मैनहैटन की अंतरराष्ट्रीय व्यापार अदालत द्वारा विभिन्न देशों के विरुद्ध अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के जवाबी शुल्क सहित तमाम शुल्क को अवैध ठहराए जाने के बीच भारत ने कहा है कि अमेरिका के साथ द्विपक्षीय व्यापार वार्ता पर कोई असर नहीं पड़ेगा। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के सालाना सम्मेलन में आज स्पष्ट किया कि अमेरिका के साथ व्यापार वार्ता सही दिशा में आगे बढ़ रही है।
गोयल ने कहा, ‘भारत कभी दूसरे देशों के आंतरिक मामलों में दखल नहीं देता। मुझे यकीन है कि भारत आने वाले दिनों में अमेरिका तथा अन्य देशों के साथ परस्पर लाभकारी व्यापारिक समझौते करने में सफल रहेगा।’ वाणिज्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर बताया कि यह अमेरिका की आंतरिक कानूनी लड़ाई है और हमें उसमें पड़ने की जरूरत नहीं है। भारत के साथ बातचीत पहले की तरह चलती रहेगी। एक अन्य अधिकारी ने बताया कि 5 और 6 जून को अमेरिकी कारोबारी अधिकारियों का एक प्रतिनिधिमंडल अगले दौर की बातचीत के लिए भारत आने वाला है।
सीआईआई के कार्यक्रम में अमेरिका के साथ भारत के मुख्य वार्ताकार और मनोनीत वाणिज्य सचिव राजेश अग्रवाल ने कहा, ‘विचार यह था कि दोनों पक्षों के नैसर्गिक संबंधों का लाभ लिया जाए। समग्र बातचीत शुल्क, व्यापार घाटे के इर्दगिर्द केंद्रित रही। एक बड़े बाजार के रूप में उनको इन चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा क्योंकि उनका बाजार साल दर साल भारी घाटे से गुजर रहा है। यह बात हमारी व्यापारिक साझेदारी की राह में आड़े नहीं आनी चाहिए। हमें एक साझेदारी को अंजाम देने की दिशा में काम करना चाहिए जहां स्वाभाविक तुलनात्मक लाभ हों और दोनों पक्षों के कारोबारों के लिए तुलनात्मक प्राथमिकता हो। हम आगे बढ़ रहे हैं। उम्मीद की जानी चाहिए कि जल्दी ही हम इस कठिन समय से पार पाने में कामयाब रहेंगे और जल्दी ही अच्छा नतीजा निकलेगा।’
इस बीच जीटीआरआई के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा कि भारत को अमेरिका के साथ द्विपक्षीय व्यापार समझौते में सावधानी के साथ आगे बढ़ना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘ट्रंप के दौर के ये शुल्क न केवल विश्व व्यापार संगठन के नियमों का उल्लंघन हैं बल्कि अमेरिकी अदालत ने भी अब यह पुष्टि कर दी है कि वे अमेरिका के घरेलू कानूनों के भी खिलाफ हैं। ट्रंप शुल्क की अवैधानिकता को देखते हुए भारत को फिलहाल रुक जाना चाहिए और अपनी बातचीत की रणनीति पर नए सिरे से विचार करना चाहिए। उसके बाद भी उसे ऐसे किसी समझौते पर आगे बढ़ना चाहिए क्योंकि वह अनुचित ढंग से अमेरिका के हितों का पोषण करने वाला हो सकता है।’
अमेरिका की अंतरराष्ट्रीय कारोबार अदालत ने बुधवार को कहा कि राष्ट्रपति ने आपात शक्तियों का इस्तेमाल करके शुल्क लगाने में अपने अधिकारों का अतिक्रमण किया है। अदालत ने कहा कि संघीय कानून इसकी इजाजत नहीं देते। तीन न्यायाधीशों के पीठ ने कहा कि ट्रंप प्रशासन 10 दिन के भीतर नए आदेश जारी करके स्थायी निषेधज्ञा जारी करे।
इसके जवाब में ट्रंप प्रशासन ने अदालत के अधिकार पर ही सवाल उठा दिया है। अदालत ने ट्रंप के टैरिफ संबंधी आदेशों को तत्काल प्रभाव से अवैध ठहराया। ये आदेश अंतरराष्ट्रीय आपात आर्थिक अधिकार अधिनियम के तहत दिए गए थे। यह कानून राष्ट्रीय आपात के दौरान असाधारण परिस्थितियों को ध्यान में रखकर लागू किया जाता है।
(साथ में रॉयटर्स)