देश के सबसे बड़े ऋणदाता भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने अपनी गिफ्ट सिटी इकाई के लिए 10 साल की कर छूट में विस्तार देने की मांग की है। इस मामले से अवगत लोगों ने बताया कि बैंक ने इसके लिए केंद्र सरकार से संपर्क किया है। मौजूदा कर छूट की अवधि अगले साल समाप्त हो रही है।
एसबीआई गिफ्ट सिटी के इंटरनैशनल फाइनैंशियल सर्विसेज सेंटर (आईएफएससी) में काम शुरू करने वाले शुरुआती बैंकों में शामिल था। कर छूट की अवधि खत्म होने के साथ ही बैंक को अपने घरेलू कारोबार पर लागू दरों के हिसाब से ही कॉरपोरेट कर का भुगतान करना पड़ेगा।
हाल के वर्षों में एसबीआई के आईएफएससी बहीखाते में काफी विस्तार हुआ है। उसे मुख्य तौर पर विदेशी मुद्रा उधारी गतिविधियों में वृद्धि से बल मिला है। एसबीआई की गिफ्ट सिटी इकाई का बहीखाता बढ़कर करीब 10 अरब डॉलर का है। बैंक ने इस वित्तीय केंद्र के भीतर एक नई इमारत के निर्माण में भी निवेश किया है।
सूत्रों के अनुसार, अगर कर प्रोत्साहन अवधि में विस्तार नहीं किया गया तो बैंक को अपने कारोबार का कुछ हिस्सा विदेश में स्थानांतरित करने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है। एसबीआई और शुरुआती दौर में गिफ्ट सिटी आने वालों को 4-5 साल तक मामूली कारोबारी गतिविधियों से जूझना पड़ा था। ऐसे में उनके लिए कर छूट अवधि के कई साल प्रभावी तौर पर बर्बाद हो गए।विशेषज्ञों का कहना है कि कर छूट में विस्तार देना उचित ही होगा।
प्राइस वाटरहाउस ऐंड कंपनी-गिफ्ट सिटी के पार्टनर सुरेश स्वामी ने कहा, ‘शुरुआती दौर के बैंकों ने गिफ्ट सिटी परिवेश तैयार करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इनमें से कई को बाद में आने वालों के मुकाबले शुरुआती दौर में सीमित लाभ के साथ भारी लागत का बोझ भी उठाना पड़ा था। इसलिए कर प्रोत्साहन में विस्तार से उनके योगदान को एक पहचान मिलेगी, सभी के लिए समान प्रतिस्पर्धा सुनिश्चित होगी और कारोबारी गतिविधियों के विदेश स्थानांतरित होने का जोखिम कम होगा।’
एसबीआई एकमात्र ऐसा बैंक नहीं है जो इस समस्या का सामना कर रहा है। बैंक ऑफ बड़ौदा, येस बैंक और अन्य के लिए भी कर छूट की अवधि 2027 में खत्म हो रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर कोई राहत दी गई तो वह संभवत: सभी पर लागू होगी। सूत्रों ने संकेत दिया कि सरकार उद्योग के अनुरोध पर गंभीरतापूर्वक विचार कर रही है जिसकी घोषणा आगामी बजट में हो सकती है।
मौजूदा नियमों के तहत आईएफएससी में काम करने वाली इकाइयां अपने पहले 15 वर्षों में से किसी भी 10 वर्षों के लिए कॉरपोरेट कर में 100 फीसदी छूट के लिए पात्र हैं। अधिकतर कंपनियां एक सार्थक स्तर पर पहुंचने के बाद ही कर में छूट का फायदा उठाना चाहती हैं। मगर कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि भारत के एकमात्र आईएफएससी में कारोबार को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए एक लंबी कर छूट की दरकार है।
डेलॉयट टच तोतात्सु इंडिया के पार्टनर राजेश एच. गांधी ने कहा, ‘बैंकों को अपना कारोबार बढ़ाने के लिए समय चाहिए। भले ही पहले 15 साल में से किसी भी 10 साल की अवधि को कर छूट के लिए चुना जा सकता है, लेकिन यह पर्याप्त नहीं हो सकता है। कुछ अंतरराष्ट्रीय वित्तीय केंद्र काफी लंबी अवधि के लिए कर छूट प्रदान करते हैं। ऐसे में कर छूट की अवधि में विस्तार देना जरूरी है।’
गिफ्ट सिटी ने पिछले 12 से 18 महीनों के दौरान जबरदस्त रफ्तार दर्ज की है। इसे 2019 में स्थापित इंटरनैशनल फाइनैंशियल सर्विसेज सेंटर्स अथॉरिटी (आईएफएससीए) के तहत एक बेहतर नियामकीय ढांचे से मदद मिली है। नियामक ने हाल में बैंकिंग, पुनर्बीमा, परिसंपत्ति प्रबंधन और विमानों व जहाजों का पट्टा कारोबार जैसे तमाम क्षेत्रों में 1,000 से अधिक कंपनियों को पंजीकृत करते हुए एक महत्त्वपूर्ण पड़ाव हासिल किया है।
गिफ्ट सिटी में कारोबार करने वाले बैंकों ने कुल मिलाकर 100 अरब डॉलर से अधिक के विदेशी मुद्रा ऋण वितरित किए हैं। इस वित्तीय केंद्र में अब 35 बैंक कार्यरत हैं और बाह्य वाणिज्यिक उधारी के हर 3 डॉलर में से एक की शुरुआत आईएफएससी से होती है।