पिछले महीने 23 जून को जब विपक्षी नेताओं का बिहार की राजधानी पटना में जुटान हुआ था तो उन्होंने तमिलनाडु, महाराष्ट्र, बिहार और झारखंड में गठबंधन तय कर लिया था। इनमें से अविभाजित बिहार और महाराष्ट्र में इस गठबंधन ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को सबसे ज्यादा परेशान किया। साल 2019 में भाजपा और उसके घटक दलों ने महाराष्ट्र, बिहार और झारखंड की 102 सीटों में से 92 सीटों पर जीत हासिल की थी। लेकिन, चार साल बाद स्थिति बदल गई और इसकी पूर्व सहयोगी जनता दल (यूनाइटेड) और उद्धव ठाकरे की शिवसेना विपक्ष के साथ खड़ी हो गई।
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) नेता अजित पवार के एकनाथ शिंदे और भाजपा सरकार में शामिल होने के एक दिन बाद सोमवार को एनसीपी के दोनों गुट पार्टी नेताओं को अपनी ओर करने में व्यस्त रहे। इससे पहले रविवार को राकांपा नेता अजित पवार पार्टी के अन्य आठ विधायकों के साथ महाराष्ट्र सरकार में शामिल हो गए थे, जहां पवार ने उप मुख्यमंत्री पद की शपथ ली जबकि अन्य विधायकों ने मंत्री पद की शपथ ली।
उनके आरोप-प्रत्यारोप से परे, राकांपा की इस टूट ने अगले साल होने वाले आम चुनाव और विधानसभा चुनावों के लिए महाविकास आघाडी की तैयारी को पिछले साल हुई शिवसेना की टूट से कहीं अधिक नुकसान पहुंचाया है। इससे विपक्षी एकता के प्रयासों पर भी झटका लगा है और अन्य विपक्षी दलों के बीच पार्टी के कद्दावर नेता रहे शरद पवार का भी कद कम कर दिया है।
कुछ विपक्षी दलों को अब यह संदेह हो रहा है कि पार्टी के वरिष्ठ नेता शरद पवार, उनकी बेटी सुप्रिया सुले को इसका अंदेशा नहीं था कि उनकी पार्टी के अजित पवार, प्रफुल्ल पटेल जैसे वरिष्ठ नेता क्या योजना बना रहे हैं। लेकिन, महाराष्ट्र की राजनीति में अचानक हुए इस घटनाक्रम से राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार की अपने विधायकों की सदस्यता के अयोग्य होने की स्थिति में एकनाथ शिंदे की शिवसेना पर निर्भरता खत्म कर दी है।
इधर, शरद पवार ने अपनी पार्टी को फिर से खड़ा करने के लिए लोगों के बीच जाने का निर्णय लिया है। 5 जुलाई को दोनों गुट की होने वाली बैठकों से पता चल जाएगा कि पार्टी के अधिकतर विधायक और कार्यकर्ता 82 वर्षीय इस कद्दावर नेता के साथ हैं या 63 वर्षीय उनके भतीजे के साथ। भारतीय राजनीति एनटी रामाराव, मुलायम सिंह यादव और हरियाणा देवीलाल सहित पार्टी के ऐसे सुप्रीमो से भरी पड़ी है, जो पार्टी में विद्रोह रोकने में नाकाम रहे।
सोमवार को, शरद पवार ने पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष रहे प्रफुल्ल पटेल और लोकसभा सांसद सुनील तटकरे को पार्टी विरोधी गतिविधियों में संलिप्त होने के कारण बर्खास्त कर दिया। तटकरे की बेटी अदिति रविवार को शपथ लेने वाले मंत्रियों में शामिल थीं।
राकांपा के कार्यकारी अध्यक्ष पद से हटाए जाने के तुरंत बाद, प्रफुल्ल पटेल ने सोमवार की शाम जयंत पाटिल की जगह तटकरे को पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बना दिया और महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री अजित पवार को विधायक दल का नेता नियुक्त किया। राज्यसभा सदस्य पटेल को पिछले महीने ही राकांपा का कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया गया था। उन्होंने सोमवार को संवाददाता सम्मेलन में घोषणा की कि अजित पवार राकांपा की ओर से विधायक दल के नेता होंगे। पटेल ने कहा, ‘आज (सोमवार) गुरु पूर्णिमा है और हम सभी लोग यही कामना कर रहे हैं कि शरद पवार का आशीर्वाद हमें मिलता रहेगा।’ संवाददाता सम्मेलन में मौजूद रहे उप मुख्यमंत्री अजित पवार ने कहा कि उन्हें अधिकतम राकांपा विधायकों का पार्टी के चुनाव चिह्न के लिए भी समर्थन मिल चुका है। अजित ने कहा कि उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष को पत्र लिखकर जयंत पाटिल और जितेंद्र आव्हाड को सदन से अयोग्य घोषित करने की मांग की है।
अजित पवार ने कहा, ‘हम जो कुछ भी कर रहे हैं वह पार्टी के हित के लिए कर रहे हैं। हम अपनी पार्टी को और मजबूत करेंगे।’ यह पूछे जाने पर कि राकांपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष कौन हैं, इस पर अजित ने तुरंत कहा कि पार्टी के अध्यक्ष शरद पवार ही हैं, आप भूल गए हैं क्या? अजित ने कहा, ‘कानून तय करेगा कि हमने विद्रोह किया है या नहीं। सिर्फ भारत का चुनाव आयोग तय करेगा कि पार्टी किसकी है।’