बैंकिंग व्यवस्था में नकदी 24 सितंबर से अब तक यानी एक महीने बाद इस सप्ताह दोबारा घाटे की स्थिति में पहुंच गई है। ऐसा त्योहारी मौसम में नकदी के बाहर निकलने (करेंसी लीकेज) और जीएसटी भुगतान के रूप में धन के बाहर जाने के कारण हुआ है। विदेशी मुद्रा बाजार के प्रतिभागियों ने बताया कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा डॉलर की बिक्री के माध्यम से बढ़े हुए हस्तक्षेप ने भी व्यवस्था में नकदी पर अतिरिक्त दबाव डाला है।
लगातार चार दिनों से बैंकिंग व्यवस्था में नकदी घाटे में है। आरबीआई के ताजा आंकड़ों के अनुसार गुरुवार को व्यवस्था में नकदी 2,645 करोड़ रुपये के घाटे में रही।
आमतौर पर त्योहारों के दौरान प्रचलित मुद्रा बढ़ती है जिससे बैंकिंग में नकदी कम होती है। 20 अक्टूबर को घाटा 70,169 करोड़ रुपये, 21 अक्टूबर को 61,647 करोड़ रुपये और 22 अक्टूबर को 52,299 करोड़ रुपये रहा। एक निजी बैंक के ट्रेजरी प्रमुख ने कहा, ‘त्योहारी मौसम में नकदी बाहर जा रही है। जीएसटी के बहिर्गमन के कारण नकदी की हालत और तंग हो गई।’ उन्होंने रिजर्व बैंक के हस्तक्षेप को इसकी एक और वजह बताया।
नकदी की तंग स्थिति के बीच, इस सप्ताह वेटेड एवरेज कॉल मनी दर (वह औसत ब्याज दर जो बैंकों के बीच एक रात के लिए लिए गए कॉल मनी ऋण पर लागू होती है,) बढ़कर 5.47 प्रतिशत हो गई, जो पिछले सप्ताह 5.3 प्रतिशत थी।
नकदी के दबाव को कम करने के लिए आरबीआई ने तीन दिवसीय वेरिएबल रेट रेपो नीलामी (वीआरआर) आयोजित की। इस प्रक्रिया के तहत केंद्रीय बैंक ने बैंकिंग प्रणाली में 30,750 करोड़ रुपये की राशि डाली। एक निजी बैंक के ट्रेजरी प्रमुख ने कहा, ‘यह दबाव अस्थायी है। अगले सप्ताह सरकार का खर्च शुरू होगा जिससे नकदी की स्थिति सामान्य हो जाएगी। इसी कारण वीआरआर नीलामी में अधिक भागीदारी देखने को नहीं मिली।‘