RBI’s net dollar purchase: भारतीय रिजर्व बैंक ने वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान 41.27 अरब डॉलर की शुद्ध खरीदारी की है, जो पिछले 3 वित्त वर्षों का उच्चतम स्तर है। इसके पहले वित्त वर्ष 2021 में रिजर्व बैंक ने 68.3 अरब डॉलर की शुद्ध खरीदारी की थी।
केंद्रीय बैंक ने मार्च में ही 13.2 अरब डॉलर की शुद्ध खरीद की है, जो जून 2021 के बाद की सबसे अधिक मासिक शुद्ध खरीदारी है। जून 2021 में रिजर्व बैंक ने 18.6 अरब डॉलर खरीदे थे।
भारत का विदेशी मुद्रा भंडार वित्त वर्ष 2024 में 68 अरब डॉलर बढ़ा है। वित्त वर्ष के अंत में कुल भंडार 646 अरब डॉलर था।
उल्लेखनीय है कि यह स्थिति ऐसे समय में आई है, जब 2022 का साल चुनौतीपूर्ण था और रिजर्व बैंक ने शुद्ध रूप से 5.5 अरब डॉलर बेचा था। वित्त वर्ष के दौरान डॉलर के मुकाबले रुपये में 7.5 फीसदी की गिरावट आई।
बहरहाल, वित्त वर्ष 2024 में भारतीय मुद्रा 1.5 फीसदी गिरी है। चालू वित्त वर्ष में अब तक रुपये में 0.1 फीसदी गिरावट आई है। केंद्रीय बैंक ने विनिमय दर में अस्थिरता को रोकने के लिए सक्रिय प्रवाह का एक बड़ा हिस्सा अपने पास रख लिया।
एचडीएफसी बैंक में प्रधान अर्थशास्त्री साक्षी गुप्ता ने कहा, ‘उन्होंने बड़ी मात्रा में डॉलर की खरीदारी की, क्योंकि देश में आवक बहुत मजबूत थी। रिजर्व बैंक ने रुपये को स्थिर रखने और उतार-चढ़ाव को रोकने के लिए हस्तक्षेप करने की रणनीति अपनाई। रुपये को स्थिर करने की कवायद सिर्फ उस समय नहीं की गई, जब वह दबाव में था और गिर रहा था, बल्कि कम प्रवाह आने के दौरान भी हस्तक्षेप किया गया, जिससे रुपये में बहुत ज्यादा तेजी को भी रोका जा सके।’
नैशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी के आंकड़ों के मुताबिक वित्त वर्ष 2024 के दौरान घरेलू बाजारों में 3.23 लाख करोड़ रुपये की रिकॉर्ड विदेशी आवक हुई, जो 2022-23 में 45,365 करोड़ रुपये की तुलना में उल्लेखनीय बदलाव था। कुल विदेशी आवक में से विदेशी निवेशकों ने 1.2 लाख करोड़ रुपये डेट सेग्मेंट में लगाए।
एमके ग्लोबल फाइनैंशियल सर्विसेज में अर्थशास्त्री माधवी अरोड़ा ने कहा, ‘मार्च तक आवक बेहतर थी और मार्च में व्यापार संतुलन कम था। ऐसे में हमें डॉलर की कमाई हुई। रिजर्व बैंक को जब भी डॉलर जमा करने का मौका मिल रहा है, वह कर रहा है। साथ ही उसकी यह भी कवायद है कि रुपया अन्य उभरते बाजारों की धारा के विपरीत न जाने पाए।’