के साथ लागत प्रभावी उत्पादों को डिजाइन, विकसित और बनाने के लिए जाना जाता है। यह भारत को कम्पोजिट मटेरियल्स के स्रोत के लिए दुनिया का शीर्ष स्थान बनने के लिए एक अच्छी स्थिति है। एफआरपी संस्थान का कहना है कि भारतीय कम्पोजिट मटेरियल उद्योग तेजी से बढ़ रहा है। यह 2027 तक 768.2 किलोटन का उपयोग करेगा। यह वृद्धि कारों, विमानों, रक्षा, भवन और स्वच्छ ऊर्जा में हो रही है।
एफआरपी इंस्टीट्यूट के अनुसार, भारतीय कंपोजिट कच्चे माल का बाजार 2024 के अंत तक 1.8 बिलियन अमेरिकी डॉलर पर आंका गया है। घरेलू कंपोजिट मटेरियल्स उद्योग 2030 तक 2.8 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने के लिए 7.8 फीसदी सीएजीआर से बढ़ता रहेगा। कंपोजिट एंड-प्रोडक्ट मार्केट 2024 में 4.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर है और 2030 तक 7.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है। 2023 में भारत में कंपोजिट की प्रति व्यक्ति खपत लगभग 0.55 किलोग्राम थी। यह अन्य देशों की तुलना में बहुत कम है। उदाहरण के लिए, यूएसए में यह प्रति व्यक्ति 11.5 किलोग्राम है, और जर्मनी में यह 7.7 किलोग्राम है।