facebookmetapixel
SBI ने ऑटो स्वीप की सीमा बढ़ाकर ₹50,000 कर दी है: ग्राहकों के लिए इसका क्या मतलब है?India’s Retail Inflation: अगस्त में खुदरा महंगाई दर बढ़कर 2.07% पर, खाने-पीने की कीमतों में तेजी से बढ़ा दबावBank vs Fintech: कहां मिलेगा सस्ता और आसान क्विक लोन? समझें पूरा नफा-नुकसानचीनी कर्मचारियों की वापसी के बावजूद भारत में Foxconn के कामकाज पर नहीं होगा बड़ा असरGST कट के बाद दौड़ेगा ये लॉजि​स्टिक स्टॉक! मोतीलाल ओसवाल ने 29% अपसाइड के लिए दी BUY की सलाह₹30,000 करोड़ का बड़ा ऑर्डर! Realty Stock पर निवेशक टूट पड़े, 4.5% उछला शेयरG-7 पर ट्रंप बना रहे दबाव, रूसी तेल खरीद को लेकर भारत-चीन पर लगाए ज्यादा टैरिफ10 मिनट डिलीवरी में क्या Amazon दे पाएगी Blinkit, Swiggy को टक्कर? जानें ब्रोकरेज की रायसी पी राधाकृष्णन ने भारत के 15वें उपराष्ट्रपति के तौर पर ली शपथSBI, Canara Bank समेत इन 5 स्टॉक्स में दिखा ब्रेकआउट! 24% तक मिल सकता है रिटर्न

Private Bank Profit: कृषि लोन में चूक बढ़ने से प्राइवेट बैंकों का तिमाही मुनाफा घटा

सकल एनपीए में इजाफा और प्रावधान की लागत बढ़ने से मार्जिन पर असर।

Last Updated- January 28, 2025 | 10:59 PM IST
loan

वित्त वर्ष 2024-25 की तीसरी तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर) के दौरान कृषि ऋण एवं सूक्ष्म ऋण (माइक्रोफाइनैंस) में चूक बढ़ने से निजी बैंकों का मुनाफा प्रभावित हुआ है। इससे तिमाही-दर-तिमाही आधार पर शुद्ध मुनाफे में गिरावट आई है। इन क्षेत्रों में ज्यादा चूक से मार्जिन पर दबाव भी बढ़ा है।

निजी क्षेत्र के 12 बैंकों का शुद्ध मुनाफा सालाना आधार पर 7.4 फीसदी बढ़कर 42,550 करोड़ रुपये तक पहुंच गया, लेकिन तिमाही आधार पर इसमें 1.4 फीसदी की कमी आई है। एमके ग्लोबल फाइनैंशियल सर्विसेज में बीएफएसआई (रिसर्च) के सीनियर एनालिस्ट आनंद दामा ने कहा, ‘कृषि और माइक्रोफाइनैंस पोर्टफोलियो में बढ़े दबाव, सुस्त वृदि्ध और उच्च प्रावधान का असर इस तिमाही में बैंकों के मुनाफे पर पड़ा है। बहरहाल चौथी तिमाही में माइक्रोफाइनैंस पर दबाव सामान्य हो जाने की उम्मीद है।’

इन कर्जदाताओं में प्रावधान सालाना आधार पर 16.1 फीसदी बढ़कर 10,552 करोड़ रुपये हो गया है, जिसमें 1.8 फीसदी की तिमाही वृद्धि हुई है। सकल गैर निष्पादित परिसंपत्तियां (एनपीए) सालाना आधार पर 2.2 फीसदी बढ़कर 1.14 लाख करोड़ रुपये हो गई हैं और क्रमिक आधार पर इसमें 3 फीसदी वृद्धि हुई है। ऐक्सिस सिक्योरिटीज में रिसर्च एनालिस्ट ज्ञानदा वैद्य ने कहा, ‘ऋण की उच्च लागत के अलावा अधिकांश बैंकों ने मुख्य रूप से माइक्रोफाइनैंस सेगमेंट में अधिक चूक की जानकारी दी। इससे इंटरेस्ट रिवर्सल बढ़ा यानी ब्याज दरो में तेजी से उतार-चढ़ाव हुए। कुछ हद तक इससे बैंक मार्जिन पर बोझ बढ़ा है।’

