इस साल अप्रैल से जून के बीच शहरों में बेरोजगारी की दर कम हुई है। शहरी बेरोजगारी की दर अप्रैल-जून 2024 के दौरान घटकर 6.6 प्रतिशत रह गई, जो पिछली चार तिमाहियों की उच्चतम दर 6.7 प्रतिशत से कम है। ये जानकारी सरकार की रिपोर्ट त्रैमासिक आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (PLFS) से मिली है, जो आज जारी की गई।
पिछले हफ्ते के काम के स्टेटस के हिसाब से पुरुषों की बेरोजगारी दर 5.8% रही। यह दर पिछली तिमाही के 6.1% से कम है। इसका मतलब है कि पुरुषों में बेरोजगारी थोड़ी कम हुई है।
लेकिन, इसी दौरान महिलाओं की बेरोजगारी बढ़ गई है। पिछले साल के अंत में जहां हर 100 महिलाओं में से 8.5 बेरोजगार थीं, वहीं अब यह संख्या बढ़कर 9 हो गई है। नौकरी खोजने वाले युवाओं (15 से 29 साल की उम्र) की स्थिति में थोड़ा सुधार हुआ है। पिछली तिमाही में हर 100 युवाओं में से 17 बेरोजगार थे, जो अब घटकर 16.8 रह गए हैं। हालांकि, लड़कों की बेरोजगारी कम हुई है, लेकिन लड़कियों की बेरोजगारी बढ़ी है।
नौकरी की तलाश करने वाले या काम करने वाले शहर के लोगों की संख्या में भी थोड़ी कमी आई है। पहले यह संख्या 50.2 प्रतिशत थी, जो अब घटकर 50.1 प्रतिशत रह गई है।
अगर हम काम की बात करें तो पुरुषों में ज्यादा उत्साह देखा गया। पहले के मुकाबले अब ज्यादा पुरुष काम की तलाश में हैं या काम कर रहे हैं। उनका लेबर फोर्स पार्टिसिपेशन रेट (LFPR) 74.4 फीसदी से बढ़कर 74.7 फीसदी हो गया है। लेकिन महिलाओं के मामले में उल्टा हुआ। पहले से कम महिलाएं अब नौकरी ढूंढ रही हैं या काम कर रही हैं। उनका LFPR 25.6 फीसदी से घटकर 25.2 हो गया है।
अगर हम देखें कि लोग किस तरह के काम कर रहे हैं, तो कुछ बदलाव देखने को मिले हैं। अब कम लोग खुद का काम कर रहे हैं, पहले ऐसे लोगों की संख्या 40.5 प्रतिशत थी जो अब घटकर 40 प्रतिशत रह गई है। दूसरी तरफ, नौकरी करने वालों की संख्या बढ़ी है।
साथ ही, दिहाड़ी मजदूरी करने वालों की संख्या भी बढ़कर 11 प्रतिशत हो गई है। अगर महिलाओं की बात करें तो, रेगुलर काम करने वाली महिलाओं की संख्या में भी बढ़ोतरी हुई है। पहले ऐसी महिलाएं 52.3 प्रतिशत थीं, जो अब बढ़कर 54 प्रतिशत हो गई हैं।
इन तीन तरह के रोजगारों का विश्लेषण करते हुए अर्थशास्त्रियों का मानना है कि नौकरी करना सबसे अच्छा रोजगार है, उसके बाद खुद का काम करना और सबसे अंत में दिहाड़ी मजदूरी करना आता है।
अगर हम देखें कि लोग किस तरह के काम करते हैं, तो ज्यादातर लोग सर्विस सेक्टर में काम करते हैं। शहरों में सबसे ज्यादा नौकरियां इसी क्षेत्र में होती हैं। पिछले तिमाही के मुकाबले इस बार सर्विस सेक्टर में काम करने वालों की संख्या थोड़ी बढ़ी है। पहले यह 62.2 प्रतिशत थी, जो अब 62.4 प्रतिशत हो गई है।
इसी दौरान, मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र में काम करने वालों की संख्या भी बढ़ी है। पहले यह 32 प्रतिशत थी, जो अब 32.1 प्रतिशत हो गई है। क्योंकि नौकरी से जुड़े आंकड़ों का समय-समय पर मिलना बहुत जरूरी होता है, इसलिए सरकार ने साल 2017 में पहली बार कंप्यूटर के जरिए सर्वे शुरू किया। इस सर्वे से हर तीन महीने में शहरों में नौकरी की स्थिति का पता चलता है।