Beware of parcel fraud: पार्सल फ्रॉड पिछले कुछ समय से स्मार्ट सिटी और बड़े शहरों में प्रचलित था, मगर अब इन ठगों के निशाने पर छोटे और मझोले शहर भी आ गए है। टियर-II और टियर-III शहरों में रहने वाले लोगों के बीच पार्सल फ्रॉड से संबंधित जागरूकता कम है। इसलिए इन ठगों के जाल में यहां रहने वाले लोगों के फंसने की आशंका ज्यादा रहती है।
हाल ही में ऐसा ही एक कॉल दिल्ली में एक विज्ञापन एजेंसी में काम करने वाली 32 वर्षीय श्रेयांशी सिंह (बदला हुआ नाम) के पास आया। कॉल करने वाले ने दावा किया कि अमेरिका (US) से उसका एक पार्सल कस्टम विभाग में फंस गया था और इसे रिलीज करने के लिए कुछ हजार रुपये के भुगतान की आवश्यकता थी।
श्रेयांशी का अमेरिका में कोई रिश्तेदार नहीं है और उन्होंने किसी विदेशी ई-कॉमर्स साइट से कुछ भी ऑर्डर नहीं किया था। धोखाधड़ी का अंदेशा होने पर उन्होंने फोन काट दिया। वकील और साइबर अपराध एंव डेटा सुरक्षा के विशेषज्ञ प्रशांत माली कहते हैं, “पार्सल फ्रॉड, जो कुछ समय से प्रचलित है, अब टियर- II और टियर-III शहरों में फैल गया है।”
इस तरह की धोखाधड़ी में आम तौर पर टारगेट (किसी व्यक्ति) के पास एक कॉल आती है। सामने से फोन कॉल पर बात करने वाला ठग स्वयं की पहचान किसी कूरियर कंपनी के कर्मचारी के रूप में कराता है। इसके बाद ठग दावा करता है कि टारगेट के पार्सल में प्रतिबंधित पदार्थ रखे गए हैं। अपनी बात पर विश्वास दिलाने के लिए ठग विस्तृत जानकारी प्रदान करता है और पीड़ित को तुरंत पुलिस या कस्टम विभाग के अधिकारियों को रिपोर्ट करने का निर्देश देता है।
इसके तुरंत बाद, पीड़ित के पास पुलिस या कस्टम विभाग के अधिकारी बनकर ठग की तरफ से कॉल आने लगती हैं। कभी-कभी, ये कॉल करने वाले किसी पुलिस स्टेशन जैसी बैकग्राउंड में पुलिस अधिकारी बनकर वीडियो कॉल करते हैं।
खेतान एंड कंपनी के पार्टनर सुप्रतिम चक्रवर्ती कहते हैं, “इन फोन कॉल का उद्देश्य पीड़ित को यह विश्वास दिलाना है कि पुलिस इस मामले में शामिल है और उन्हें स्थिति को सुलझाने के लिए धनराशि का भुगतान करने की आवश्यकता है।”
इसके बाद, शुरू होता है डराने-धमकाने का सिलसिला। करंजावाला एंड कंपनी की पार्टनर मेघना मिश्रा कहती हैं, ”पीड़ित को गिरफ्तारी समेत सभी संभावित परिणाम भुगतने की धमकी दी जाती है और पैसे ट्रांसफर करने के लिए मजबूर किया जाता है।”
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इस घोटाले में कुछ विविधताएं हैं। कभी-कभी, ठग एक लिंक शेयर करते हैं और पीड़ित से पार्सल जारी करने के लिए एक छोटा सा पेमेंट करने के लिए कहते हैं। ईवाई फोरेंसिक और इंटीग्रिटी सर्विसेज के पार्टनर दीप मेहता कहते हैं, “जब पीड़ित लिंक पर क्लिक करता है, तो बैकग्राउंड में एक स्क्रीन मिररिंग ऐप डाउनलोड हो जाता है। जैसे ही पीड़ित पेमेंट करता है, अपराधी उसके बैंक अकाउंट या वॉलेट की डिटेल्स चुरा लेते हैं और बाद में बड़ी रकम ट्रांसफर कर लेते हैं।”
