facebookmetapixel
जियो, एयरटेल और वोडाफोन आइडिया ने सरकार से पूरे 6G स्पेक्ट्रम की नीलामी की मांग कीतेजी से बढ़ रहा दुर्लभ खनिज का उत्पादन, भारत ने पिछले साल करीब 40 टन नियोडिमियम का उत्पादन कियाअमेरिकी बाजार के मुकाबले भारतीय शेयर बाजार का प्रीमियम लगभग खत्म, FPI बिकवाली और AI बूम बने कारणशीतकालीन सत्र छोटा होने पर विपक्ष हमलावर, कांग्रेस ने कहा: सरकार के पास कोई ठोस एजेंडा नहीं बचाBihar Assembly Elections 2025: आपराधिक मामलों में चुनावी तस्वीर पिछली बार जैसीरीडेवलपमेंट से मुंबई की भीड़ समेटने की कोशिश, अगले 5 साल में बनेंगे 44,000 नए मकान, ₹1.3 लाख करोड़ का होगा बाजारRSS को व्यक्तियों के निकाय के रूप में मिली मान्यता, पंजीकरण पर कांग्रेस के सवाल बेबुनियाद: भागवतधर्मांतरण और यूसीसी पर उत्तराखंड ने दिखाई राह, अन्य राज्यों को भी अपनाना चाहिए यह मॉडल: PM मोदीधार्मिक नगरी में ‘डेस्टिनेशन वेडिंग’, सहालग बुकिंग जोरों पर; इवेंट मैनेजमेंट और कैटरर्स की चांदीउत्तराखंड आर्थिक मोर्चे पर तो अच्छा प्रदर्शन कर रहा है, लेकिन पारिस्थितिक चिंताएं अभी भी मौजूद

फ्लोटिंग सेविंग बॉन्डों के खुदरा लिवाल कम, इन्वेस्टर्स ने ट्रेजरी बिलों में ज्यादा किया निवेश

एक जनवरी तक फ्लोटिंग रेट सेविंग बॉन्ड के लिए कुल आवेदन 73.51 करोड़ रुपये के रहे।

Last Updated- January 04, 2024 | 9:53 PM IST
As centre pushes muni bonds, Surat, Vizag may tap markets soon

खुदरा निवेशकों के बीच फ्लोटिंग दर वाले सेविंग बॉन्ड की मांग कमजोर रही है क्योंकि ऐसे विशिष्ट बॉन्ड ब्याज दरों में इजाफे के माहौल में ही लाभकारी होते हैं। बाजार के प्रतिभागियों ने ये बातें कही।

भारतीय रिजर्व बैंक ने फ्लोटिंग रेट सेविंग्स बॉन्ड 2020 के लिए आवेदन की अनुमति 24 अक्टूबर को दी थी। लिहाजा, खुदरा निवेशक बैंक की रिटेल डायरेक्ट ऑनलाइन पोर्टल के जरिए सरकारी प्रतिभूतियां खरीद सकते हैं।

हालांकि इन बॉन्डों को खुदरा निवेशकों का पहला निवेश 11 दिसंबर को समाप्त हफ्ते में मिला। एक जनवरी तक फ्लोटिंग रेट सेविंग बॉन्ड के लिए कुल आवेदन 73.51 करोड़ रुपये के रहे।

जेएम फाइनैंशियल के प्रबंध निदेशक व प्रमुख (इंस्टिट्यूशनल फिक्स्ड इनकम) अजय मंगलूनिया ने कहा, फ्लोटिंग दर वाले बॉन्ड के साथ अनिश्चितता है। इस कारण ये लोकप्रिय नहीं हैं। दरें अभी घट रही हैं। ऐसे में कोई भी यह बॉन्ड नहीं लेना चाहता।

खुदरा निवेशकों ने इससे ज्यादा निवेश ट्रेजरी बिलों में किया है। राज्यों और केंद्र सरकार की प्रतिभूतियों व सॉवरिन गोल्ड बॉन्डों में भी निवेश हुआ है।

बॉन्ड बाजार के दिग्गज और रॉकफोर्ट फिनकैप एलएलपी के संस्थापक व प्रबंध साझेदार वेंकटकृष्णन श्रीनिवासन ने कहा कि अभी एक साल तक ट्रेजरी बिल में निवेश का मतलब बनता है क्योंकि ये बैंकों के मुकाबले अच्छा रिटर्न दे रहे हैं।

फ्लोटिंग दर वाले बॉन्डों में ब्याज मिलता है और इनकी ट्रेडिंग नहीं होती। ये सरकार की तरफ से जारी होते हैं और सात साल में परिपक्व होते हैं।

अभी खुदरा निवेशकों के पास विभिन्न वित्तीय प्रतिभूतियों मसलन केंद्र सरकार की प्रतिभूतियों, ट्रेजरी बिलों, राज्य सरकार की प्रतिभूतियों और सॉवरिन गोल्ड बॉन्ड में रिटेल डायरेक्ट पोर्टल के जरिये निवेश का विकल्प है।

प्राइमरी मार्केट में कुल आवेदन 1 जनवरी को 3,548 करोड़ रुपये पर पहुंच गए जो 3 अप्रैल को 1,809 करोड़ रुपये थे। ट्रेजरी बिल में खुदरा निवेशकों का निवेश एक जनवरी को 2,351 करोड़ रुपये का था जो 3 अप्रैल को 1,113 करोड़ रुपये रहा था।

First Published - January 4, 2024 | 9:53 PM IST

संबंधित पोस्ट