भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) को विशेष वोस्ट्रो खाते (special vostro account) के अधिशेष की राशि को कॉरपोरेट बॉन्ड (corporate bonds) में निवेश की अनुमति देनी चाहिए। इस क्रम में भारतीय स्टेट बैंक (SBI) के प्रबंध निदेशक श्री चल्ला श्रीदनवासुलु शेट्टी ने कहा कि इस तरह निवेश का विस्तार करना लाभदायक होगा और इसका कोई नुकसान नहीं होगा।
एसोचैम के छठे राष्ट्रीय सम्मेलन में शेट्टी ने यहां कहा, ‘भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने वोस्ट्रो खाते के अधिशेष को टी बिल्स (ट्रेजरी बिल्स) और सरकारी प्रतिभूतियों में निवेश की अनुमति दी ताकि इस समझौते की लोकप्रियता बढ़े। हम RBI से अनुरोध करते हैं कि निवेश की बास्केट में कॉरपोरेट बॉन्ड को भी शामिल किया जाए।’
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उन्होंने बताया कि इस अधिशेष राशि को सरकारी प्रतिभूतियों में निवेश करने के समझौते ने वास्तविकता में गति नहीं पकड़ी है। वोस्ट्रो खाता विदेशी बैंक के लिए घरेलू बैंक में खोला जाता है। इन वोस्ट्रो खाते में भारत के निर्यातक अधिशेष का रुपये में भुगतान प्राप्त करते हैं।
इन खातों में अधिशेष रुपये को विभिन्न उद्देश्यों के लिए समुचित ढंग से इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके तहत सरकारी प्रतिभूतियों में निवेश, वित्तीय परियोजनाओं, निवेश, आयात-निर्यात के लेने देन के प्रबंधन के लिए किया जा सकता है।
जेएम फाइनैंशियल के प्रबंध निदेशक व निवेश प्रमुख अजय मलगूनिया ने कहा, ‘अभी बैंक मार्केट में सक्रिय रूप से भागीदारी नहीं करे रहे हैं। ऐसे में वोस्ट्रो खाते के अधिशेष को कॉरपोरेट बॉन्ड में निवेश करने से इस बॉन्ड में निवेश की जरूरतें भी पूरी हो जाएंगी और इसका आकार भी बढ़ जाएगा। यह फायदेमंद रहेगा।’
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RBI ने 11 जुलाई, 2022 को घोषणा की थी कि वोस्ट्रो खाते की अधिशेष राशि का इस्तेमाल सरकारी ट्रेजरी बिल्स और सरकारी प्रतिभूतियों में किया जा सकता है। इस कदम का ध्येय रुपये में कारोबार करने को बढ़ावा देना था। केंद्रीय बैंक ने अंतरराष्ट्रीय व्यापार के इनवॉयस और भुगतान की इजाजत दी थी। इसके बाद आरबीआई रुपये में निपटान के लिए 22 देशों के बैंक को विशेष वोस्ट्रो खाता खोलने की इजाजत दे चुका है।
शेट्टी ने बताया कि अभी गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFC) का कॉरपोरेट बॉन्ड मार्केट में अधिक धन लगा हुआ है। कॉरपोरेट बॉन्ड में NBFC की हिस्सेदारी करीब 67 प्रतिशत है। हालांकि मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों को बाजार में लाना एक कार्य है।