अगर आपके पास स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी है तब भी आपको इलाज के लिए अस्पताल जाते समय काफी मात्रा में नकद रुपये की जरूरत पड़ेगी। इसकी वजह है कि आमतौर पर बीमा कंपनी की तरफ से कैशलेस इलाज के लिए हरी झंडी मिलने में कुछ समय लग ही जाता है। इस बीच, अस्पताल आपको कुछ नकदी देने के लिए कह सकता है ताकि जल्द से जल्द इलाज शुरू हो सके। अगर आपकी बीमा पॉलिसी में बीमित राशि कम है या फिर आप बीमा कंपनी के नेटवर्क वाले अस्पताल के बजाय किसी गैर-नेटवर्क अस्पताल में जाने के लिए मजबूर है तब ऐसी स्थिति में भी आपको नकदी की जरूरत पड़ सकती है। इन हालात में अगर आपको जल्दी से पैसा जुटाने की जरूरत पड़े तो आप इन विकल्पों पर विचार कर सकते हैं:
सोना गिरवी रखें
अगर आप भावनात्मक रूप से अपने गहने को लेकर भावुक हैं और इसे वापस चाहते हैं तब आप गोल्ड लोन का विकल्प चुन सकते हैं। पैसाबाजार डॉट कॉम के निदेशक गौरव अग्रवाल कहते हैं, ‘अधिकांश ऋ णदाता आवेदन जमा करने के कुछ घंटों के भीतर ही कर्ज दे देते हैं। चूंकि ये कर्ज सोने के एवज में लिया जाता है, ऐसे में जिन ग्राहकों का क्रेडिट स्कोर खराब है उन्हें भी कम ब्याज दर पर बैंक ऋ ण दे देती है। वे पुनर्भुगतान के कई विकल्प देते हैं।’ ब्याज दर 7 से 29 फीसदी तक रह सकती है। पांड्या कहते हैं, ‘ब्याज दर सोने की शुद्धता और ग्राहक की कर्ज चुकाने की क्षमता पर निर्भर होती है। क्षमता जितनी कम होगी ब्याज दर उतना ही अधिक होगा।’ एक बात का ध्यान जरूर रखें। अग्रवाल कहते हैं, ‘अगर कीमत में गिरावट से कर्ज और मूल्य का अनुपात नियामक सीमा से अधिक होता है तब बैंक कर्जदाताओं से निर्धारित समय के भीतर नकदी, चेक या अधिक सोना जमा करने के लिए कह सकते हैं। अगर वे ऐसा करने में असफ ल हो जाते हैं तब उनका सोना बेचा जा सकता है।’
शेयरों, बीमा के एवज में कर्ज
यह कर्ज बीमा पॉलिसी, म्युचुअल फंड, डीमैट शेयर, फिक्स्ड डिपॉजिट (एफ डी) आदि के एवज में दिया जा सकता है। बैंक बाजार डॉट कॉम के मुख्य कार्याधिकारी आदिल शेट्टी कहते हैं, ‘बैंक और बीमाकर्ता अन्य पॉलिसियों के एवज में कर्ज की अनुमति देते हैं लेकिन यूलिप और टर्म इंश्योरेंस के एवज में नहीं।’ इसमें ब्याज दर पर्सनल लोन की तुलना में कम होता है। शेट्टी कहते हैं, ‘कर्ज की रकम किसी बीमा पॉलिसी की सरेंडर वैल्यू के 60.90 फीसदी जबकि एफ डी का 80.95 फीसदी, शेयर या म्युचुअल फं ड वैल्यू का 50.70 फीसदी हो सकती है।’ शेयरों की बिक्री के विकल्प के बारे में भी सोचा जा सकता है। अगर आप कम अवधि वाले डेट फंड बेचते हैं, तब आपको पूंजी टी+1 में मिल सकता है जबकि दूसरी अन्य श्रेणियों में यह टी+3 होता है। मनीस्कूल के संस्थापक अर्णव पांड्या कहते हैं, ‘अगर आपकी पैसों की जरूरत थोड़े समय के लिए है और आपको भरोसा है कि आप इन पैसों को चुका सकते हैं तो आप इसकी बिक्री करने के बजाय ऋण लें।’
कार्ड स्वाइप
अधिकांश बड़े अस्पतालों में आपको कार्ड स्वाइप करने की सुविधा जरूर मिल जाएगी। लेकिन इस पर ब्याज दर 30.49 फीसदी हो सकती है। इसकी लागत कम करने के लिए ऋ ण को कम लागत वाले ऋ ण में जोड़ा जा सकता है।
ईपीएफ से पैसे निकालें
रिटायरमेंट के लिए बने इस पैसे को अंतिम उपाय के तौर पर निकाला जाना चाहिए। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन का कहना है कि यह 72 घंटे में पूंजी का वितरण करता है। राघव कहते हैं, ‘इससे पहले अगर आपने पैसा वापस लिया तो आप इसे स्वैच्छिक भविष्य निधि के माध्यम से जमा कर सकते हैं। लेकिन अब, 2.5 लाख रुपये से ऊपर जमा पर मिलने वाले ब्याज पर कर लगता है ऐसे में यह काफी मुश्किल हो गया है।’
पर्सनल लोन
अगर आप किसी बैंक के ग्राहक हैं तो आपको पूर्व अनुमोदित सीमा के भीतर पर्सनल लोन लेने में दिक्कत नहीं होगी और इसके लिए तुरंत मंजूरी मिल सकती है। भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड में पंजीकृत निवेश सलाहकार कंपनी, ‘पर्सनल फ ाइनैंस प्लान’ के संस्थापक दीपेश राघव कहते है, ‘यह सुविधा आमतौर पर उन ग्राहकों के लिए उपलब्ध होती है जिनका बैंक के साथ लंबे समय से संबंध है। जिन नए ग्राहकों का केवाईसी डिजिटल तरीके से अपडेट किया गया है उनके मामले में भी उसी दिन मंजूरी मिल सकती है। जहां ग्राहक के हस्ताक्षर की जरूरत होती है वहां कुछ दिन लग सकते हैं। ब्याज दर 9.26 प्रतिशत (आमतौर पर 16.19 प्रतिशत के करीब) तक रह सकती है।’
