केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) में शामिल होने की आखिरी तारीख 30 नवंबर 2025 नजदीक आ रही है। इसी बीच, पेंशन और पेंशनभोगी कल्याण विभाग (DoPPW) ने वॉलंटरी रिटायरमेंट (VRS) के नियमों पर नई गाइडलाइंस जारी की हैं। यह गाइडलाइंस NPS से UPS में जाने वाले कर्मचारियों की मदद के लिए हैं। सरकार चाहती है कि लोग बिना किसी कन्फ्यूजन के अपना फैसला लें। नई सर्कुलर में बताया गया है कि कौन VRS ले सकता है, कितना नोटिस देना पड़ेगा, अपना फैसला कैसे बदल सकते हैं और पेंशन का हिसाब कैसे लगेगा। ये सब कुछ साफ-साफ समझाने के लिए है ताकि कर्मचारी आसानी से प्लानिंग कर सकें।
अगर कोई कर्मचारी VRS लेना चाहता है, तो उसे कम से कम तीन महीने पहले लिखित नोटिस देना होगा। ये नोटिस अपॉइंटिंग अथॉरिटी को जाता है। लेकिन इसमें थोड़ी लचक है। अगर जल्दी रिटायरमेंट से ऑफिस का काम प्रभावित नहीं होता और कोई प्रशासनिक दिक्कत नहीं आती, तो अथॉरिटी नोटिस पीरियड को छोटा कर सकती है। ये फैसला हर केस में अलग-अलग लिया जाता है। अब सवाल यह कि अगर अथॉरिटी से कोई जवाब न आए तो क्या? गाइडलाइंस कहती हैं कि अगर तीन महीने खत्म होने से पहले नोटिस रिजेक्ट नहीं होता, तो रिटायरमेंट अपने आप मंजूर हो जाता है। कर्मचारी नोटिस में लिखी तारीख पर रिटायर हो सकता है। इसके बाद किसी अलग से क्लीयरेंस की जरूरत नहीं पड़ेगी। ये नियम कर्मचारियों को सिक्योरिटी देते हैं कि उनका अनुरोध बिना वजह लटकाया नहीं जाएगा।
VRS का नोटिस देने के बाद अगर कर्मचारी का मन बदल जाए, तो क्या वो पीछे हट सकता है? हां, लेकिन खुद से नहीं। DoPPW के नियमों के मुताबिक, नोटिस सबमिट करने के बाद कर्मचारी इसे वापस नहीं ले सकता। उसे अपॉइंटिंग अथॉरिटी से लिखित मंजूरी लेनी होगी। और ये वापसी की रिक्वेस्ट रिटायरमेंट की तारीख से कम से कम 15 दिन पहले करनी पड़ेगी। इससे अथॉरिटी को सोचने का समय मिलता है।लेकिन ये UPS-VRS नियम सब पर लागू नहीं होते। कुछ कैटेगरी के कर्मचारी बाहर हैं। जैसे, सरप्लस स्टाफ के लिए DoPT की स्पेशल VRS स्कीम वाले। या वो कर्मचारी जो रिजाइन करके ऑटोनॉमस बॉडी या पब्लिक सेक्टर यूनिट (PSU) में नई जॉब लेते हैं। इनके लिए अलग नियम हैं, इसलिए उन्हें UPS के तहत VRS नहीं मिलेगा। सरकार ने ये साफ किया है ताकि कोई गलतफहमी न हो।
VRS लेने के बाद पेंशन UPS के नियमों से कैलकुलेट होगी। ये सर्विस के कुल सालों पर आधारित है। अगर कर्मचारी ने 25 साल से कम सर्विस की है, तो उसे प्रो राटा असर्ड पेंशन मिलेगी। मतलब, पेंशन का अमाउंट सर्विस के हिसाब से कम होगा, फुल अमाउंट नहीं। लेकिन अगर 25 साल या उससे ज्यादा सर्विस पूरी हो चुकी है, तो फुल असर्ड पेंशन बेनिफिट्स मिलेंगे। ये नियम कर्मचारियों को प्रोत्साहित करते हैं कि वो अपनी सर्विस को ध्यान में रखकर फैसला लें।कुल मिलाकर, ये गाइडलाइंस कर्मचारियों को रिटायरमेंट प्लानिंग में मदद करेंगी। सरकार ने सर्कुलर में सब कुछ प्लेन लैंग्वेज में बताया है ताकि लोग आसानी से समझ सकें। अब कर्मचारियों को जल्दी फैसला लेना है, क्योंकि UPS में ऑप्ट करने की डेडलाइन पास है। ये बदलाव पेंशन सिस्टम को ज्यादा ट्रांसपेरेंट बनाते हैं।