भारत की विदेशी टेक्नॉलजी पर निर्भरता को लेकर बढ़ रही चर्चाओं के बीच Zoho के संस्थापक श्रीधर वेम्बू (Zoho founder Sridhar Vembu) ने देश के लिए एक दीर्घकालिक समाधान पेश किया है। वेम्बू ने कहा है कि अगर अमेरिका-आधारित बड़ी टेक कंपनियां- जैसे Google, Meta या Microsoft- भारत पर अपने प्लेटफॉर्म बंद कर दें तो उसका असर केवल सोशल मीडिया पर नहीं होगा, बल्कि बहुत गहरा होगा।
यह टिप्पणी उद्योगपति हर्ष गोयंका के एक कल्पनाशील एक्स (X) पोस्ट के जवाब में आई, जिसमें उन्होंने लिखा था कि “सोचिए अगर किसी समय अमेरिका भारत पर X, Google, Instagram, Facebook या ChatGPT जैसे प्लेटफॉर्म बंद कर दे – यह कितना चिंताजनक हो सकता है।” इस पर प्रतिक्रिया देते हुए वेम्बू ने कहा कि समस्या ऐप तक सीमित नहीं है। उन्होंने लिखा, “हमारी निर्भरता ऑपरेटिंग सिस्टम, चिप्स और फैब तक फैली हुई है – यह और भी गहरा है।” वेम्बू ने एक “10 साल का नेशनल मिशन फॉर टेक रेजिलिएंस” की आवश्यकता बताई और कहा कि यह संभव है।

Zoho के संस्थापक का मानना है कि अगर किसी बड़े विदेशी प्लेटफॉर्म पर अचानक रोक लगती है तो संचार, वित्त और अन्य जरूरी ऑनलाइन सेवाओं पर बड़ा असर पड़ सकता है। सरकारी सेवाओं से लेकर व्यापार तक कई क्षेत्र आज विदेशी क्लाउड, मोबाइल OS और अन्य बुनियादी तकनीकों पर निर्भर हैं। इसीलिए कुछ लोग और विशेषज्ञ लंबे समय से यही कहते रहे हैं कि सिर्फ ऐप बनाने से काम नहीं चलेगा- हमें चिप्स, फैब, क्लाउड इन्फ्रास्ट्रक्चर और नींव-स्तर की तकनीकों में निवेश करना होगा।
वेम्बू का सुझाव इन पुरानी आवाज़ों को दोहराता है: असली स्वायत्तता के लिए देश को बुनियादी तकनीकी क्षमताएं विकसित करनी होंगी। कुछ उपयोगकर्ताओं और विशेषज्ञों ने इस विचार का समर्थन किया, जबकि कुछ ने कहा कि वैश्विक टेक-इकोसिस्टम में फंसे बिना इससे निकलना आसान नहीं है।
इस बहस से साफ हुआ कि डिजिटल सुरक्षा अब सिर्फ आर्थिक या तकनीकी मुद्दा नहीं रह गया- यह राष्ट्रीय सुरक्षा और रणनीति का भी सवाल बन गया है। वेम्बू की अपील इस बात पर जोर देती है कि भारत को अगले दशक में तकनीकी आत्मनिर्भरता और स्थिरता की दिशा में योजनाबद्ध प्रयास करने होंगे।