भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने आज कहा कि बैंकिंग नियामक पूरी तरह सतर्क है और किसी भी तरह का जोखिम पैदा नहीं होने देगा। उन्होंने कहा कि जोखिम शुरू होने से पहले ही उसे रोकने के लिए केंद्रीय बैंक त्वरित तथा निर्णायक कार्रवाई करेगा।
वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट (FSR) के आमुख में दास ने कहा, ‘हम सावधान हैं और किसी भी तरह का जोखिम रोकने के लिए जल्दी और निर्णायक कदम उठाने को तैयार हैं। खुदरा कर्ज की कुछ खास श्रेणियों में ऋणदाताओं के जरूरत से ज्यादा जोश पर अंकुश लगाने जैसे हालिया दूरदर्शिता भरे उपाय बताते हैं कि हम वित्तीय स्थिरता बनाए रखने के लिए कितने प्रतिबद्ध हैं।’
मगर उन्होंने कहा कि केंद्रीय बैंक यह भी सुनिश्चित कर रहा है कि अर्थव्यवस्था को लाभ पहुंचाने वाली जरूरतों के लिए धन पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध रहे।
गिरवी के बगैर दिए जा रहे (असुरक्षित) कर्ज जैसे पर्सनल लोन और क्रेडिट कार्ड ऋण आदि के बढ़ते स्तर पर बैंकों तथा गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFC) को चेतावनियां देने के बाद इस साल 16 नवंबर को आरबीआई ने सख्ती कर दी। उसने ऐसे कर्ज के लिए जोखिम भार (रिस्क वेटिंग) 100 फीसदी से बढ़ाकर 125 फीसदी कर दिया। अधिक रेटिंग वाली एनबीएफसी को बैंकों से मिल रहे कर्ज पर भी रिस्क वेटिंग 25 फीसदी बढ़ा दी गई।
दास ने कहा कि वैश्विक स्तर पर प्रतिकूल परिस्थितियों और तकनीक से हो रहे बदलाव, साइबर जोखिम, जलवायु परिवर्तन जैसी नई चुनौतियों के बावजूद केंद्रीय बैंक का संकल्प डिगा नहीं है। उसका ध्यान वित्तीय प्रणाली को मजबूत बनाने, जिम्मेदारी भरे नए प्रयोगों और नवाचार को बढ़ावा देने तथा समावेशी वृद्धि को गति देने पर ही है।
उन्होंने कहा कि भारतीय वित्तीय प्रणाली की सेहत सकारात्मक रास्ते पर है, कई साल से आय ऊंची बनी हुई है, फंसी हुई संपत्तियां बहुत घटी हैं और वित्तीय संस्थानों में पूंजी तथा तरलता की स्थिति भी बहुत मजबूत है।
कोविड-19 महामारी शुरू होने के बाद से अर्थव्यवस्था और वित्तीय प्रणाली को आगे ले जाने में काफी प्रगति हुई है। अब इन उपलब्धियों का एक साथ फायदा उठाना तथा वृहद आर्थिक एवं वित्तीय स्थिरता बरकरार रखते हुए अर्थव्यवस्था को और भी ऊंची वृद्धि के रास्ते पर ले जाना जरूरी है।