महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण का मुद्दा शांत होता नजर नहीं आ रहा है। महाराष्ट्र के मंत्री छगन भुजबल ने मराठा आरक्षण पर मसौदा अधिसूचना को लेकर राज्य सरकार पर निशाना साधते हुए दावा किया कि उनके अधिकारों के अतिक्रमण के लिए ओबीसी आरक्षण में पिछले दरवाजे से प्रवेश के लिए लाखों हलफनामे जमा कराए जा रहे हैं। साथ ही मराठा आरक्षण अधिसूचना को ओबीसी संगठनों द्वारा अदातल में चुनौती दी गई है। मराठा आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जरांगे ने सरकार को चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांग पूरी नहीं की जाती है तो वह 10 फरवरी से आमरण अनशन करेंगे।
भुजबल और मराठा आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जरांगे के बीच तीखा वाकयुद्ध देखने को मिल रहा है। भुजबल ने राज्य सरकार पर जरांगे के सामने समर्पण करने का आरोप लगाया है। भुजबल ने कहा कि जो कुछ भी मराठा आरक्षण के नाम पर हो रहा है वह भीड़तंत्र के सामने आत्मसमर्पण के अलावा कुछ नहीं है। ओबीसी और वीजेएनटी (विमुक्त जाति और घुमंतू जनजातियों) के अधिकारों पर अतिक्रमण करने के लिए पिछले दरवाजे से प्रवेश करने के वास्ते लाखों हलफनामे जमा किए जा रहे हैं। गांवों में गुस्से का माहौल है।
मराठा आरक्षण के मुद्दे पर विशेषज्ञों का कहना है कि समुदाय को अलग आरक्षण दिया जाना चाहिए। हम भी यही बात कहते हैं। संबंधित अधिसूचना में कहा गया है कि कुनबी जाति के साक्ष्य वाले किसी मराठा व्यक्ति के रक्त संबंधी कुनबी (ओबीसी जाति) प्रमाणपत्र हासिल करने के पात्र हैं।
मसौदा अधिसूचना के खिलाफ भुजबल के विरोध पर उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस कह चुके हैं कि वह अपने कैबिनेट सहयोगी की चिंताओं को दूर करेंगे। भुजबल ने घोषणा की थी कि मराठा आरक्षण के संबंध में सरकार के फैसले के खिलाफ एक फरवरी को विधायकों, सांसदों और तहसीलदारों के आवासों के बाहर विरोध प्रदर्शन किया जाएगा।
दूसरी तरफ मराठा आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जरांगे ने मराठाओं को कुनबी जाति के प्रमाणपत्र जारी करने को लेकर महाराष्ट्र सरकार की मसौदा अधिसूचना को लागू करने की मांग की और चेतावनी दी कि अगर उनकी मांग पूरी नहीं की जाती है तो वह 10 फरवरी से आमरण अनशन करेंगे।
जरांगे ने कहा कि मराठाओं को सरकारी नौकरियों तथा शिक्षा में आरक्षण के लाभ हासिल करने के लिए कुनबी जाति के प्रमाणपत्र दिए जाने के वास्ते अधिसूचना को कानून में बदलने के लिए राज्य विधानमंडल का एक विशेष सत्र बुलाया जाना चाहिए।
मराठों को कुनबी प्रमाणपत्र देने को लेकर पिछले हफ्ते जारी महाराष्ट्र सरकार के जीआर ड्राफ्ट को ओबीसी वेलफेयर फाउंडेशन की ओर से वकील मंगेश ससाने ने बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दायर की है।
याचिका में कहा गया है कि राज्य सरकार ने मराठाओं के परिजनों को कुनबी प्रमाणपत्र देने का निर्णय लिया है, यह संविधान के विरुद्ध है। इसलिए मराठा आरक्षण को लेकर शिंदे सरकार के रुख को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है।