विश्व बैंक ने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए भारत के आर्थिक वृद्धि का अनुमान 6.4 प्रतिशत बरकरार रखा है। गुरुवार को जारी रिपोर्ट में विश्व बैंक ने कहा है कि मजबूत घरेलू मांग, सार्वजनिक बुनियादी ढांचे पर बढ़ती लागत और निजी क्षेत्र द्वारा लिए जा रहे कर्ज में तेजी को देखते हुए यह अनुमान पेश किया गया है। बहरहाल इसने कहा है कि खाद्य महंगाई दर अधिक रहने के कारण निजी खपत की वृद्धि दर कम रहेगी और इससे मांग में कमी आएगी।
‘वैश्विक आर्थिक संभावना’ नाम से अपनी रिपोर्ट में विश्व बैंक ने कहा कि भारत विश्व की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में सबसे तेज वृद्धि दर बरकरार रखेगा, लेकिन महामारी के बाद इसकी रिकवरी सुस्त रहने की उम्मीद है और वित्त वर्ष 24 में इसकी वृद्धि 6.3 प्रतिशत रहने का अनुमान है। क्रमिक रिकवरी के बाद वित्त वर्ष 26 में वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत हो जाएगी।
बहुपक्षीय विकास बैंक ने शुक्रवार को राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) द्वारा जारी अग्रिम अनुमानों को अपने अनुमान में शामिल नहीं किया है। निवेश के कारण हो रही रिकवरी को देखते हुए पिछले सप्ताह एनएसओ ने वित्त वर्ष 24 में भारत की अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 7.3 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया था।
विश्व बैंक ने रिपोर्ट में कहा है, ‘निवेश में मामूली गिरावट हो सकती है, लेकिन बैंकिंग सेक्टर सहित कंपनियों का बही खाता मजबूत होने और सार्वजनिक निवेश ज्यादा होने के कारण अर्थव्यवस्था में तेजी बनी रहेगी।
महामारी के बाद मांग में आई कमी और खाद्य महंगाई दर अधिक बने रहने के कारण निजी खपत की वृद्धि दर सुस्त रह सकती है। खासकर कम आमदनी वाले परिवारों की खपत घटेगी। बहरहाल सरकार की खपत सुस्त होने की उम्मीद है, क्योंकि केंद्र सरकार मौजूदा व्यय की हिस्सेदारी कम कर रही है।’
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि कैलेंडर वर्ष 2025 में ज्यादातर इलाकों में वृद्धि मजबूत रहने का अनुमान है और इसके साथ ही भारत में घरेलू मांग मजबूत करने के कारण भारत सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बना रहेगा।
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘चीन को छोड़कर जिंसों के आयातकों की वृद्धि दर 2023 में 4.2 प्रतिशत रही है। यह भारत की बेहतर स्थिति के कारण हुआ है, जिसने सार्वजनिक क्षेत्र में व्यय बढ़ाया है और इसकी सेवा क्षेत्र की वृद्धि दर मजबूत रही है। भारत और चीन को छोड़कर इन अर्थव्यवस्थाओं की वृद्धि दर 3.1 प्रतिशत रही है।
कुछ जिंस आयातक देशों में खाद्य और ऊर्जा की कीमत के झटके लगे हं और इनकी वास्तविक वेतन वृद्धि नहीं हुई है और इससे खपत में वृद्धि प्रभावित हुई।’इसके अलावा रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्त वर्ष 24 में भारत के मजबूत प्रदर्शन की वजह सार्वजनिक निवेश में वृद्धि और तेज सेवा गतिविधियां रही हैं।
इसमें उपभोक्ता सेवाओं की घरेलू मांग और कारोबारी सेवाओं के निर्यात ने अहम भूमिका निभाई है। वहीं वाणिज्यिक निर्यात कम रहा है, जिससे कमजोर विदेशी मांग का पता चलता है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रमुख महंगाई दर 2023 के दौरान मौद्रिक प्राधिकारियों द्वारा तय 2 से 6 प्रतिशत की सीमा में बनी रही है, जबकि नीतिगत दर में फरवरी 2023 के बाद से कोई बदलाव नहीं किया गया है।