भारतीय रिजर्व बैंक ने राज्य सरकारों को अपनी बाजार उधारी को पुनर्निर्धारित करने का संकेत दिया है। इस मामले के कई जानकार सूत्रों ने बताया कि रिजर्व बैंक ने यह संकेत बॉन्ड यील्ड में हालिया वृद्धि के मद्देनजर आपूर्ति के दबाव को कम करने के लिए दिया है। केंद्रीय बैंक ने राज्यों को सलाह दी है कि जब यील्ड कम हो, उस दौरान ऋण जारी करने को स्थगित रखें।
बॉन्ड बाजार को अब उम्मीद है कि अगर दूसरी तिमाही की जीडीपी वृद्धि मजबूत होने साथ दर में कटौती की उम्मीद भी कम हो गई है तो केंद्रीय बैंक 5 दिसंबर को अगली नीति समीक्षा में जनवरी-मार्च की अवधि के दौरान बॉन्ड खरीद के लिए ओपन मार्केट ऑपरेशन (ओएमओ) कैलेंडर की घोषणा करेगा। ओएमओ राज्य उधारी में भी सहायता करेगा। ओएमओ कैलेंडर की घोषणा का बॉन्ड यील्ड पर प्रभाव पड़ेगा। दूसरी तिमाही के विकास के आंकड़े महीने के अंत तक जारी किए जाएंगे।
बड़े सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ‘बाजार अभी सतर्क है। हमने देखा कि सात वर्षीय पेपर के साथ क्या हुआ। यही सटीक कारण है कि आरबीआई ने राज्यों को अपनी कुछ उधारों को पुनर्निर्धारित करने और यील्ड बढ़ने पर जारी करने से बचने की सलाह दी है।’
रिजर्व बैंक ने सात वर्ष के केंद्रीय सरकार के बॉन्ड की बिक्री को रद्द कर दिया था। इसका कारण यह था कि निवेशकों ने नए 10-वर्षीय बॉन्ड की तुलना में अधिक यील्ड की मांग की थी, जो केंद्रीय बैंक को अस्वीकार्य लगी।
राज्य पहले से ही उधार लेने में सावधानी बरत रहे हैं। नवीनतम साप्ताहिक राज्य वृद्धि ऋण की नीलामी में सात राज्यों ने 13,600 करोड़ रुपये की अधिसूचित राशि से कम 11,600 करोड़ रुपये जुटाए थे। महाराष्ट्र ने अपने 2050 और 2055 के बॉन्ड के पुन: जारी करने के लिए सभी बोलियों को अस्वीकार कर दिया जिनमें से प्रत्येक की कीमत 1,000 करोड़ रुपये थी। जुटाई गई कुल राशि भी उधार कैलेंडर में इंगित 19,450 करोड़ रुपये से काफी कम थी। तीसरी तिमाही के लिए राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों ने एसडीएल के माध्यम से 2.81 लाख करोड़ रुपये तक उधार लेने की योजना बनाई है।