अक्टूबर महीने में ईवे बिल की संख्या 12.685 करोड़ रही है। यह सितंबर के अब तक के शीर्ष स्तर की तुलना में 4 प्रतिशत कम है। हाल में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) में की गई कमी के बाद कारोबार के समायोजन और आवाजाही में आई स्थिरता के कारण ऐसा हुआ है।
ईवे बिल 50,000 रुपये से ज्यादा मूल्य का सामान ले जाने के लिए अनिवार्य डिजिटल परमिट होता है। हालांकि सालाना आधार पर ईवे बिल के सृजन में 8.2 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है और इसमें मजबूती बनी हुई है। वस्तु एवं सेवा कर नेटवर्क (जीएसटीएन) के आंकड़ों के मुताबिक सितंबर में 13.2 करोड ईवे बिल का सृजन हुआ था।
अक्टूबर का 12.685 करोड़ ईवे बिल का सृजन चौथा बड़ा मासिक ईवे बिल सृजन है, जो सिर्फ इस वित्त वर्ष के सितंबर, जुलाई और अगस्त की तुलना में कम है। कर विशेषज्ञों ने कहा कि अक्टूबर में पिछले महीने की तुलना में नरमी सितंबर 2022 के जीएसटी-2 में दर युक्तिकरण की कवायद के बाद आए क्षणिक व्यावसायिक प्रतिक्रियाओं की वजह से भी हो सकती है।
दरों को नए सिरे से समायोजित करने की कवायद में माल भेजने में देरी हुई हो सकती है। रस्तोगी चैंबर्स के संस्थापक अभिषेक रस्तोगी ने कहा कि ईवे बिल के पैटर्न अनुपालन के रुझानों और नीतिगत संकेत को दिखाते रहते हैं। उनके अनुसार, ई-वे बिल के सृजन में सालाना आधार पर लगभग 8 प्रतिशत की वृद्धि से साफतौर पर लेनदेन के पैमाने में विस्तार और अनुपालन की संस्कृति में सुधार के संकेत मिलते हैं।