भारत की थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) आधारित महंगाई अक्टूबर में बढ़कर चार माह के उच्च स्तर 2.36 प्रतिशत पर पहुंच गई जबकि यह सितंबर में 1.84 प्रतिशत थी। खाद्य उत्पादों में, विशेष तौर पर सब्जियों के दामों में उछाल आने के कारण सूचकांक में वृद्धि हुई।
उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) के आंकड़े में खुदरा महंगाई 14 माह के उच्च स्तर 6.2 प्रतिशत पर पहुंच जाने के बाद अब थोक मूल्य सूचकांक के आंकड़े आए हैं। वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के गुरुवार को जारी आंकड़ों के अनुसार अक्टूबर में खाद्य पदार्थों की थोक महंगाई बढ़कर 13.54 प्रतिशत पर पहुंच गई जबकि यह सितंबर में 11.53 प्रतिशत थी।
आंकड़ों के अनुसार अन्य प्रमुख उप सूचकांक जैसे विनिर्माण उत्पादों के दाम में भी कुछ वृद्धि दर्ज हुई। हालांकि इस माह में ईंधन और ऊर्जा के दामों में गिरावट आई। आलू (78.73 प्रतिशत), अन्य सब्जियों (63.04 प्रतिशत), गेहूं (8.04 प्रतिशत) और फलों (13.55 प्रतिशत) के दामों में जबरदस्त उछाल के कारण खाद्य उत्पादों के दाम में वृद्धि हुई।
इस माह के दौरान प्याज की महंगाई की रफ्तार घटी, इसके बावजूद यह दो अंकों (39.25 प्रतिशत) में बढ़ा। हालांकि इस महीने में अन्य खाद्य उत्पादों के दाम कम बढ़े। इस क्रम में अनाज (7.91 प्रतिशत), धान (7.47 प्रतिशत), दाल (9.74 प्रतिशत) और दूध (3 प्रतिशत) के दाम में कम बढ़त हुई।
विनिर्मित उत्पादों का सूचकांक में भारांश 64.2 प्रतिशत है और अक्टूबर में इनकी महंगाई में 1.5 प्रतिशत का इजाफा हुआ जबकि इससे पिछले महीने 1 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी। विनिर्मित खाद्य उत्पादों (7.77 प्रतिशत), खाद्य तेल (20.16 प्रतिशत) और पेय पदार्थ (2.13) के दामों में वृद्धि होने से यह इजाफा हुआ। हालांकि इस माह के दौरान अन्य विनिर्मित उत्पादों जैसे तंबाकू (1.15 प्रतिशत), वस्त्र (0.89 प्रतिशत), परिधान (1.25 प्रतिशत) और औषधि (0.42 प्रतिशत) के दामों में गिरावट आई।