राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के प्रमुख शरद पवार ने भारत में आनुवंशिक रूप से संशोधित GM Crops की वकालत की तो इस पर एक बार फिर से बहस छिड़ गई। खाद्य तेल व्यापारियों ने जीएम फसलों की वकालत का कड़ा विरोध करते हुए कहा कि अनुवांशिक रूप से संशोधित फसलों को अनुमति देने से देश की जमीन और पर्यावरण एवं उपभोक्ताओं पर इसका दुष्प्रभाव होगा।
अखिल भारतीय खाद्य तेल व्यापारी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं कॉन्फडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAT) के महाराष्ट्र प्रदेश के महामंत्री शंकर ठक्कर ने कहा पिछले कुछ समय से देश के अंदर अनुवांशिक रूप से संशोधित यानी की जीएम फसलों द्वारा उत्पादन बढ़ाने के लिए वकालत की जा रही है। कुछ राजनीतिक दलों की तरफ से इनके पक्ष में बयान दिया जा रहा है और किसानों को इसके पक्ष में खड़ा करने के लिए इनके फायदे गिनाएं जा रहे हैं लेकिन इसके दुष्परिणामों के बारे में नहीं बताया जा रहा है।
ठक्कर ने कहा अनुवांशिक रूप से संशोधित फसलों को अनुमति देने से देश की जमीन और पर्यावरण एवं उपभोक्ताओं पर पढ़ने वाले दुष्प्रभाव का परीक्षण किए जाने के बाद ही इस पर विचार होना चाहिए अन्यथा देश की फसलें और आने वाली नस्लें बर्बाद हो सकती है।
कारोबारियों का कहना है कि तिलहन के मामले में हम अन्य देशों पर निर्भर है देश की खपत का 65 फीसदी से अधिक तिलहन या खाद्य तेल हमें आयात करना पड़ता है इसलिए मजबूरी में सरकार यदि थोड़ी मात्रा में जीएम फसलों से उत्पादित तेल या तिलहन देश में आयत करने की अनुमति दे रही है लेकिन इस पर भी सरकार ने परीक्षण कर ऐसे तेलों के उत्पाद पर जीएम फसलों द्वारा उत्पादित है ऐसा अवश्य लिखना चाहिए।
राकांपा प्रमुख शरद पवार ने रविवार को कहा था कि भारत में जीएम फसलों का परीक्षण प्रतिबंधित है, जबकि देश में ऐसी कृषि उपज के आयात की अनुमति है।
पवार कहा कि चूंकि इस तरह के परीक्षण भारत में प्रतिबंधित हैं, इसलिए देश जीएम फसलों के संबंध में आगे नहीं बढ़ सकता है। जीएम फसलों पर उच्चतम न्यायालय द्वारा पहले कुछ फैसले लिए गए थे और आज इसका दुष्प्रभाव देखा जा सकता है। इसमें बदलाव जरूरी है। आज हम (जीएम) अमेरिकी खाद्यान्न (तिलहन) से ठीक हैं। लेकिन किसानों को जीएम से कुछ भी उगाने की मनाही है।
उन्होंने कहा कि जीएम फसल से खाद्य तेल भारत में मलेशिया, ब्राजील और अमेरिका से आयात किया जाता है। भारत जीएम तिलहन खरीदता है, उन्हें संसाधित करता है और फिर अपने लोगों को तेल की आपूर्ति करता है, लेकिन देश में जीएम फसलों के परीक्षण पर प्रतिबंध है। यदि परीक्षण नहीं किए जाते हैं, तो किसानों को नई किस्में कैसे मिलेंगी?
पवार ने कहा कि जीएम फसलों पर केंद्र की नीति यह है कि लगातार तीन वर्षों तक परीक्षण किया जाना चाहिए और जानवरों पर भी इसका कोई दुष्प्रभाव नहीं होना चाहिए। आज चूंकि परीक्षणों पर प्रतिबंध लगा दिया गया है, इसलिए हम (जीएम फसल के संबंध में) आगे नहीं बढ़ सके।