भारतीय रिजर्व बैंक ने कहा है कि अगले वित्त वर्ष में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में वृद्धि दर कम से कम 7 प्रतिशत रखते हुए विकास की गति बरकरार रखना मुख्य मकसद होगा। साथ ही रिजर्व बैंक ने भारत की अर्थव्यवस्था की स्थिति पर प्रकाशित रिपोर्ट में यह भी कहा है कि दूसरी तिमाही तक प्रमुख महंगाई दर 4 प्रतिशत के लक्ष्य पर लाने की भी जरूरत है।
मुख्य रूप से रिपोर्ट में कहा गया है, ‘संभावित उत्पादन गति पकड़ रहा है और इसके साथ वास्तविक उत्पादन इसके ऊपर चल रहा है। हालांकि यह अंतर मामूली है’, जिससे संकेत मिलता है कि अर्थव्यवस्था पर कोई अतिरिक्त दबाव नहीं है।
डिप्टी गवर्नर माइकल पात्र सहित रिजर्व बैंक के स्टाफ द्वारा लिखी गई रिपोर्ट के मुताबिक, ‘सरकार की ओर से पूंजीगत व्यय के माध्यम से निवेश बढ़ाने को साझेदारी मिलने और यहां तक कि कॉर्पोरेट सेक्टर द्वारा इसका नेतृत्व लेने की जरूरत है, जिसमें प्रत्यक्ष विदेशी निवेश पूरक होगा।’
यह विचार भारतीय रिजर्व बैंक के विचारों का प्रतिनिधित्व नहीं करते।
दिसंबर महीने में महंगाई दर नवंबर के 5.6 प्रतिशत से बढ़कर 5.7 प्रतिशत हो गई है। महंगाई दर के आंकड़ों पर टिप्पणी करते हुए लेख में कहा गया है कि यह मुख्य रूप से प्रतिकूल आधार के असर के कारण हुआ है।
इसमें कहा गया है, ‘कुल मिलाकर सीपीआई की नकारात्मक गति मासिक आधार पर खाद्य कीमतों में 73 आधार अंक पर गिरावट की वजह से थी।’
रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रमुख महंगाई दर दिसंबर में घटकर 3.8 प्रतिशत हो गई, जो 4 साल से ज्यादा समय का निचला स्तर है। यह नवंबर में 4.1 प्रतिशत थी।
2023-24 में भारत की राष्ट्रीय आय को लेकर राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के पहले अग्रिम आंकड़ों पर टिप्पणी करते हुए रिपोर्ट में कहा गया है कि इस रिपोर्ट से खपत से निवेश में बदलाव के संकेत मिलते हैं।
इसमें कहा गया है कि सरकार के पूंजीगत व्यय पर जोर से निजी निवेश बढ़ना शुरू हुआ है, जो अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा है। इसमें कहा गया है, ‘भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 2023-24 में उम्मीद से अधिक मजबूत रहने का अनुमान है। यह वृद्धि उपभोग से निवेश की ओर बदलाव पर आधारित है।’
इस संदर्भ में रिपोर्ट में कहा गया है कि आवास बाजार में एक दशक से ज्यादा समय की तुलना में सबसे ज्यादा वृद्धि हुई है और रियल एस्टेट लचीला व उल्लेखनीय प्रदर्शन कर रहा है।