सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) की कार्यकुशलता और संचालन में सुधार के लिए बैंकरों और विशेषज्ञों ने सुझाव दिया है कि बैंक बोर्डों को अधिक अधिकार दिए जाएं। सूत्रों के अनुसार, उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि विनियमन भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा किया जाए, मगर बैंकों का प्रबंधन उनके बोर्डों द्वारा किया जाना चाहिए।
एक सूत्र ने कहा, ‘बैंकरों और विशेषज्ञों ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में सरकार की हिस्सेदारी को कम करने और बैंक बोर्डों को अधिक अधिकार दिए जाने की वकालत की।’ ये बातें दिल्ली-एनसीआर में आयोजित दो दिवसीय पीएसबी मंथन समिट के तहत पहले दिन की परिचर्चा के दौरान कही गईं। यह अप्रैल 2022 के बाद वित्त मंत्रालय के वित्तीय सेवा विभाग द्वारा आयोजित ऐसा पहला सम्मेलन है।
सूत्र ने कहा, ‘कुछ विशेषज्ञों और बैंकरों ने यह भी सुझाव दिया कि ऐसे साहसिक सुधारों पर विचार करने का यह बिल्कुल सही समय है। इसके लिए बैंकिंग कंपनी (उपक्रमों का अधिग्रहण एवं हस्तांतरण) अधिनियम और भारतीय स्टेट बैंक अधिनियम में संशोधन करने की आवश्यकता हो सकती है। प्रमुख आवश्यक सुधारों में नेतृत्व के लिए लंबा कार्यकाल, बेहतर वेतन-पैकेज, स्वामित्व एवं प्रबंधन की स्पष्ट सीमाएं और बोर्ड को अधिक स्वायत्तता शामिल हो सकते हैं।’ सूत्रों ने बताया कि इस बात पर भी चर्चा हुई कि फिनटेक, प्रौद्योगिकी कंपनियों, फंडों और बीमा कंपनियों जैसी गैर-बैंकिंग कंपनियों के वित्तीय सेवा क्षेत्र में आने से नियामकीय ढांचे में बदलाव के साथ प्रासंगिक बने रहने पर ध्यान दिया जाना चाहिए।
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एक सूत्र ने बताया, ‘आगे की राह कठोर विनियमन की नहीं बल्कि स्मार्ट विनियमन की है। रोजमर्रा के नियामकीय हस्तक्षेपों के बजाय कड़ी निगरानी के साथ बोर्डों को स्वतंत्र रूप से प्रशासन का अधिकार दिया जाना चाहिए। विनियमन बिल्कुल स्पष्ट, सरल एवं सटीक होना चाहिए, न कि बहुस्तरीय अथवा जटिल।’ उन्होंने कहा कि ऋण वितरण में असमानता पर भी चर्चा हुई और विशेषज्ञों एवं बैंकरों ने कृषि और एमएसएमई क्षेत्रों को अधिक ऋण देने का सुझाव दिया।
इस कार्यक्रम में वित्तीय सेवा विभाग के शीर्ष अधिकारियों और बैंकरों के अलावा आरबीआई के डिप्टी गवर्नर स्वामीनाथन जे. ने भी भाग लिया। मुख्य आर्थिक सलाहकार वी. अनंत नागेश्वरन ने भी बैंकरों को संबोधित किया। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा, ‘इस दो दिवसीय सम्मेलन के दौरान कुल 7 सत्रों में से 5 आज संपन्न हो गए। इनमें प्रौद्योगिकी, शासन और ग्राहक शिकायतों जैसे विषयों को शामिल किया गया।’