अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने कहा कि अमेरिका 1 अगस्त से भारत के उत्पादों पर 25 फीसदी शुल्क लगाएगा। इसके साथ ही उन्होंने रूस से ईंधन खरीद पर ‘जुर्माना’ लगाने की भी बात कही है। अप्रैल में ट्रंप ने भारत पर 26 फीसदी जवाबी शुल्क लगाने की घोषणा की थी। वर्तमान में भारत से अमेरिका को होने वाले निर्यात पर सर्वाधिक तरजीही राष्ट्र पर लगने वाले शुल्क के अलावा 10 फीसदी का बुनियादी शुल्क वसूला जा रहा है।
यह घोषणा ऐसे समय में की गई है जब भारत और अमेरिका पांच दौर की गहन वार्ता के बावजूद 1 अगस्त से पहले अंतरिम व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने में विफल रहे हैं। अमेरिकी प्रशासन ने अपने व्यापारिक भागीदार देशों पर कठोर देश-विशिष्ट जवाबी शुल्क लागू करने की समयसीमा 1 अगस्त रखी थी।
ट्रंप ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रूथ सोशल पर एक पोस्ट में कहा, ‘ भारत हमारा मित्र है मगर हमने पिछले कई वर्षों में उनके साथ अपेक्षाकृत कम व्यापार किया है क्योंकि वहां काफी ऊंचा शुल्क है, जो दुनिया में सबसे अधिक है। उनके यहां किसी भी देश की तुलना में सबसे कठोर गैर-मौद्रिक व्यापार बाधाएं हैं। उन्होंने हमेशा अपने सैन्य उपकरणों का बड़ा हिस्सा रूस से खरीदा है तथा चीन के साथ रूस के ईंधन के सबसे बड़े खरीदार हैं जबकि हर कोई चाहता है कि रूस यूक्रेन में हत्याएं बंद करे। यह सब कुछ ठीक नहीं है!’
ट्रंप ने कहा, ‘ इसलिए भारत को 1 अगस्त से 25 फीसदी शुल्क और रूस से खरीद की वजह से ‘जुर्माना’ भी देना होगा।’ अमेरिका और भारत के बीच अंतरिम समझौते का उद्देश्य द्विपक्षीय व्यापार समझौते के पहले चरण के रूप में कार्य करना था जिसे बीते फरवरी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ट्रंप ने साल के अंत तक अंतिम रूप देने का निर्णय लिया था। इस सप्ताह तक भारत के अधिकारी यह कह रहे थे कि दोनों पक्षों के बीच बातचीत जारी है और चर्चा का अगला औपचारिक दौर अगस्त के दूसरे पखवाड़े में नई दिल्ली में होने वाला है।
जवाबी शुल्क से बचने के लिए व्यापार समझौता करने के अमेरिकी दबाव के बावजूद कृषि और वाहन क्षेत्र में शुल्क से संबंधित मुद्दों पर असहमति के कारण अंतरिम समझौता नहीं हो पाया।
भारत काफी सतर्कता बरत रहा था और जल्दबाजी में ऐसे समझौते पर हस्ताक्षर नहीं करना चाहता था जिससे भारत को कोई लाभ न हो। वाणिज्य विभाग ट्रंप की घोषणा के असर का बारीकी से अध्ययन कर रहा है। अधिकारियों ने इस मामले पर तुरंत कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। यह देखना होगा कि अगले दौर की बातचीत कैसे आगे बढ़ेगी।
इलारा सिक्योरिटीज में कार्यकारी उपाध्यक्ष गरिमा कपूर ने कहा कि 25 फीसदी शुल्क निश्चित रूप से प्रतिकूल घटनाक्रम है क्योंकि वियतनाम, इंडोनेशिया और फिलीपींस जैसे प्रतिस्पर्धी देशों में शुल्क की दर कम है।
