ऐसा लगता है कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के चुनावी घोषणापत्र ने हरियाणा के मतदाताओं को प्रभावित किया है। राज्य की आबादी के प्रमुख वर्ग- किसानों, युवाओं और सैनिकों- की सरकार के प्रति बढ़ती असंतुष्टि को लेकर जताई जा रही चिंता के बावजूद पार्टी राज्य में तीसरी बार सरकार बनाने जा रही है। पार्टी ने व्यापक स्तर पर विविध जरूरतों के समाधान के तौर पर 20 वादे किए हैं।
पार्टी के घोषणापत्र के प्रमुख वादों में से एक न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर 24 फसलों की खरीद की गारंटी के साथ ही हरियाणा के प्रत्येक अग्निवीर को सरकारी नौकरी देने का वादा भी किया है जिनमें किसान और सैनिक वर्ग से जुड़े लोग शामिल हैं। महिलाओं को सशक्त करने के लिए ‘लाडो लक्ष्मी योजना’ के तहत पात्र लाभार्थियों को 2,100 रुपये प्रतिमाह देने की पहल महत्त्वपूर्ण रही।
इसके अलावा स्वास्थ्य सेवा से जुड़ी योजना ने भी मतदाताओं का ध्यान आकृष्ट कराया जिसमें चिरायु-आयुष्मान योजना का नाम केंद्र में रहा जिसके तहत परिवारों के लिए 10 लाख रुपये तक के मुफ्त इलाज की पेशकश शामिल है और 70 वर्ष से अधिक उम्र के बुजुर्गों के इलाज के मद में 5 लाख रुपये की अतिरिक्त राशि का प्रावधान है।
‘हर घर हर गृहिणी योजना’ के तहत 500 रुपये की कीमत पर किफायती एलपीजी सिलिंडर का वादा किया है जबकि अव्वल बालिका योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाली कॉलेज छात्रों को स्कूटी देने की योजना है ताकि उन्हें अपनी पढ़ाई के लिए कहीं आने-जाने में कोई परेशानी न हो।
भाजपा ने लोगों की उम्मीदें बढ़ाने की कोशिश तो जरूर की है लेकिन हरियाणा की राजकोषीय सेहत का जायजा लेना आवश्यक है ताकि यह अंदाजा मिल सके कि सरकार प्रभावी तरीके से ये वादे कैसे पूरी करेगी। राज्य की कर राजस्व जुटाने की क्षमता भी बेहद आकर्षक है और अनुमानित तौर पर राज्य की कुल राजस्व प्राप्तियों का 72.5 प्रतिशत स्थानीय स्रोतों से आता है जो वर्ष 2023-24 के लिए अन्य राज्यों के 49.2 प्रतिशत के औसत (संशोधित अनुमान) से अधिक है।
हालांकि कर राजस्व के मोर्चे पर उम्मीदें हैं और करीब 60 प्रतिशत अनुमानित राजस्व प्राप्तियां मौजूदा व्यय के मद में जाती हैं जिनमें वेतन और पेंशन भी शामिल है। इसके चलते नई पहल के लिए फंडिंग करने की सीमाएं सीमित हो जाती हैं।
बुनियादी ढांचे के मोर्चे पर भाजपा ने 10 औद्योगिक शहर तैयार करने का वादा किया है और इसे उम्मीद है कि प्रत्येक शहर में 50,000 स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के मौके तैयार होंगे। इसके अलावा राज्य ने भारत सरकार के सहयोग से कुंडली-मानेसर-पलवल (केएमपी) के ऑर्बिटल रेल कॉरिडोर का निर्माण करने और नई वंदे भारत ट्रेने शुरू करने की प्रतिबद्धता भी जताई है।
हालांकि अनुमानित पूंजीगत खर्च में कमी का अनुमान है और वित्त वर्ष 2020 के 17,666 करोड़ रुपये के मुकाबले वित्त वर्ष 2025 में यह घटकर 16,821 करोड़ रुपये हो गया है। ऐसे में इन महत्त्वाकांक्षी योजनाओं की व्यवहार्यता पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (पीएलएफएस) के ताजा आंकड़े के मुताबिक बेरोजगारी दर में गिरावट के रुझान है और यह वर्ष 2022-23 के 6.1 प्रतिशत बेरोजगारी दर से वर्ष 2023-24 में घटकर 3.4 प्रतिशत हो गई जो राष्ट्रीय औसत से थोड़ा ऊपर है। यह सुधार उत्साहजनक है लेकिन यह स्नातक और स्नातकोत्तर छात्रों की चुनौतियों का समाधान पूरी तरह नहीं करता है जिनमें क्रमशः 6.6 प्रतिशत और 7.5 प्रतिशत की बेरोजगारी दर है।