भारत के डिजिटल सार्वजनिक आधारभूत ढांचे के लिए जारी परियोजना फिनटरनेट के 2026 में शुरू होने की उम्मीद है। इन्फोसिस के सह-संस्थापक व अध्यक्ष नंदन नीलेकणि ने बताया कि यह परिसंपत्तियों के टोकनाइजेशन और आर्टिफिशल इंटेलिजेंस जैसी तकनीकों का उपयोग करने पर केंद्रित होगी।
नई वित्तीय प्रणाली फिनटरनेट में परिसंपत्तियों शामिल किए जाने की उम्मीद है। इनमें भूमि, संपत्ति, बॉन्ड, वित्तीय निवेश जैसी परिसंपत्तियों को एक ही आधारभूत ढांचे के तहत लाया जाएगा और उन्हें टोकनाइज किए जाएगा। उन्होंने कहा, ‘यह एक विचार है जो वैश्विक हो रहा है, चाहे वह भारत, सिंगापुर, न्यूयॉर्क, सैन फ्रांसिस्को या स्विट्जरलैंड में हो। आप देख सकते हैं कि क्या हो रहा है। इसका क्रमिक विस्तार हो रहा है। लगता है कि हम 2026 में लाइव होंगे।’
नीलेकणि ने जोर देकर कहा कि नियामक ढांचे के भीतर टोकनाइजेशन शुरू करने की आवश्यकता है। दरअसल, दुनिया में इस तरह की ज्यादातर पहल क्रिप्टोकरेंसी से जुड़ी हैं।
उन्होंने कहा, ‘टोकनाइजेशन की दुनिया में बहुत शोर क्रिप्टोकरेंसी और अन्य चीजों का है, जो नियामक ढांचे से बाहर हैं। हालांकि हम जो सुझाव दे रहे हैं, वह टोकनाइजेशन का उपयोग नियामक ढांचे के तहत करना है। इसके तहत मजबूती से अनुपालन करना है और टोकननाइज्ड संपत्तियों की पूरी क्षमता का इस्तेमाल करना है।
उन्होंने कहा कि ऐसे डीपीआई का निर्माण सिस्टम की मजबूती और नियामक संस्थाओं की समझ के आधार पर होता है। उन्होंने सविस्तार समझाया, ‘हम इस तकनीक और टोकनाइजेशन व एआई के सहयोग में बढ़ती रुचियां देख रहे हैं। हालांकि फिनरनेट इसे सभी तरह की संपत्तियों में रणनीतिक रूप से करने, पूर्ण रूप से और ढांचागत ढंग से करना है।’