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Interest Rates: महंगाई के रुख पर निर्भर होगा दर में बदलाव

आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि ब्याज दरों में कटौती का कोई सवाल नहीं, मुद्रास्फीति के भविष्य के रुझान पर सावधानी से नजर रखी जाएगी।

Last Updated- September 16, 2024 | 10:45 PM IST
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भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि ब्याज दर में बदलाव भविष्य में मुद्रास्फीति के रुख पर निर्भर करेगा। उन्होंने कहा कि मुद्रास्फीति में मासिक आधार पर नरमी अथवा वृद्धि पर हमारी नजर बनी रहेगी। मुद्रास्फीति के रुख पर दूरदर्शी नजरिये के साथ बेहद सावधानी से गौर किया जाएगा और उसी आधार पर निर्णय लिए जाएंगे।

सीएनबीसी से बातचीत में जब पूछा गया कि केंद्रीय बैंक दरों में कटौती कब शुरू करेगा, तो दास ने कहा, ‘मौजूदा हालात में यह कोई सवाल नहीं है। जुलाई में मुद्रास्फीति करीब 3.6 फीसदी पर आ गई जो संशोधित आंकड़ा है और अगस्त में वह 3.7 फीसदी रही। इसलिए यह उतना महत्त्वपूर्ण बात नहीं है कि मुद्रास्फीति फिलहाल कैसी है,

बल्कि महत्त्वपूर्ण बात यह है कि अगले छह महीनों या अगले एक साल में वह कैसी रहेगी। इसलिए, मैं एक कदम पीछे हटते हुए बेहद सावधानी से गौर करना चाहूंगा कि भविष्य में मुद्रास्फीति और वृद्धि दर का रुख क्या है। हम उसी आधार पर कोई निर्णय लेंगे।’

मई 2022 और फरवरी 2023 के बीच रीपो दर में 250 आधार अंकों की वृद्धि करने के बाद छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति ने दर और रुख दोनों पर यथास्थिति बनाए रखी है। मौद्रिक नीति की अगली समीक्षा 7 से 9 अक्टूबर को होने वाली है। उसमें दर में कटौती की संभावना के बारे में दास ने कहा कि एक नई मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) का गठन किया जाना है, क्योंकि मौजूदा बाहरी सदस्यों का कार्यकाल समाप्त हो गया है। इसलिए समिति में तीन नए बाहरी सदस्यों को शामिल किया जाएगा। समिति में चर्चा के बाद ही कोई निर्णय लिया जाएगा।

दास ने कहा कि सभी क्षेत्रों में भारत की जीडीपी वृद्धि की रफ्तार तेज है। हालिया चुनावी मौसम के कारण केंद्र और राज्य दोनों स्तरों पर सरकारी खर्च में अस्थायी नरमी आई है। मगर आगे उसमें तेजी आने की उम्मीद है और बजट के जरिये आवंटित रकम को खर्च किया जा सकेगा। आरबीआई पूरी तरह आश्वस्त है कि भारत इस साल 7.2 फीसदी की जीडीपी वृद्धि हासिल करेगा और लंबी अवधि में वृद्धि दर 7.5 फीसदी से 8 फीसदी होगी।

दास ने कहा कि ब्याज दर के बारे में कुछ भी अनुमान जाहिर करना जोखिम भरा हो सकता है। उन्होंने कहा कि अनिश्चित और तेजी से बदलते वैश्विक परिदृश्य में कोई भी अप्रत्याशित घटना उम्मीदों पर पानी फेर सकती है।
दास ने कहा कि इतनी अधिक अनिश्चितता के साथ विभिन्न देशों की अलग-अलग मौद्रिक नीतियां और वृद्धि परिदृश्य स्थिति को

अधिक जटिल बनाते हैं। ऐसे में कोई भी अनुमान बाजारों को गुमराह कर सकता है। यदि परिस्थितियां अप्रत्याशित रूप से बदलती हैं तो कोई भी अनुमान जाहिर करना मुश्किल हो जाता है। ऐसे में बाजार को सकारात्मक परिणाम के बजाय गलत दिशा मिल सकती है।

विदेशी मुद्रा बाजार में आरबीआई के सक्रिय हस्तक्षेप के बारे में दास ने कहा कि रिजर्व बैंक का उद्देश्य रुपये में अत्यधिक उतार-चढ़ाव को नियंत्रित करना है क्योंकि यह अर्थव्यवस्था के लिए फायदेमंद नहीं होता है। उन्होंने कहा कि भारत का वृहद आर्थिक एवं वित्तीय बुनियादी बातें पिछले वर्षों के मुकाबले काफी मजबूत हैं। इससे रुपये को स्वाभाविक तौर पर मजबूती मिलती है और किसी कृत्रित हस्तक्षेप की जरूरत नहीं है।

दास ने यह भी कहा कि गैर-बैंकिंग वित्तीय क्षेत्र में कोई महत्त्वपूर्ण जोखिम अथवा चिंता की बात नहीं है। उन्होंने कहा कि पूंजी पर्याप्तता अनुपात और सकल गैर-निष्पादित आस्तियां (जीएनपीए) जैसे वित्तीय संकेत स्थिर बने हुए हैं।

First Published - September 16, 2024 | 10:45 PM IST

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