साथ ही कपूर ने कहा, ‘हालांकि इसका सकारात्मक पक्ष यह है कि भारत ने कोई भी ऐसा समझौता नहीं किया जो कृषि और डेरी क्षेत्र को रियायतें देने के लिए मजबूर करता, क्योंकि इसका राजनीतिक, सामाजिक और अंततः आजीविका पर कहीं अधिक गहरा प्रभाव पड़ सकता था।’
परिधान निर्यात संवर्धन परिषद (एईपीसी) के महासचिव मिथिलेश्वर ठाकुर ने कहा कि उन्हें उम्मीद थी कि जवाबी शुल्क करीब 20 फीसदी होगा जिसमें कोई शर्त नहीं होगी। इससे भारतीय परिधान उद्योग बांग्लादेश और चीन की तुलना में लाभप्रद स्थिति में होता। बांग्लादेश पर 35 फीसदी और चीन पर 30 फीसदी शुल्क लगाया गया है जबकि वियतनाम के उत्पादों पर 20 फीसदी का जवाबी शुल्क लगाया गया है।
हालांकि रूस से ईंधन और हथियार एवं गोला-बारूद खरीद मामले में जुर्माना लगाने के साथ ही 25 फीसदी शुल्क की घोषणा ने समीकरण बिगाड़ दिया है और अमेरिका के साथ व्यापार की संभावनाएं अनिश्चितता की स्थिति में पहुंच गई है।
ट्रूथ सोशल पर एक अन्य पोस्ट में ट्रंप ने एक बार फिर व्यापार संतुलन भारत के पक्ष में झुके होने की ओर इशारा करते हुए कहा, ‘भारत के साथ हमारा व्यापार घाटा बहुत ज्यादा है!!!’
अमेरिका भारत का प्रमुख व्यापारिक साझेदार और निर्यात गंतव्य है। वित्त वर्ष 2024 में भारत ने अमेरिका को 86.5 अरब डॉलर मूल्य की वस्तुओं का निर्यात किया जो इससे पिछले वर्ष की तुलना में 11.6 फीसदी अधिक है जबकि इस दौरान आयात 45.7 अरब डॉलर रहा, जिससे अमेरिका के साथ भारत का व्यापार अधिशेष 40.8 अरब डॉलर रहा।
भारतीय सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उपक्रम महासंघ के महासचिव अनिल भारद्वाज ने कहा कि अमेरिका को होने वाले निर्यात में एमएसएमई, कपड़ा और परिधान, चमड़ा और चमड़ा उत्पाद, फार्मा तथा रत्न एवं आभूषण जैसे उत्पादों का बड़ा हिस्सा है।
उन्होंने कहा, ‘ट्रंप का जवाबी शुल्क लाभदायक तो नहीं है मगर विनाशकारी भी नहीं है। यह चीन पर लगाए गए शुल्क के बराबर है। यदि जवाबी शुल्क सिद्धांत लागू होता है तो एशिया के अन्य प्रतिस्पर्धी देशों पर शुल्क 25 फीसदी से कम होने की संभावना नहीं है।’
इस महीने की शुरुआत में अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने धमकी दी थी कि अगर रूस 50 दिनों के भीतर यूक्रेन के साथ युद्धविराम पर सहमत नहीं होता है तो वे रूस के साथ व्यापार करने वाले देशों पर 100 फीसदी तक का सेकंडरी शुल्क लगाएंगे। सोमवार को ट्रंप ने इसकी समयसीमा 50 दिन से घटाकर 10 से 12 दिन कर दी। अमेरिकी संसद में प्रस्तावित विधेयक ‘रूस प्रतिबंध अधिनियम 2025’ में रूस से ईंधन उत्पादों की खरीद जारी रखने वाले भारत और चीन जैसे देशों पर 500 फीसदी तक का शुल्क लगाने का प्रावधान है। ट्रंप प्रशासन भारत पर रूस के साथ अपने रक्षा संबंध समाप्त करने का भी दबाव बना रहा है।