भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा व्यवस्था में नकदी बढ़ाने के कदमों की घोषणा के बाद बुधवार को सरकारी बॉन्डों की यील्ड में तेज गिरावट आई है। रिजर्व बैंक ने 2 लाख करोड़ रुपये के ओपन मार्केट ऑपरेशन (ओएमओ) खरीद और 3 साल के 10 अरब डॉलर के डॉलर/रुपया खरीद बिक्री स्वैप की घोषणा की है।
10 साल के बेंचमार्क सरकारी बॉन्ड की यील्ड 5 आधार कम पर खुली और 9 आधार अंक कम होकर 6.54 प्रतिशत पर बंद हुई। इस साल 2 अप्रैल की 10 आधार अंक गिरावट के बाद सरकारी बॉन्ड की यील्ड में यह सबसे मजबूत गिरावट है।
प्राथमिक डीलरशिप के एक डीलर ने कहा, ‘रिजर्व बैंक द्वारा 2 लाख करोड़ रुपये के ओएमओ खरीद और लगभग 1 लाख करोड़ रुपये के स्वैप की घोषणा के बाद बॉन्ड बाजार में गिरावट आई, जिससे बेंचमार्क आय 6.53 प्रतिशत से 6.54 प्रतिशत की सीमा तक गिर गई। निकट भविष्य में इसके लगभग 6.50 प्रतिशत तक पहुंचने की गुंजाइश है।’
बैंक ऑफ बड़ौदा में मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा, ‘आज बॉन्ड यील्ड में आई गिरावट की प्रमुख वजह रिजर्व बैंक के नकदी बढ़ाने के कदमों की घोषणा है। हालांकि यील्ड में आगे और गिरावट की संभावना सीमित है और यह करीब 6.50 प्रतिशत पर स्थिर हो सकती है। आगे चलकर व्यवस्था में नकदी डालने के लिए केंद्रीय बैंक विदेशी मुद्रा स्वैप का तरीका अपना सकता है, क्योंकि ओपन मार्केट ऑपरेशन की व्यावहारिक सीमाएं हैं।’
रिजर्व बैंक ओएमओ के माध्यम से 2 लाख करोड़ रुपये की भारत सरकार की प्रतिभूतियां खरीदेगा। यह खरीद 4 खंडों में होगी, जिनमें से प्रत्येक 50,000 करोड़ रुपये की होगी। इस खरीद का आयोजन 29 दिसंबर, 5 जनवरी, 12 जनवरी और 22 जनवरी को होगा।
ओएमओ के लिए अधिसूचित कुछ प्रतिभूतियां तुलनात्मक रूप से कम लिक्विड हैं। ट्रेडर्स ने कहा कि रिजर्व बैंक ने न केवल लिक्विडिटी पर विचार करके चयन किया है, बल्कि बैंक की होल्डिंग को भी ध्यान रखा गया है। साथ ही कहा गया है कि आगामी नीलामियों में और लिक्विड बेंचमार्क पेपर्स को भी शामिल किया जा सकता है।
एक प्राथमिक डीलरशिप के डीलर ने कहा, ‘ओएमओ के चयन के लिए लिक्विडिटी एकमात्र मानदंड नहीं है। रिजर्व बैंक इस पर भी विचार करता है कि बैंक कितनी आसानी से अपनी होल्डिंग्स की निविदा कर सकते हैं।’
पिछले सप्ताह केंद्रीय बैंक ने डॉलर के मुकाबले स्थानीय मुद्रा के तेज गिरावट को रोकने के लिए विदेशी मुद्रा बाजार में आक्रामक रूप से हस्तक्षेप किया था। अमेरिका के साथ एक व्यापार समझौते और इक्विटी और ऋण बाजारों से लगातार विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (एफपीआई) की निकासी को लेकर अनिश्चितता के बीच रुपये पर दबाव बढ़ा है। हस्तक्षेप के कारण डॉलर के मुकाबले रुपया मजबूत होकर 91 रुपये से 89 रुपये तक आया। रुपये की मजबूती से व्यवस्था में नकदी की कमी हुई है।
हाल ही में संपन्न मौद्रिक नीति समिति की बैठक में रिजर्व बैंक के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने बाजार को आश्वासन दिया था कि केंद्रीय बैंक शुद्ध मांग और समय देनदारियों (एनडीटीएल) के लगभग 1 प्रतिशत के अधिशेष स्तरों को स्पष्ट रूप से लक्षित किए बिना भी बैंकिंग प्रणाली में पर्याप्त नकदी सुनिश्चित करेगा। केंद्रीय बैंक ने दिसंबर में अब तक ओएमओ खरीद और विदेशी मुद्रा खरीद-बिक्री स्वैप के माध्यम से 1.45 लाख करोड़ रुपये की टिकाऊ नकदी डाली है।