भारत के मुख्य आर्थिक सलाहकार (CEA) वी अनंत नागेश्वरन ने गुरुवार को कहा कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा अब आगे नकदी कम किए जाने की उम्मीद नहीं है। उन्होंने कहा कि यह संकेत है कि पश्चिमी अर्थव्यवस्थाओं में महंगाई के खिलाफ आक्रामक कार्रवाई का दौर अब संभवतः खत्म होने को है।
नागेश्वरन ने उद्योग मंडल भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) के वार्षिक कार्यक्रम में यह भी कहा कि वह उम्मीद करते हैं कि अमेरिकी कांग्रेस और राष्ट्रपति जो बाइडन 1 जून के पहले तक एक समझौते पर पहुंच जाएंगे, जब विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था 35.1 लाख करोड़ डॉलर सॉवरिन ऋण का चूक करने वाली है।
नागेश्वरन ने कहा, ‘ उन्होंने (अमेरिकी फेडरल रिजर्व) संकेत दिए हैं कि जून में वह विराम देंगे। मैं भी मानता हूं कि अमेरिका के मामले में दर में बढ़ोतरी सन्निकट है। जब तक कोई वित्तीय दुर्घटना नहीं होती है, जैसा कि हमने मार्च और अप्रैल में देखा था, तो वृहद आंकड़ों से पता चलता है कि वह अभी विराम रखेंगे। ऐसे में मुझे लगता है कि ढील के बजाय लंबे समय तक स्थिरता रहने की संभावना है, लेकिन यह मेरी व्यक्तिगत राय है।’
1 जून को अब सिर्फ 7 दिन बचे हैं और बाइडन की पार्टी के डेमोक्रेट और रिपब्लिकन पार्टी अभी ऋण सीलिंग को लेकर किसी समझौते पर नहीं पहुंचे हैं और बुधवार को रेटिंग एजेंसी फिच ने अमेरिका को नकारात्मक निगरानी के साथ एएए रेटेड सॉवरिन ऋण में रखा है।
नागेश्वरन ने कहा, ‘मेरा अभी भी मानना है कि वे समझौते तक पहुंचने में सक्षम होंगे। पहले भी इस तरह स्थिति आ चुकी है। संभवतः इस बार मामला नजदीक पहुंच रहा है, लेकिन मेरा अभी मानना है कि स्थिति को देखते हुए वे समझौते की ओर पहुंच जाएंगे।’
अगर ऋण भुगतान में चूक होती है तो इसका असर उभरती अर्थव्यवस्थाओं पर पड़ेगा, जिसमें डेट, इक्विटी और भारत का विदेशी विनिमय बाजार शामिल है।
नागेश्वरन ने कहा कि भारत में निजी क्षेत्र में निवेश आने के संकेत हैं और इस्पात एवं सीमेंट जैसे क्षेत्र नया निवेश आकर्षित करने वाले दौर में पहुंच चुके हैं। नागेश्वरन ने कहा, ‘कॉरपोरेट क्षेत्र से निवेश होने के संकेत दिख रहे हैं। कुछ नए निवेश की घोषणा भी हुई है।’
नागेश्वरन ने पिछले 3 साल की पहली छमाही के आंकड़ों के आधार पर कहा कि 2021-22 में निजी क्षेत्र का निवेश 2.1 लाख करोड़ रुपये, 2021-22 में 2.7 लाख करोड़ रुपये तथा 2022-23 में 3.3 लाख करोड़ रुपये रहा था। उन्होंने कहा, ‘इसका मतलब है कि यह बढ़ रहा है और पूरे साल का आंकड़ा मिलते ही तस्वीर बिल्कुल साफ हो जाएगी। हमें पता है कि कंपनियों का आंतरिक स्तर पर संसाधनों का सृजन उच्च स्तर पर है। इसीलिए, हो सकता है कि उन्हें पूंजी बाजार या बैंकों के पास जाने की भी जरूरत नहीं हो।’
मुख्य आर्थिक सलाहकार ने देश में निजी क्षेत्र में पूंजी सृजन चक्र को लेकर उम्मीद जताते हुए कहा, ‘हम इसका इंतजार कर रहे थे। चीजें अब तेजी से उभर रही हैं।’
उन्होंने कहा कि इस्पात और सीमेंट जैसे कुछ क्षेत्रों में क्षमता उपयोग इस स्तर पर पहुंच गया है, जहां नए निवेश होने हैं। नागेश्वरन ने यह भी कहा कि आर्थिक वृद्धि के लिए ऊर्जा का स्थान महत्त्वपूर्ण है। वैश्विक स्तर पर जारी गतिविधियों और जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों के साथ ऊर्जा सुरक्षा को लेकर काफी दबाव है। उन्होंने कहा, ‘हमने पिछले 2-3 साल में जो वृद्धि दर हासिल की है, उसे बनाए रखने की राह में सबसे बड़ी चुनौती मुझे ऊर्जा सुरक्षा लगती है। हम पूर्ण रूप से जीवाश्म ईंधन (कोयला आदि) को बंद नहीं कर सकते।’
नागेश्वरन ने कहा, ‘हमें 2030 तक स्थापित क्षमता के संदर्भ में ऊर्जा मिश्रण में गैर-जीवाश्म ईंधन और जीवाश्म ईंधन के बीच संतुलन बनाने की जरूरत है।’