कभी-कभी, अपराधी Google पर नकली लिंक (fictitious links) पब्लिश करते हैं। किसी प्रमुख लॉजिस्टिक्स कंपनी से पार्सल की उम्मीद करने वाले व्यक्ति कभी-कभी कंपनी की वेबसाइट सर्च कर सकते हैं और इन नकली लिंक से उनका सामना हो सकता हैं। सर्च इंजन ऑप्टिमाइजेशन (SEO) के माध्यम से, इन धोखाधड़ी वाले लिंक को पहले प्रदर्शित किया जाता है, जिससे बिना सोचे-समझे यूजर्स को नकली लैंडिंग पेज पर ले जाया जाता है। मेहता कहते हैं, “फिर पीड़ित को सीमा शुल्क या किसी अन्य कथित कारण से पेमेंट करने के लिए कहा जाता है, इस वादे के साथ कि पेमेंट के बाद पार्सल जारी कर दिया जाएगा। अपराधी पैसे ले लेते हैं और पार्सल कभी डिलीवर नहीं किया जाता।”
विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह की धोखाधड़ी इसलिए होती है क्योंकि विदेश से पार्सल कौन ले रहा है, इसका डेटा ई-कॉमर्स कंपनी या उसके वेयरहाउसिंग या लॉजिस्टिक्स पार्टनर से चोरी हो जाता है।
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पार्सल फ्रॉड से बचने का सबसे बेहतर उपाय जागरूकता है। ताकि आप ऐसी घटनाओं के पैटर्न को पहचान सकें। चक्रवर्ती कहते हैं, “यदि आपको धोखाधड़ी का संदेह है, तो कॉल कट कर दें। एक पल रुकें और विचार करें कि क्या उनके अनुरोध सामान्य हैं, और यह निर्धारित करने के लिए प्राइवेसी, डेटा प्रोटेक्शन और कानून प्रवर्तन में विशेषज्ञों से परामर्श लें कि क्या आपके साथ धोखाधड़ी की जा रही है। किसी भी वित्तीय लेनदेन में जल्दबाजी करने या व्यक्तिगत जानकारी का खुलासा करने से बचें।”
मेहता सुझाव देते हैं कि Google के माध्यम से सर्च करते समय, जिस वेबसाइट पर आप पहुंच रहे हैं, उसके URL की बारीकी से जांच करके उसकी प्रामाणिकता को वेरीफाई करें। कम-ज्ञात वेबसाइटों से ऑर्डर करने से बचें, विशेष रूप से वे वेबसाइटें जो किसी सर्च इंजन या सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के माध्यम से खोजी गई हों।
यदि आपको सूचित किया जाता है कि सीमा पार शिपमेंट को कस्टम विभाग द्वारा रोक लिया गया है, तो ऑफिशियल सम्मन का अनुरोध करें और पेमेंट करने से बचें।
कॉल के स्रोत को स्वतंत्र रूप से सत्यापित करें। मिश्रा कहते हैं, “उनकी ऑफिशियल वेबसाइट या पिछले पत्राचार से प्राप्त कांटेक्ट डिटेल का उपयोग करके कथित डिलीवरी कंपनी से सीधे संपर्क करें।”
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माली स्रोत की प्रमाणिकता की पुष्टि किए बिना विफल डिलीवरी नोटिफिकेशन वाले SMS में लिंक पर क्लिक करने के खिलाफ चेतावनी देते है। केवल कूरियर सर्विस की ऑफिशियल वेबसाइट पर डिलीवरी स्टेटस की जांच करने के लिए प्रदान की गई किसी भी ट्रैकिंग आईडी का उपयोग करें।
जब तक आप रिसीवर को वेरिफाई न कर लें तब तक संवेदनशील व्यक्तिगत या वित्तीय जानकारी साझा करने या ओटीपी (वन-टाइम पासवर्ड) देने से बचें।
अंत में, मिश्रा सुझाव देते हैं कि यदि आपको पार्सल फ्रॉड का संदेह है या आप इसका शिकार हो गए हैं, तो तुरंत स्थानीय पुलिस को इसकी रिपोर्ट करें और नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल पर शिकायत दर्ज करें।