उच्च प्रोविजन के कारण ज्यादातर कर्जदाताओं के लिए ऋण की लागत भी बढ़ी है। खासकर असुरक्षित खुदरा ऋण पर लागत बढ़ी है। बड़े निजी बैंकों के कृषि पोर्टफोलियो में मौसमी चूक हुई है, वहीं मझोले बैंकों के असुरक्षित खुदरा ऋण में चूक बढ़ी है। ऐक्सिस बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक और आरबीएल बैंक ने तीसरी तिमाही की कमाई की घोषणा की है। इनके क्रेडिट कार्ड और माइक्रोफाइनैंस पोर्टफोलियो में चूक व एनपीए बढ़ा है। ये बैंक उम्मीद कर रहे हैं कि 2025-26 की दूसरी तिमाही तक इस सेग्मेंट में स्थिति सामान्य हो जाएगी।

एचडीएफसी बैंक और आईसीआईसीआई बैंक के कृषि और किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) पोर्टफोलियो में चूक बढ़ी है। एमके के विश्लेषक ने कहा, ‘मुख्य रूप से केसीसी पोर्टफोलियो में मौसमी दबाव के कारण एचडीएफसी बैंक की तिमाही आधार पर चूक 88 अरब रुपये (ऋण का 1.4 फीसदी) रही है। इसकी वजह से सकल एनपीए/शुद्ध एनपीए अनुपात तिमाही आधार पर 6 आधार अंक बढ़कर 1.42 फीसदी हो गया है। कृषि पोर्टफोलियो छोड़कर सकल एनपीए अनुपात कुल मिलाकर 1.2 फीसदी पर स्थिर रहा है। इससे बैंक के रिटेल पोर्टफोलियो में मजबूती का पता चलता है, क्योंकि बैंक ने हाल के वर्षों में असुरक्षित लोन बुक में वृद्धि से बचने की कोशिश की है।’

ज्यादातर बैंकों का शुद्ध ब्याज मार्जिन (एनआईएम) स्थिर रहा है और उम्मीद की जा रही है कि फंड की लागत बढ़ने और सुस्त ऋण वृद्धि के कारण यह एक निश्चित सीमा के भीतर या संकुचित होगा। वैद्य ने कहा, ‘फंड की लागत मौजूदा स्तर पर स्थिर होने की संभावना है। हम उम्मीद करते हैं कि ज्यादातर बैंकों का एनआईएम स्थिर रहेगा।’

इस तिमाही के दौरान खासकर असुरक्षित क्षेत्र में ऋण की वृद्धि भी सुस्त हुई है। संपत्ति की गुणवत्ता की चिंता को देखते हुए ऐसा हुआ है। 31 दिसंबर 2024 तक के आंकड़ों के मुताबिक निजी बैंकों से लिया गया कर्ज सालाना आधार पर 8.8 फीसदी बढ़कर 63.5 लाख करोड़ रुपये हो गया है, जबकि जमा सालाना आधार पर 14.2 फीसदी बढ़कर 69.58 लाख करोड़ रुपये हो गया है।

वैद्य ने कहा, ‘ज्यादातर निजी बैंकों ने तीसरी तिमाही के परिणामों में ऋण वृद्धि की रफ्तार में सुस्ती दिखाई है। खासकर असुरक्षित ऋण की रफ्तार घटी है। इस पोर्टफोलियो में संपत्ति की गुणवत्ता संबंधी चुनौतियों के कारण तिमाही के दौरान ऋण की लागत बढ़ी है और बैंकों के मुनाफे पर दबाव पड़ा है।’

First Published - January 28, 2025 | 10:59 PM IST

संबंधित पोस्ट