राज्यों ने अपनी वित्तीय स्थिति में सुधार जारी रखा है। भारतीय रिजर्व बैंक की राज्यों की वित्तीय स्थिति पर जारी रिपोर्ट के मुताबिक राज्यों ने अपनी वित्तीय स्थिति में 2021-22 के दौरान प्राप्त सुधार को 2022-23 में भी जारी रखा है। राज्यों ने लगातार दूसरे साल बजट अनुमान के अनुरूप संयुक्त रूप से अपना सकल राजकोषीय घाटा (जीएफडी) रखा है। राज्यों ने सकल घरेलू उत्पाद के 2.8 प्रतिशत से कम पर जीएफडी है।
रिपोर्ट ‘राज्य वित्त : 2023-24 के बजट का अध्ययन’ ने कहा कि घाटे में कमी को मुख्य रूप से राजस्व घाटे में कमी के साथ मजबूत पूंजी परिव्यय के जरिये हासिल किया गया है। रिपोर्ट के अनुसार, ‘वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के प्रभाव के कारण राज्यों के कर में इजाफा हुआ है।’ राज्यों की कुल बकाया देनदारियां 2023-24 में गिरकर जीडीपी के 27.6 प्रतिशत पर आ गई जबकि यह 2020-21 में अपने उच्च स्तर 31.0 पर थी। हालांकि कई राज्यों की बकाया देनदारियां सकल घरेलू राज्य उत्पाद (जीएसडीपी) के 30 प्रतिशत से अधिक भी रह सकती हैं।
इस वित्त वर्ष की पहली छमाही में राज्यों ने राजस्व में नरमी के बावजूद सालाना आधार पर समेकित जीएफडी में वृद्धि दर्ज की थी। राजस्व प्राप्ति में कम वृद्धि और अधिक पूंजीगत व्यय के कारण राज्यों के राजस्व में नरमी रही थी। कर राजस्व और गैर कर राजस्व में वृद्धि कम हो गई और जीएसटी क्षतिपूर्ति उपकर की समाप्ति के कारण केंद्र के अनुदान में पर्याप्त कमी आई। राज्य वस्तु एवं सेवा कर (एसजीएसटी) में जबरदस्त वृद्धि दर्ज हुई और इसका लाभ जीएसटी अनुपालन और आर्थिक गतिविधियों में सुधार से हुआ।