केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुनियादी ढांचा योजनाओं को गति देने की दिशा में कदम बढ़ाते हुए बुधवार को रेल मंत्रालय के 7 प्रस्तावों को मंजूरी दे दी। इन प्रस्तावों के तहत देश के विभिन्न हिस्सों में रेल नेटवर्क बढ़ाना शामिल है। इनकी अनुमानित लागत 32,512 करोड़ रुपये है।
मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति (सीसीईए) ने एक बयान में कहा है, ‘देश के 9 राज्यों के 35 शहरों से जुड़ी इस परियोजना से रेलवे के वर्तमान नेटवर्क में 2,339 किलोमीटर जोड़ा जा सकेगा। इन राज्यों में उत्तर प्रदेश, बिहार, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, ओडिशा, झारखंड और पश्चिम बंगाल शामिल हैं। इससे राज्यों के लोगों को 7.06 करोड़ कार्य दिवस का रोजगार मिलेगा।’
रेलवे के मुताबिक खाद्यान्न,उर्वरक, कोयला, सीमेंट, फ्लाईऐश, लोहा और तैयार स्टील, क्लिंकर्स, कच्चे तेल, लाइम स्टोन, खाद्य तेल आदि जैसे जिंसों की ढुलाई के लिए ये आवश्यक मार्ग हैं।
रेलवे इस समय माल ढुलाई से कमाई बढ़ाने पर विचार कर रहा है। ऐसे में अतिरिक्त राजस्व के लिए ढुलाई की क्षमता बढ़ाने पर काम हो रहा है, जिससे 200 एमटीपीए (मिलियन टन सालाना) अतिरिक्त क्षमता हो सके। इन 7 खंडों में कई औद्योगिक व व्यापारिक इलाके जैसे 15,000 मेगावॉट के पावरहाउस शामिल हैं।
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति (सीसीईए) की बैठक में इस आशय के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई । उन्होंने कहा कि प्रस्तावित परियोजनाएं पूरी तरह से केंद्र पोषित होंगी और इससे भारतीय रेलवे की वर्तमान रेल लाइन क्षमता को बढ़ाने, ट्रेन परिचालन को सुगम बनाने, भीड़भाड़ को कम करने तथा यात्रा को आसान बनाने में मदद मिलेगी। इससे बड़े पैमाने पर रोजगार सृजित होंगे।
इस प्रस्तावित परियोजना में गोरखपुर कैंट- वाल्मीकिनगर, सोननगर-अंडाल मल्टी ट्रैकिंग परियोजना के दोहरीकरण, नेरगुंडी-बारंग, खुर्दा रोड-विजयानगरम और मुदखेड-मेदचाल के बीच तीसरी लाइन तथा गुंटुर- बीबीनगर तथा चोपन-चुनार के बीच वर्तमान लाइन का दोहरीकरण शामिल है।
माल ढुलाई गलियारे पर यू टर्न
इन परियोजनाओं में बिहार के सोन नगर से पश्चिम बंगाल के अंडाल के बीच 4 लाइनें बिछाना शामिल है। दिलचस्प है कि इसके पहले उपरोक्त खंड ईस्टर्न डेडीकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (डीएफसी) का हिस्सा था, जो अब नियमित और मिले जुले इस्तेमाल के ट्रैक के रूप में बनाया जाएगा।
बिजनेस स्टैंडर्ड ने अप्रैल में खबर दी थी कि केंद्र सरकार ने दानकुनी-सोननगर खंड को निजी क्षेत्र से संचालित कराने की कवायद खत्म करने और 12,000 करोड़ रुपये अपने खजाने से लगाने का फैसला किया है। मंत्री ने जहां इस बात की पुष्टि की कि इस खंड पर पीपीपी मॉडल नहीं होगा, वहीं मंत्रिमंडल ने एक कदम आगे जाकर इस खंड के लिए डीएफसी का दर्जा खत्म करने का फैसला किया है।